Jwalamukhi Ka Paribhasha ज्वालामुखी का परिभाषा

ज्वालामुखी का परिभाषा



GkExams on 23-01-2023


ज्वालामुखी क्या है (What Is Volcano In Hindi) : इसे सरल शब्दों में समझे तो यह पृथ्वी पर घटित होने वाली एक आकस्मिक घटना है। इससे भू-पटल पर अचानक विस्फोट होता है, जिसके माध्यम से लावा, गैस, धुँआ, राख, कंकड़, पत्थर आदि बाहर निकलते हैं। और इसके बाद इन सभी वस्तुओं का निकास एक प्राकृतिक नली द्वारा होता है, जिसे निकास नलिका (volcano eruption) कहते हैं।


लावा धरातल पर आने के लिए एक छिद्र बनाता है, जिसे विवर या क्रेटर (Crater) कहते हैं। लावा अपने विवर के आस-पास जम जाता है और एक शंक्वाकार पर्वत बनाता है, जिसे ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं।


Volcano Drawing :



Jwalamukhi-Ka-Paribhasha


उपरोक्त तस्वीर में माध्यम से आप volcano drawing को आसानी से समझ सकते है।


ज्वालामुखी विस्फोट की प्रक्रिया :




ज्वालामुखी विस्फोट की प्रक्रिया दो रूपों (volcanoes in the world) में होती है, जो निम्नलिखित है....


1. भूपृष्ठ के नीचे :




इस प्रकार की प्रक्रिया में लावा धरातल के नीचे पृथ्वी के आन्तरिक भाग में विभिन्न गहराइयों पर ठंडा होकर जम जाता है और बैथोलिथ, लैकोलिथ, लोपोलिथ, सिल, शीट, डाइक आदि रूपों को जन्म देता है।


2. भूपृष्ठ के ऊपर :




इस प्रकार की प्रक्रिया में लावा भूतल पर आकर ठंडा होने से जमता है और उससे विभिन्न प्रकार की भूआकृतियां बनती है।


ज्वालामुखी विस्फोट के कारण :




यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा ज्वालामुखी विस्फोट के कारणों (volcano facts) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


भू-गर्भ में अत्यधिक ताप का होना :




जैसा की हम सब जानते है की पृथ्वी के भू-गर्भ में अत्यधिक तापमान होता है। यह उच्च तापमान वहां पर पाए जाने वाले रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन, रासायनिक प्रक्रमों तथा ऊपरी दबाव के कारण होता है। साधारणतया 32 मीटर की गहराई पर 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाता है।


इस प्रकार अधिक गहराई पर पदार्थ पिघलने लगता है और भू-तल के कमजोर भागों को तोड़कर बाहर निकल आता है, जिसके कारण ज्वालामुखी विस्फोट होता है।


कमजोर भू-भाग का होना :




ज्वालामुखी विस्फोट के लिए कमजोर भू-भागों का होना अति आवश्यक है। ज्वालामुखी पर्वतों का विश्व-वितरण देखने से स्पष्ट हो जाता है कि संसार के कमजोर भू-भागों से ज्वालामुखी का निकट संबंध है। प्रशांत महासागर के तटीय भाग, पश्चिमी द्वीप समूह और एण्डीज पर्वत क्षेत्र इस तथ्य का प्रमाण देते हैं।


गैसों की उपस्थिति :




ज्वालामुखी विस्फोट के लिए गैसों की उपस्थिति, खासकर जलवाष्प की उपस्थिति महत्वपूर्ण है। वर्षा का जल भू-पटल की दरारों तथा रन्ध्रों द्वारा प्रिथ्वी के आन्तरिक भागों में पहुंच जाता है और वहां पर अधिक तापमान के कारण जलवाष्प में बदल जाता है। समुद्र तट के नजदीक समुद्री जल भी रिसकर नीचे की ओर चला जाता है और जलवाष्प बन जाता है।


जब जल से जलवाष्प बनता है तो उसका आयतन एवं दबाव काफी बढ़ जाता है। अतः वह भू-तल पर कोई कमजोर स्थान पाकर विस्फोट के साथ बाहर निकल आता है, जिसे ज्वालामुखी कहते हैं।


भूकंप :




यह हम सब जानते है की भूकंप से भू-पृष्ठ में विकार उत्पन्न होता है और भ्रंश पड़ जाते हैं। इन भ्रंशों से पृथ्वी के आन्तरिक भाग में उपस्थित मैग्मा धरातल पर आ जाता है और ज्वालामुखी विस्फोट होता है।




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Comments Rajni maravi on 16-11-2022

Jawalamukhi ki paribhasa





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