Sarv Shiksha Abhiyan par nibandh सर्व शिक्षा अभियान par nibandh

सर्व शिक्षा अभियान par nibandh



GkExams on 28-12-2018


सर्व शिक्षा अभियान का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी शुरूआत (2001-02) मे द्वारा एक निश्चित समयावधि के तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करने के लिए किया गया, जैसा कि के 86वें संशोधन द्वारा निर्देशित किया गया है जिसके तहत 6-14 साल के बच्चों (2001 में 205 मिलियन अनुमानित) की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को बनाया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक संतोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करना है।एसएसए (SSA) में 8 मुख्य कार्यक्रम हैं। इसमें आईसीडीएस (ICDS) और आंगनवाड़ी आदि शामिल हैं।इसमें केजीबीवीवाई (KGBVY) भी शामिल है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत 2004 में हुई जिसमें सारी लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का सपना देखा गया, बाद में यह योजना एसएसए के साथ विलय हो गई।

अनुक्रम

उद्देश्य

  1. 2003 तक सभी स्कूल में हों.
  2. 2007 तक प्राथमिक शिक्षा का 5 साल पूरा करना और 2010 तक स्कूली शिक्षा का 8 साल पूरा करना।
  3. संतोषजनक गुणवत्ता और जीवन के लिए शिक्षा पर बल देना.
  4. 2007 तक प्राथमिक स्तर पर और 2010 तक प्रारंभिक स्तर पर सभी लैंगिक और सामाजिक अंतर को समाप्त करना।
  5. वर्ष 2010 तक सार्वभौमिक प्रतिधारण.सर्व शिक्षा अभियान

कार्यक्रम के अनुसार उन बस्तियों में नए स्कूल बनाने का प्रयास किया जाता है जहां स्कूली शिक्षा की सुविधा नहीं है और अतिरिक्त कक्षा, शौचालय, पीने का पानी, रखरखाव अनुदान और स्कूल सुधार अनुदान के माध्यम से मौजूदा स्कूलों की बुनियादी ढांचे में विकास करना है। जिन मौजूदा स्कूलों में अपर्याप्त शिक्षक हैं उनमें अतिरिक्त शिक्षक मुहैया कराना है, जबकि मौजूदा शिक्षकों की क्षमता को व्यापक प्रशिक्षण, विकासशील शिक्षण अधिगम सामग्री अनुदान और ब्लॉक और जिला स्तर पर एक क्लस्टर पर अकादमिक सहायता संरचना को मजबूत बनाने के लिए अनुदान से सुदृढ़ बनाया जा रहा है। सर्व शिक्षा अभियान, जीवन कौशल सहित गुणवत्ता युक्त प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करता है। सर्व शिक्षा अभियान द्वारा लड़कियों और विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाता है। सर्व शिक्षा अभियान, डिजिटल अंतराल को ख़त्म करने के लिए कंप्यूटर शिक्षा भी प्रदान करने का प्रयास करता है। बच्चों की उपस्थिति कम होने के चलते मध्याह्न भोजन की शुरूआत की गई थी।


अच्छे परिणामों के लिए, सर्व शिक्षा अभियान के परिव्यय को 2005-06 में 7156 करोड़ रुपये से 2006-07 में 10,004 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है। साथ ही 500,000 अतिरिक्त क्लास रूम का निर्माण और 1,50,000 अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति करना लक्ष्य है। वर्ष 2006-07 के दौरान शिक्षा उपकर के माध्यम से राजस्व से प्रारम्भिक शिक्षा कोष के लिए 8746 करोड़ हस्तांतरण करने का फैसला किया गया।

पृष्ठभूमि

प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए संवैधानिक, कानूनी और राष्ट्रीय घोषणा

  1. संवैधानिक अधिदेश, 1950 - "संविधान के सेवारम्भ से दस साल के भीतर राज्य, जब तक बच्चे 14 साल पूरा नहीं करते तब तक सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मुहैया करवाएगा. "
  2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 - "यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इक्कीसवीं सदी में प्रवेश करने से पहले 14 साल के सभी बच्चों को संतोषजनक गुणवत्ता में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जायेगी."
  3. उन्नीकृष्णन फैसला, 1993 - "इस देश के 14 वर्ष तक के प्रत्येक शिशु/नागरिक के पास मुफ्त शिक्षा पाने का अधिकार होता है।" उपस्थिति कम होने के चलते मध्याह्न भोजन की शुरूआत की गई थी।

लक्ष्य

  • 2003 तक शिक्षा गारंटी केन्द्र वैकल्पिक स्कूल में सभी बच्चों का स्कूल में होना.
  • 2007 तक सारे बच्चों द्वारा पांच साल के प्राथमिक स्कूली शिक्षा पूरा करना
  • 2010 तक सभी बच्चों का 8 साल का स्कूली शिक्षा पूरा करना
  • जीवन के लिए शिक्षा पर बल देते हुए संतोषजनक गुणवत्ता में प्रारंभिक शिक्षा पर जोर देना
  • 2007 तक प्राथमिक स्तर पर और 2010 तक प्रारंभिक शिक्षा स्तर पर सभी लैंगिक और सामाजिक अंतराल को ख़त्म करना

