Adverd Gener ne Chechak Ke Teeke Ki Khoj Kab Ki एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके की खोज कब की

एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके की खोज कब की



GkExams on 14-01-2019

चेचक का इतिहास मानव स्वास्थ्य और चिकित्सा में एक अनोखा स्थान रखता है। मनुष्यों द्वारा ज्ञात सबसे जालनेवा बीमारियों में से एक, चेचक भी एकमात्र ऐसा मानव रोग है जिसे टीकाकरण द्वारा उन्मूलित किया जा चुका है।


लक्षण और प्रेरक कारक


चेचक के विशेष लक्षणों की शुरुआत वेरिओला मेजर वायरस के संपर्क में आने के लगभग दो हफ्ते बाद बुखार और सुस्ती के साथ शुरू होते थे। आमतौर पर सिरदर्द, गले का खराश, और उल्टियां भी होती थी। 2-3 दिनों के बाद, शरीर का तापमान गिरने लगता था और चेहरे और शरीर पर चकत्ते निकल जाते थे, और आगे चलकर धड़ में भी उभर आते थे। धीरे-धीरे, जख्म मुंह, गला और नाक के अंदर बनने लगते थे। द्रव-भरे हुए दाने बनते थे और फैलते थे, कुछ स्थितियों में कुछ दाने एक दूसरे से जुड़ जाते थे और त्वचा के बड़े हिस्से तक फैल जाते थे। रुग्णता के लगभग तीसरे हफ्ते में, पपड़ियां बननी शुरू हो जाती थीं त्वचा से अलग होने लगती थी।


वायरस लघु चेचक से बहुत कम गंभीर चेचक हुए।


प्रसार


चेचक का प्रसार किसी संक्रमित व्यक्ति के फोड़ों या श्वसन के छींटों के संपर्क में आने से होता था। संदूषित बिस्तर या कपड़े से भी रोग फैल सकता था। रोगी की त्वचा से अंतिम पपड़ी के अलग होने तक वह संक्रामक बना रहता था।


जटिलताएं और मृत्यु दर


वेरिओला मेजर प्रकार के चेचक के लगभग 30% मामलों में मौंत हो जाती थी, विशेषकर संक्रमण के दूसरे हफ्ते में। इससे उबरे हुए अधिकतर लोगों में कुछ हद तक दाग रह जाते थे, जो बड़े बेहे हो सकते थे। अन्य विरूपणों के कारण, होंठ, नाक और कान के ऊतक की क्षति भी हो सकती थी। कॉर्नियल निशान के कारण अंधापन भी होता था। लघु चेचक कम तीव्र था और इसके कारण कुछ ही संक्रमित लोगों की मृत्यु हुई।


कुछ अनुमानों से पता चलता है कि 20वीं शताब्दी में चेचक से दुनिया भर में होने वाली मौंतों की संख्या लगभग 300 मिलियन थी।


उपलब्ध टीके और टीकाकरण अभियान


सन 1796 में एडवार्ड जेनर द्वारा इस बात की खोज किए जाने के बाद से ही लोगों ने टीके का प्रयोग शुरू कर दिया था, कि काउपॉक्स के फोड़ों से निकले पदार्थ के संपर्क में आने से लोगों को चेचक से सुरक्षा मिल सकती है। जेनर के काम से आखिरकार दुनिया भर में चेचक के टीके का निर्माण वाणिज्यीकीरण शुरू हुआ।


चेचक के टीके के सफलतापूर्वक इस्तेमाल से चेचक के मामले धीरे-धीरे कम होते गए। अंतिम बार चेचक की घटना वर्ष 1977 में सोमालिया में देखी गई थी। 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आधिकारिक रूप से चेचक के उन्मूलन की घोषणा की; जो दो शब्दों में थी, चेचक समाप्त। अभी भी एक हथियार के रूप में चेचक वायरस के साथ जैवा-अतंकवाद मौजूद है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रयोगशाला से दुर्घटनावश वायरस के निकलने या जैव-आतंकवाद की स्थिति में टीके की आपूर्ति बनाए रखने की सलाह दी है।


टीकाकरण की अनुशंसाएं


कुछ देशों में, कुछ सैनिकों और आपात स्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले सदस्यों को चेचक का टीका दिया जाता है ताकि जैव-अतंक की स्थिति वे सुरक्षित रहें। प्रॉक्सीवायरस के साथ काम करने वाले प्रयोगशाला कर्मियों को भी टीका दिया जाता है।






सम्बन्धित प्रश्न



Comments सय्यद हुसैन on 12-05-2019

D.P.T.के टीके की खोज कब और किसने की





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment