Sindh Par Arabon Ka Aakramann सिंध पर अरबों का आक्रमण

सिंध पर अरबों का आक्रमण



GkExams on 14-01-2019

632 ई. में हजरत मुहम्मद की मृत्यु के बाद 6 वर्षों में उसके उत्तराधिकारियों ने सीरिया, उत्तरी अफ्रीका, स्पेन तथा ईरान को जीत लिया था। अरबों ने भारतीय सीमा पर भी आक्रमण करने की सोची तथा जल तथा थल दोनों मार्गों से भारत पर अनेक आक्रमण किये । लेकिन उनको 712 ई. तक कोई ज्यादा सफलता हासिल नहीं हुई।

अरब आक्रमण के समय सिंध की राजनीतिक स्थिति-

सिंध पर साहसीरामI का अधिकार था जो हर्ष का समकालीन था। साहसीरामI की मृत्यु के बाद सिंध का शासक साहसीरामII हुआ (8 वी. शता.) साहसीरामII की हत्या उसके ही एक अधिकारी चच द्वारा की गई चच एक ब्राह्मण था।


साहसीरामII की पत्नी से विवाह कर चच सिंध का शासक बना। चच के दो पुत्र हुए– दाहिर तथा दाहिर सिम। कुछ समय बाद दाहिर सिम की भी मृत्यु हो गई तथा दाहिर सम्पूर्ण साम्राज्य का शासक बन गया।

दाहिर ने कट्टर ब्राह्मणवाद स्थापित किया। इस कारण बौद्धों को उसने प्रताङित किया। दाहिर शक्तिशाली शासक तो था लेकिन जनता में अलोकप्रिय भी था।

भारत पर अरबों का आक्रमण-

अरबों ने सिंध पर आक्रमण करना प्रारंभ किया। भारत पर अरबों के आक्रमण के कई कारण हैं जो निम्नलिखित हैं-

  1. भारत की धनाढयता – भारत एक सम्पन्न देश था। इस पर अरबों की ललचायी दृष्टि थी। अरब भारत पर आक्रमण कर यहां से धन लूटना चाह रहे थे।
  2. साम्राज्यविस्तार – अरबों ने सीरिया, उत्तरी अफ्रिका, स्पेन तथा ईरान को जीत लिया था । इन क्षेत्रों को जीत लेने के बाद उनका मन और बढा तथा अब वे अपने साम्राज्य विस्तार के लिए आगे से आगे बढ रहे थे तथा भारत भी उनकी इस नीति का भाग बन गया।
  3. इस्लाम गृहण कर लिया था।


    मुहम्मद बिन कासिम ने पहली बार भारत में गैर – मुस्लिम जनता पर जजिया कर लगाया। यह क्षेत्र सिंध था।


    मंसूस्बिन अल हज्जा के नाम पर मंसूरा नामक क्षेत्र बसाया। यह क्षेत्र भी सिंध में ही था।

    अरब भारत में ज्यादा सफल नहीं हो सके-

    अरब सिंध से आगे नहीं बढ पाये , अरबों ने भारत के सामने चुनौती पेश की जिसका सामना करने के लिए भारत में में कई शक्तियों का उदय हुआ जो 300 वर्षों तक स्थापित रही जैसे-

    • उत्तर में ललितादित्य मुक्तापीङ जो कश्मीर के शासक थे। ललितादित्य ने कश्मीर का सूर्य मंदिर बनवाया था।
    • राजस्थान में प्रतिहार शासक (नागभट्ट, मिहिरभोज), थे।
    • महाराष्ट्र में राष्ट्रकूट शासक (ध्रुवगोविंद iv) ने अरबों का सफलतापूर्वक सामना किया।

    अरब आक्रमण का महत्त्व-

    अरबों की सिंध विजय का राजनीतिक क्षेत्र पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पङा। लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से इसके व्यापक प्रभाव दिखाई देते हैं जैसे- भारतीयों का दर्शन, ज्ञान, विज्ञान, चिकित्सा एवं गणित से अरब क्षेत्र प्रभावित हुआ।अरबों ने भारतीय जन- जीवन को प्रभावित किया तथा स्वयं भी यहाँ के जन – जीवन से प्रभावित हुए।


    ब्रह्मगुप्त की पुस्तकों का अलफजारी ने अरबी में अनुवाद किया। सूफी धार्मिक संप्रदाय का उद्भव स्थल सिंध ही था जहाँ अरब लोग रहते थे। सूफीमत पर बौद्ध धर्म का प्रभाव देखा जा सकता है। दशमलव प्रणाली अरबों ने 9 वी. शता.में भारत से ही ग्रहण की थी।

    यह भारतीय ज्ञान अरबों के माध्यम से यूरोपीय देशों तक पहुँचा इसी के परिणामस्वरूप यूरोप में पुनर्जागरण हुआ।


    भारत के कुछ प्रमुख विद्वान जैसे – मल, मनक, धनक, सिंदबाद आदि अरब क्षेत्र में उँच्चे पदों पर स्थापित हुये। मनक नामक चिकित्सक ने खलिफा हारुन की सफलता पूर्वक चिकित्सा की थी।


    अरबों के कारण ही भारत की व्यापारिक गतिविधियां समुद्री मार्गों से पश्चिमि तथा अफ्रिकी प्रदेशों में फैली।






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