हस्तक्षेप

सर्व शिक्षा अभियान में पन्द्रह हस्तक्षेप हैं

  1. BRC (ब्लॉक रिसोर्स सेंटर)
  2. सीआरसी (क्लस्टर रिसोर्स सेंटर)
  3. एमजीएलसी एंड एआईई - सारे बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान को अभिगम देने का एक प्रमुख हस्तक्षेप वैकल्पिक और अभिनव शिक्षा (एआईई) है। जनजातीय और तटीय क्षेत्रों में वंचित और हाशिए पर रहे समूहों के बच्चों के भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों को विकसित किया गया है।
  4. नागरिक कार्य - नागरिक कार्य घटक सर्व शिक्षा अभियान के तहत महत्वपूर्ण है। इस घटक के अधीन, बड़े पैमाने पर कुल परियोजना के बजट का 33% तक का निवेश है। स्कूल की बुनियादी सुविधाओं को बच्चों तक पहुंचाने का प्रावधान और उन्हें बनाए रखना में मदद करना, दोनों ही सर्व शिक्षा अभियान का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं। उप जिला स्तर पर संसाधन केंद्रों के लिए बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान जो कि शैक्षिक समर्थन में मदद करता है, जिसकी भूमिका गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। निम्नलिखित निर्माण सिविल कार्य के तहत रखे गए हैं।
  5. नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक
  6. अभिनव क्रियाकलाप - अभिनव कार्यक्रमों को स्कूलों में लागू करने की भूमिका 6-14 आयु के सारे बच्चों के लिए उपयोगी और प्रासंगिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया और समुदाय की सक्रीय भागीदारी में सामाजिक, क्षेत्रीय और लैंगिक अंतराल के बीच पुल बनाने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में होती है। यह कार्यक्रम शिक्षा के प्रति छात्रों में रुचि पैदा करने में सफल रहे हैं और उनकी पढ़ाई को बनाए रखने में मदद करते हैं। अभिनव योजनाओं के अंतर्गत कार्यान्वित कार्यक्रम हैं: * बचपन की देखभाल और शिक्षा, बालिका शिक्षा, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति शिक्षा और कंप्यूटर शिक्षा
  7. IEDC
  8. प्रबंधन और एमआईएस (MIS)
  9. आरएंडई (R&E) (अनुसंधान और मूल्यांकन)- इस हस्तक्षेप में अनुसंधान, मूल्यांकन, निगरानी और पर्यवेक्षण होते हैं। एक प्रभावी EMIS पर क्षमता के विकास के लिए और संसाधन/अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से प्रति स्कूल 1,500/- की राशी सामान्यतः प्रस्तावित है। इसमें घरेलू डेटा को अद्यतन करने के लिए नियमित रूप से स्कूल मानचित्रण/माइक्रो योजना का प्रावधान हैं। राशि का इस्तेमाल सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त दोनों स्कूलों के लिए उपयोग किया जा सकता. निम्नलिखित गतिविधियां हस्तक्षेप के तहत प्रस्तावित हैं। 1) प्रभावी क्षेत्र आधारित जांच के लिए संसाधन व्यक्तियों के एक संघ का निर्माण करना, 2) समुदाय आधारित डेटा का नियमित उत्पादन प्रदान करना, 3) उपलब्धि परीक्षण आयोजन, मूल्यांकन अध्ययन, 4) अनुसंधान गतिविधि उपक्रम, 5) न्यून महिला साक्षरता और लड़कियों की विशेष निगरानी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आदि के लिए विशेष कार्य बल की स्थापना, 6) शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली पर उत्तरदायी व्यय, 7) दृश्य जांच प्रणाली के लिए चार्ट, पोस्टर, स्केच पेन, ओएचपी कलम आदि का आकस्मिक व्यय उपक्रम 8) समूह अध्ययन आयोजन.
  10. विद्यालय अनुदान - परियोजना के तहत स्कूल के लिए 2,000 रुपए प्रति स्कूल अनुदान दिया गया था। विद्यालय अनुदान में से 1000 स्कूल पुस्तकालय सुविधाओं के सुधार के लिए दिया गया था। बाकी निधि को गैरकार्यात्मक उपकरण को कार्यात्मक बनाने में, स्कूल सौंदर्यीकरण, मरम्मत और फर्नीचर अनुरक्षण, संगीत वाद्ययंत्र और स्कूलों के संपूर्ण पर्यावरण के विकास पर खर्च किया गया था।
  11. शिक्षक अनुदान - कक्षा कार्रवाई के विकास और शिक्षक सहायता की तैयारी के क्रम के लिए 500 रुपये का अनुदान सभी एलपी/यूपी शिक्षकों को दिया जाता है। प्रभावी कक्षा कार्रवाई के लिए शिक्षकों ने अनुदान का प्रयोग उत्पादन और टीएलएम उपलब्ध कराने में किया। 2007-2008 के दौरान, एलपी/यूपी दोनों मिलाकर 547590 शिक्षक लाभान्वित हुए.
  12. शिक्षक प्रशिक्षण - शिक्षा में गुणवत्ता लाना सर्व शिक्षा अभियान का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है। प्रशिक्षण में सुधार लाने की कई रणनीतियां हैं: 1) शिक्षकों का प्रशिक्षण और पुनःप्रशिक्षण, 2) नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों के साथ अभिज्ञता प्रशिक्षण, 3) नेशनल करिकुलम फ़्रेम वर्क (एनसीएफ 2005) में अभिज्ञता प्रशिक्षण, 4) परीक्षा सुधार, 5) ग्रेडिंग प्रणाली और ग्रेडिंग प्रणाली के प्रभाव का मूल्य निर्धारण, 6) शैक्षिक और गैर शैक्षिक क्षेत्रों में सुधार, 7) विशेष ध्यानयोग्य बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा पर शिक्षकों का प्रशिक्षण, 8) गुणवत्ता शिक्षा मापदंड योजना और गुणवत्ता की शिक्षा का कार्यान्वयन, 9) संसाधन समूहों को सभी स्तरों पर मज़बूती (प्रत्येक विषय के लिए अलग संसाधन समूह) 300-350 संसाधन व्यक्ति प्रति जिला) जिसमें गतिविधियां, स्थान समर्थन और समीक्षा बैठकों को सुनिश्चित किया जा रहा है। डीआईईटी ने परीक्षण आवश्यकताओं की पहचान की - प्रशिक्षण मॉड्यूल का विकास किया। इस प्रक्रिया से प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है। प्रशिक्षकों और ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है।
  13. सुधारात्मक शिक्षण
  14. समुदाय संग्रहण
  15. दूरस्थ शिक्षा - दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डीईपी) सर्व शिक्षा अभियान का राष्ट्रीय घटक है, जो कि राष्ट्रीय मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा प्रायोजित है। इसे भारत के सभी राज्य/संघ क्षेत्रों की सहायता से इंदिरा गांधी नेशनल ओपन युनिवर्सिटी (आईजीएनओयू) द्वारा लागू किया गया है। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों के कार्यरत-शिक्षा और अन्य कर्मचारी वर्ग में डीईपी-एसएसए का एक महत्वपूर्ण इनपुट होगा। ऑडियो-वीडियो कार्यक्रम, रेडियो प्रसारण, टेलीकॉन्फ्रेंसिंग आदि जैसे मल्टी-मीडिया पैकेज का इस्तेमाल करते हुए आमने-सामने प्रशिक्षण की आपूर्ति करता है। प्रशिक्षण का दूरस्थ मोड केवल सर्वाधिक संख्या में छात्रों को प्रशिक्षित नहीं करता बल्कि प्रशिक्षण इनपुट में एकरूपता प्रदान करता है और संचारण नुकसान को कम करता है, जो कि आमतौर पर फेश-टू-फेश प्रशिक्षण के सोपानी मॉडल में अनुभव प्राप्त करता है।

