Diggi Kalyann Ji Mandir MalPura Diggi Tonk Diggi Rajasthan
Pradeep Chawla on 13-10-2018
श्री कल्याण जी मन्दिर,टोंक, राजस्थान (Shri Kalyanji Temple,Tonk,Rajasthan)राजस्थान के टोंक जिले में स्थित डिग्गी कल्याण जी के मन्दिर में आस्था का सैलाब देखते ही बनता है। हर साल यहां लाखों भक्त यहां कई किलोमीटर का पैदल सफर कर दर्शन के लिए पहुंचते है। कई भक्त यहां पर कनक दंडवत करते हुए या फिर नंगे पांव पहुंचते है। श्रावण में यहां लक्खी मेला आयोजित होता है। इस दौरान जयपुर समेत कई शहरों से यहां पदयात्राएं आती है।
इस मन्दिर का पुर्ननिर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राणा संग्राम सिंह के शासन काल में संवत् 1584 यानि वर्ष 1527 में हुआ था।
इस मन्दिर की स्थापना से एक रोचक कथा जुड़ी हुई है। एक बार इंद्र के दरबार में अप्सराएं नृत्य कर रही थीं। इस दौरान अप्सरा उर्वशी हंस पड़ी। इन्द्र नाराज हो गए और उन्होंने उर्वशी को 12 वर्ष तक मृत्युलोक में रहने का श्राप दिया। उर्वशी मृत्युलोक में सप्त ऋषियों के आश्रम में रहने लगी। सेवा से प्रसन्न होकर सप्त ऋषियों ने उससे वरदान मांगने को कहा तो उर्वशी ने वापस इंद्रलोक जाने की इच्छा प्रकट की। सप्त ऋषियों ने कहा कि ढूंढाड़ प्रदेश में राजा डिग्व राज्य करते हैं और तुम उनके राज्य में निवास करों, मुक्ति की राह मिलेगी। उर्वशी डिग्व राजा के क्षेत्र में चन्द्रगिरि पहाड़ पर रहने लगी। जो वर्तमान में चांदसेन के डूंगर के नाम से प्रसिद्ध है। इस पहाड़ के नीचे सुंदर बाग था जहां उर्वशी रात में घोड़ी का रूप धारण कर अपनी भूख मिटाती थी। इससे बाग को उजड़ने लगा तो परेषान राजा ने इस घोड़ी को देखते ही पकड़ने के आदेश दिए। संयोग से घोड़ी सबसे पहले राजा के पास से ही निकली तो राजा ने उसका पीछा किया।घोड़ी पहाड़ पर जाकर अप्सरा के रूप आ गई। जिसे देखकर राजा मुग्ध हो गए और उन्होंने उर्वशी को महल में रहने का निमंत्रण दिया।
उर्वषी ने इसे इस शर्त पर स्वीकार किया कि श्राप काल समाप्त होने पर उसे इन्द्र लेने आएंगे और डिग्व यदि इन्द्र को पराजित कर देंगे तो वह सदा के लिए महल में रहेगी लेकिन,ऐसा नहीं हुआ तो वह राजा को श्राप देगी। उर्वशी का श्राप काल समाप्त होते ही इन्द्र लेने आ गए और उन्होंने राजा से युद्ध किया। भगवान विष्णु ने राजा की सहायता की और जिससे राजा डिग्व हार गए। शर्त के मुताबिक उर्वशी ने पराजित राजा को कोढ़ी होने का श्राप दिया। लेकिन, भगवान विष्णु ने इस श्राप से मुक्ति की राह बताई। उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद समुद्र में उन्हें मेरी यानि की विष्णु की मूर्ति मिलेगी, इसके दर्शन से श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। राजा समुद्र के किनारे रहने लगे। एक दिन उनकी नजर वहां एक मूर्ति पर पड़ी और वह श्राप मुक्त हो गए। तभी वहां एक और दुखी व्यक्ति आ गया। उसने भी मूर्ति को देखा तो संकट दूर हो गया। अब दोनों के बीच इस मूर्ति के उत्तराधिकारी को लेकर विवाद हो गया। तभी आकाशवाणी होती है कि जो व्यक्ति रथ के अश्वों के स्थान पर स्वयं जुतकर प्रतिमा को ले जा सकेगा, वही उत्तराधिकारी होगा। दूसरा व्यक्ति इसमें असफल रहा और राजा इसे अपने राज्य में लेकर आ गए। मूर्ति की स्थापना उस स्थान पर की जहां उनका इंद्र के साथ युद्ध हुआ था।
यही स्थान आज का डिग्गीपुरी है और कल्याण जी के मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। वैसे तो मन्दिर में रोजाना ही भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन, प्रत्येक माह की पूर्णिमा को यहां मेला लगता है। इसके साथ ही वैशाख पूर्णिमा, श्रावण एकादषी एवं अमावस्या और जल झूलनी एकादशी को बड़ा मेला आयोजित होता है।
Comments
Raju acharya on 01-06-2022
जिसके भी चर्म रोग है वह महीने की पूर्णिमा को यहां दर्शन करने आए प्रसाद चढ़ाकर यहां कि भोजन प्रसादी मांग कर खाए कल्याण जी से प्रार्थना करें
Rajesh kushwah on 12-05-2019
Mere ko panch se charm Rog h thik hi nhi hota jab tak dawai kaho tab tak arram h bhut parsan hu kya waha pr aane se charm Rog thik ho jata h please contact me 9911010098
Pentu Varma 8905774239 on 12-05-2019
मेरा नाम Pintu वर्मा है मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं इस समय गुजरात सूरत में रहता हूं मैं चर्म रोग से बहुत परेशान हूं 5 सालों से दवा करा रहा हूं ठीक हो जाता है फिर हो जाता है कृपया बताएं बताएं कब आना है मैं बहुत परेशान हूं मैं मंदिर के यहां आना चाहता हूं मैं इंटरनेट पर देख रहा था मंदिर के विषय में कुछ जानकारी मिलेगी किसी को भी यहां आता है उसका चर्म रोग ठीक हो जाता है कृपया जवाब दें मेरे मोबाइल पर फोन कर कर के जवाब दीजिए मेरा मोबाइल नंबर 8905774239 8980332608
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