Wah Sthan Jahan Natak Me Abhinay Karte Hain Kya Kehlata Hai वह स्थान जहां नाटक में अभिनय करते हैं क्या कहलाता है

वह स्थान जहां नाटक में अभिनय करते हैं क्या कहलाता है



GkExams on 19-02-2023


सही उत्तर : रंगमंच


रंगमंच क्या है (What is Theatre) :




रंगमंच वह स्थान है जहाँ नृत्य, नाटक, खेल आदि हों। रंगमंच शब्द रंग और मंच दो शब्दों के मिलने से बना है। रंग इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दृश्य को आकर्षक बनाने के लिए दीवारों, छतों और पर्दों पर विविध प्रकार की चित्रकारी की जाती है और अभिनेताओं की वेशभूषा तथा सज्जा में भी विविध रंगों का प्रयोग होता है।


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ऐसा समझें की रंगमंच (history of indian theatre pdf) ही वह महत्वपूर्ण विधा है जिससे कलाकारों का दर्शकों से सीधा जुड़ाव रहता है। सिनेमा तो वर्ष 1936 में अस्तित्व में आया, इससे पहले तो मूक फिल्मों का चलन था जबकि रंगमंच का इतिहास तो सदियों पुराना है। और सच तो ये है की कई पुराने फिल्मी कलाकार तो रंगमंच से ही स्क्रीन तक पहुंच सके है।




हिंदी रंगमंच का विकास :




आपको बता दे की हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। उस काल के भारतेन्दु तथा उनके समकालीन नाटककारों ने लोक चेतना के विकास के लिए नाटकों की रचना की इसलिए उस समय की सामाजिक समस्याओं को नाटकों में अभिव्यक्त होने का अच्छा अवसर मिला।


और जैसा कि कहा जा चुका है, हिन्दी में अव्यावसायिक साहित्यिक रंगमंच (best hindi plays scripts) के निर्माण का श्रीगणेश आगाहसन ‘अमानत’ लखनवी के ‘इंदर सभा’ नामक गीति-रूपक से माना जा सकता है। पर सच तो यह है कि ‘इंदर सभा’ की वास्तव में रंगमंचीय कृति नहीं थी। इसमें शामियाने के नीचे खुला स्टेज रहता था।


नौटंकी की तरह तीन ओर दर्शक बैठते थे, एक ओर तख्त पर राजा इंदर का आसन लगा दिया जाता था, साथ में परियों के लिए कुर्सियाँ रखी जाती थीं। साजिंदों के पीछे एक लाल रंग का पर्दा लटका दिया जाता था। इसी के पीछे से पात्रों का प्रवेश कराया जाता था। राजा इंदर, परियाँ आदि पात्र एक बार आकर वहीं उपस्थित रहते थे। वे अपने संवाद बोलकर वापस नहीं जाते थे।


उस समय नाट्यारंगन इतना लोकप्रिय हुआ कि अमानत की ‘इंदर सभा’ के अनुकरण पर कई सभाएँ रची गई, जैसे ‘मदारीलाल की इंदर सभा’, ‘दर्याई इंदर सभा’, ‘हवाई इंदर सभा’ आदि। पारसी नाटक मंडलियों ने भी इन सभाओं और मजलिसेपरिस्तान को अपनाया। ये रचनाएँ नाटक नहीं थी और न ही इनसे हिन्दी का रंगमंच निर्मित हुआ। इसी से भारतेन्दु हरिश्चन्द्र इनको नाटकाभास कहते थे। उन्होंने इनकी पैरोडी के रूप में ‘बंदर सभा’ लिखी थी।


वैसे हिंदी रंगमंच (indian theatre) के विकास में काशी के पश्चात इलाहाबाद के रंगमंचयो का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यहां के महत्वपूर्ण नाट्य मंच ‘आर्य नाट्य सभा’ , ‘श्री राम लीला नाटक मंडली’ तथा ‘हिंदी नाट्य समिति’ थे। कानपुर की संस्थाओं ने भी हिंदी रंगमंच को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


रंगमंच के प्रकार :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको रंगमंच के प्रकारों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • नृत्य प्रधान लोकनाट्य
  • संगीत प्रधान लोकनाट्य
  • अभिनय प्रधान लोकनाट्य
  • यात्रा / जात्रा
  • रामलीला
  • रासलीला
  • स्वांग
  • नौटंकी
  • दशावतार
  • करियाला
  • ख्याल
  • तमाशा
  • बहम कलापम



  • Comments Reasoning on 17-12-2022

    Sthan Avinash

    Shubham, Mansi on 26-07-2022

    Jahan natakon Ka Manchan Kiya jata hai vah kya kahlata hai

    Subhankar saha on 16-09-2021

    Badam ma kitna protein hota hai






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