गतिविधियां

  • नागरिक बुनियादी सुविधाओं का विकास और सुधार

इसमें कक्षा निर्माण, पानी की सुविधा, परिसर की दीवार, धोने का कमरा, अलग करने वाले दीवार, विद्युतीकरण और सिविल मरम्मत और मौजूदा सुविधा का पुनर्निर्माण शामिल हैं कोष के प्रमुख हिस्से को इनमें खर्च किया जाता है क्योंकि गांव के अधिकांश स्कूल दयनीय स्थिति और असुरक्षित हालत में हैं। स्थानीय सरकारी निकायों और पीटीए (पैरेंट टिचर्स एसोसिएशन) की मदद से सिविल निर्माण कार्य किए जाते हैं। सर्व शिक्षा अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के मूल में बुनियादी सुविधाओं में सुधार करने को महत्वपूर्ण मानता है। विद्यालय की सुविधा सुधार के अलावा, मौजूदा स्कूल सुविधाओं के नज़दीक ही सीआरसी (क्लस्टर संसाधन केंद्र) और बीआरसी (ब्लॉक संसाधन केन्द्र) का निर्माण किया जाता है।

  • शिक्षक प्रशिक्षण

सर्व शिक्षा अभियान की प्रमुख पहल है। प्राथमिक शिक्षकों को शिक्षा पद्धति, बाल मनोविज्ञान, शिक्षा, मूल्यांकन पद्धति और अभिभावक प्रशिक्षण पर सतत शिक्षक प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण को प्राथमिक शिक्षकों के चयनित शिक्षक समूह को दी जाती है जिसे बाद में संसाधन व्यक्ति कहा जाता है। शिक्षक प्रशिक्षण के पीछे प्रमुख विचार शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया के नए विकासक्रम के साथ शिक्षकों को अद्यतन करना है।

उपलब्धियाँ

इस कार्यक्रम ने गांव स्तर पर महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है। 2004 में भारत के कई गांवों को शामिल किया गया और प्रारंभिक शिक्षा केंद्र खोले गए।


दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में, एक गांव है जिसका नाम सतनाथापुरम है (शहर: सिर्काझी) जो कि नागपट्टिनम जिले में स्थित है, ये एक ऐसा गांव हैं जहां पहली बार इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू किया गया था। सभी के लिए शिक्षा के साथ राज्य सरकार की सहायता में गरीब बच्चों के लिए दोपहर भोजन योजनाओं के चलते साक्षरता दर में उल्लेखनीय प्रगति को देखा गया। गैर सरकारी संगठनों ने उदारतापूर्वक गरीब लोगों के लिए भूमि दान में दी और ग्राम पंचायतों द्वारा स्कूलों के निर्माण को पूरा किया गया।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments



नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment