Hindi Se Sanskrit Me Anuwad हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद

हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद



Pradeep Chawla on 12-09-2018


  • 1. बालक विद्यालय जाता है।
बालकः विद्यालयं गच्छति।
  • 2. झरने से अमृत को मथता है।
सागरं सुधां मथ्नाति।
  • 3. राम के सौ रुपये चुराता है।
रामं शतं मुष्णाति।
  • 4. राजा से क्षमा माँगता है।
नृपं क्षमां याचते।
  • 5. सज्जन पाप से घृणा करता है।
सज्जनः पापाद् जुगुप्सते।
  • 6. विद्यालय में लड़के और लड़कियाँ है।
विद्यालये बालकाः बालिकाश्च वर्तन्ते।
  • 7. मैं कंघे से बाल सँवारता हूँ।
अहं कंकतेन केशप्रसाधनं करोमि।
  • 8. बालिका जा रही है।
बालिका गच्छन्ती अस्ति।
  • 9. यह रमेश की पुस्तक है।
इदं रमेशस्य पुस्तकम् अस्ति।
  • 10. बालक को लड्डू अच्छा लगता है।
बालकाय मोदकं रोचते।
  • 11. माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना उचित है।
पितरौ गुरुजनाश्च सम्माननीयाः।
  • 12. जो होना है सो हो, मैं उसके सामने नहीं झुकूँगा।
यद्भावी तद् भवतु, नाहं तस्य पुरः शिरोऽवनमयिष्यामि।
  • 13. वह वानर वृक्ष से उतरकर नीचे बैठा है।
वानरः वृक्षात् अवतीर्य्य नीचैः उपविष्टोऽस्ति।
  • 14. मेरी सब आशाओं पर पानी फिर गया।
सर्वा ममाशा मोघाः सञ्जाताः।
  • 15. मैने सारी रात आँखों में काटी।
पर्यङ्के निषण्णस्य ममाक्ष्णोः प्रभातमासीत्।
  • 16. गुरु से धर्म पूछता है।
उपाध्यायं/गुरुं धर्मं पृच्छति।
  • 17. बकरी का दूध दुहता है।
अजां दुग्धं दोग्धि।
  • 18. मन्दिर के चारों ओर भक्त है।
मन्दिरं परितः भक्ताः सन्ति।
  • 19. इस आश्रम में ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी और संन्यासी हैं।
ब्रह्मचारिणः वानप्रस्थाः संन्यासिनश्च अस्मिन् आश्रमे सन्ति।
  • 20. नाई उस्तरे से बाल काटता है।
नापितः क्षुरेण केशान् वपति।
  • 21. रंगरेज वस्त्रों को रंगता है।
रज्जकः वस्त्राणि रञ्जयति।
  • 22. मन सत्य से शुद्ध होता है।
मनः सत्येन शुध्यति।
  • 23. आकाश में पक्षी उड़ते हैं।
वियति (आकाशे) पक्षिणः उड्डीयन्ते।
  • 24. उसकी मूट्ठी गर्म करो, फिर तुम्हारा काम हो जाएगा।
उत्कोचं तस्मै देहि तेन तव कार्यं सेत्स्यति।
  • 25. कुम्भ पर्व में भारी जन सैलाब देखने योग्य है।
कुम्भपर्वणि प्रचुरो जनसञ्चारः दर्शनीयः।
  • 26. विद्याविहीन मनुष्य और पशुओं में कोई भेद नहीं है।
विद्याविहीनानां नराणां पशूनाञ्च कोऽपि भेदो नास्ति।
  • 27. उसकी ऐसी दशा देखकर मेरा जी भर आया।
तस्य तथावस्थामवलोक्य करुणार्द्रचेता अभवम्।
  • 28. प्रभाकर आज मेरे घर आएगा।
प्रभाकरः अद्य मम गृहमागमिष्यति।
  • 29. एक स्त्री जल के घड़े को लेकर पानी लेने जाती है।
एका स्त्री जलकुम्भमादाय जलमानेतुं गच्छति।
  • 30. मैं आज नहीं पढ़ा, इसलिये मेरे पिता मुझ पर नाराज थे।
अहमद्य नापठम्, अतः मम पिता मयि अप्रसन्नः आसीत्।
  • 31. मे घर जाकर पिता से पूछ कर आऊँगा।
अहं गृहं गत्वा पितरं पृष्ट्वा आगमिष्यामि।
  • 32. व्यायाम से शरीर बलवान् हो जाता है।
व्यायामेन शरीरं बलवद् भवति।
  • 33. उसके मूँह न लगना, वह बहुत चलता पुरजा है।
तेन साकं नातिपरिचयः कार्यः कितवौऽसौ।
  • 34. मेरे पाँव में काँटा चुभ गया है, उसे सुई से निकाल दो।
मम पादे कण्टको लग्नः, तं सूच्या समुद्धर।
  • 35. एक बार धर्म और सत्य में विवाद हुआ।
एकदा धर्म्मसत्ययोः परस्परं विवादोऽभवत्।
  • 36. सूर्य की प्रखर किरणों से वृक्ष, लता सब सूख जाते हैं।
सूर्यस्य तीक्ष्णकिरणैः वृक्षलताः शुष्काः भवन्ति।
  • 37. ईश्वर की कृपा से उसका शरीर नीरोग हो गया।
ईश्वरस्य कृपया तस्य शरीरं नीरोगम् अभवत्।
  • 38. राम के साथ सीता वन जाती है।
रामेण सह सीता वनं गच्छति।
  • 39. मुझे इस बात के सिर पैर का पता नहीं लगता।
अस्याः वार्तायाः अन्तादी नावगच्छामि।
  • 40. सुबह उठकर पढ़ने बैठ जाओ।
प्रातः उत्थाय अध्येतुम् उपविशः।
  • 41. पति के वियोग से वह सुखकर काँटा हो गयी है।
पतिविप्रयोगेण सा तनुतां गता।
  • 42. चपलता न करो इससे तुम्हारा स्वभाव विगड़ जायेगा।
मा चपलाय, विकरिष्यते ते शीलम्।
  • 43. घर के बाहर वृक्षः है।
गृहात् बहिः वृक्षः अस्ति।
  • 44. शकुन्तला का पति दुष्यन्त था।
शकुन्तलायाः पतिः दुष्यन्तः आसीत्।
  • 45. विष वृक्ष को भी पाल करके स्वयं काटना ठीक नहीं है।
विषवृक्षोऽपि संवर्ध्य स्वयं छेत्तुमसाम्प्रतम्।
  • 46. अध्यापक की डाँट सुनकर वह लज्जा से सिर झुकाकर खड़ी हो गयी।
अध्यापकस्य तर्जनं श्रुत्वा सा लज्जया शिरः अवनमय्य स्थितवती।
  • 47. अरे रक्षकों! आप जागरुकता से उद्यान की रक्षा करो।
भोः रक्षकाः! भवन्तः जागरुकतया उद्यानं रक्षन्तु।
  • 48. इन दिनों वस्तुओं का मूल्य अधिक है।
एषु दिनेषु वस्तूनां मूल्यम् अधिकम् अस्ति।
  • 49. आज सुबह कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ।
अद्य प्रातःकाले कार्यक्रमस्य उद्घाटनं जातम्।
  • 50. पुस्तक पढ़ने के लिए वह पुस्तकालय जाता है।
पुस्तकं पठितुं सः पुस्तकालयं गच्छति।
  • 51. हस्तलिपि को साफ एवं शुद्ध बनाओ।
हस्तलिपिं स्पष्टां शुद्धां च कुरु।
  • 52. पढ़ने के समय दूसरी ओर ध्यान मत दो।
अध्ययनसमये अन्यत्र ध्यानं मा देहि।
  • 53. विद्यालय के सामने सुन्दर उद्यान है।
विद्यालयस्य पुरतः सुन्दरम् उद्यानं वर्तते।
  • 54. सुनार सोने से आभूषण बनाता है।
स्वर्णकारः स्वर्णेन आभूषणानि रचयति।
  • 55. लुहार लोहे से बर्तन बनाता है।
लौहकारः लौहेन पात्राणि रचयति।
  • 56. ईश्वर तीनों लोकों में व्याप्त है।
ईश्वरः त्रिलोकं व्याप्नोति।
  • 57. देश की उन्नति के लिए आयात और निर्यात आवश्यक है।
देशस्योन्नत्यै आयातो निर्यातश्च आवश्यकौ स्तः।
  • 58. रिश्वत लेना और देना दोनों ही पाप है।
उत्कोचस्य आदानं प्रदानं च द्वयमपि पापम् अस्ति।
  • 59. बुद्धि ही बल से श्रेष्ठ है।
मतिरेव बलाद् गरीयसी।
  • 60. बुरों का साथ छोड़ और भलों की सङ्गति कर।
त्यज दुर्जनसंसर्गं भज साधुसमागमम्।
  • 61. एक दिन महर्षि ने ध्यान के समय दूर जङ्गल में धधकती हुई आग को देखा।
एकदा ध्यानमग्नोऽसौ ऋषिः दूरवर्तिनि वनप्रदेशे जाज्वल्यमानं दावानलं ददर्श।
  • 62. एक समय राजा दिलीप ने अश्वमेध यज्ञ करने के लिए एक घोड़ा छोड़ा।
एकदा राजा दिलीपोऽश्वमेधयज्ञं कर्तुमश्वमेकं मुमोच।
  • 63. आप सभी हमारे साथ संस्कृत पढें।
भवन्तः अपि अस्माभिः सह संस्कृतं पठन्तु।
  • 64. बालकों को मिठाई पसंद है।
बालकेभ्यः मधुरं रोचते।
  • 65. बहन! आज आने में देर क्यों?
भगिनि! अद्य आगमने किमर्थं विलम्बः।
  • 66. मित्र! कल मेरे घर आना।
मित्र! श्वः मम गृहम् आगच्छतु।
  • 67. घर के दानों ओर वृक्ष है।
गृहम् उभयतः वृक्षाः सन्ति।
  • 68. मैं साइकिल से पढ़ने के लिए पुस्तकालय जाता हूँ।
अहं द्विचक्रिकया पठितुं पुस्तकालयं गच्छामि।
  • 69. विद्यालय जाने का यही समय है।
विद्यालयं गन्तुम् अयमेव समयः।
  • 70. सूर्य निकल रहा है और अंधेरा दूर हो रहा है।
भानुरुद्गच्छति तिमिरश्चापगच्छति।
  • 71. पुराणों में कथा है कि एक बार धर्म और सत्य में विवाद हुआ। धर्म ने कहा- ‘मैं बड़ा हूँ’ सत्य ने कहा ‘मैं’। अन्त में फैसला कराने के लिए वे दोनों शेषजी के पास गये। उन्होंने कहा कि ‘जो पृथ्वी धारण करे वही बड़ा’’। इस प्रतिज्ञा पर धर्म्म को पृथ्वी दी, तो वे व्याकुल हो गये, फिर सत्य को दी, उन्होंने कई युगों तक पृथ्वी को उठा रखा।
पुराणेषु कथा अस्ति यत् एकदा धर्म्मसत्ययोः परस्परं विवादोऽभवत् धर्म्मोऽब्रवीत्- ‘अहं बलवान्’ सत्योऽवदत् ‘अहम्’ इति। अन्ते निर्णायितुं तौ सर्पराजस्य समीपे गतौ। तेनोक्तं यत् ‘यः पृथ्वीं धारयेत् स एव बलवान् भवेदिति।’ अस्यां प्रतिज्ञायां धर्म्माय पृथ्वीं ददौ। स हि धर्मो व्याकुलोऽभवत्। पुनः सत्याय ददौ। स कतिपययुगानि यावत् पृथ्वीमुदस्थापयत्।
  • 72. संस्कृत भाषा देव भाषा है। प्रायः सभी भारतीय भाषाओं की जननी और प्रादेशिक भाषाओं की प्राणभूत है। जिस प्रकार प्राणी अन्न से जीवित रहता है। परन्तु वायु के बिना अन्न भी जीवन की रक्षा नहीं कर सकता, उसी प्रकार हमारे देश की कोई भी भाषा संस्कृत भाषा के बिना जीवित रहने में असमर्थ है इसमें कोई संशय नहीं है। इसी भाषा में हमारा धर्म, इतिहास और भविष्य सबकुछ निहित है।
संस्कृत भाषा देवभाषा, प्रायः सर्वासां भारतीय भाषाणां जननी, प्रादेशिक भाषाणाञ्च प्राणभूता इति। यथा प्राणी अन्नेन जीवति, परन्तु वायुं विना अन्नमपि जीवनं रक्षितुं न शक्नोति, तथैव अस्मद्देशस्य कापि भाषा संस्कृत भाषामवलम्बं विना जीवितुमक्षमेति निःसंशयम्। अस्यामेव अस्माकं धर्मः इतिहासः भविष्यञ्च सर्वं सुसन्निहितमस्ति।

संस्कृत-हिन्दी अनुवाद

1. आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।

आहार और व्यवहार में संकोच न करने वाला सुखी रहता है।
  • 2. अन्यायं कुरुते यदा क्षितिपतिः कस्तं निरोद्धुं क्षमः?
यदि राजा ही अन्याय करता है तो उसे कौन रोक सकता है?
  • 3. रामः भृत्येन कार्यं कारयति।
राम भृत्य से काम करवाता है।
  • 4. यावत्यास्यन्ति गिरयः सरितश्च महीतले तावद्रामायणकथा लोकेषु प्रचरिष्यति।
जब तक पृथ्वी पर पर्वत स्थिर रहेंगें और नदियाँ बहती रहेंगीं तब तक लोगों में रामायण कथा प्रचलित रहेगी।
  • 5. लंकातो निवर्तमानं रामं भरतः प्रत्युज्जगाम।
लंका से लौटते हुए राम को लाने के लिए भरत आगे बढ़े।
  • 6. इयं कथा मामेव लक्षीकरोति।
इस कथा का संकेत विषय मैं ही हूँ।
  • 7. मनो में संशयमेव गाहते।
मेरे चित्त में सन्देह ही है।
  • 8. कालस्य कुटिला गतिः।
समय की गति कुटिल है।
  • 9. नियमपूर्वकं विधीयमानो व्यायामो हि फलप्रदो भवति।
नियमपूर्वक किया जा रहा व्यायाम ही फलदायक होता है।
  • 10. अल्पीयांस एव जना धर्मं प्रति बद्धादरा दृश्यन्ते।
कम ही लोग धर्म के प्रति सम्मान रखने वाले दिखाई देते हैं।
  • 11. यथा अपवित्रस्थानपतितं सुवर्ण न कोऽपि परित्यजति तथैव स्वस्मात् नीचादपि विद्या अवश्यं ग्राह्या।
जैसे अपवित्र स्थान में गिरे हुए सोने को कोई भी नहीं छोड़ता उसी प्रकार अपने से निम्न व्यक्ति से भी विद्या अवश्य ग्रहण करना चाहिये।
  • 12. गङ्गायां स्नानाय श्री विश्वानाथस्य दर्शनाय च सदैव भिन्न-भिन्न प्रदेशेभ्यः जनाः वाराणसीम् आगच्छन्ति।
गङ्गा में स्नान करने के लिए और श्री विश्वनाथ के दर्शन के लिए हमेशा भिन्न-भिन्न प्रदेशों से लोग वाराणसी आते हैं।
  • 13. चरित्र निर्माणे संसर्गस्यापि महान् प्रभावो भवति, संसर्गात् सज्जना अपि बालकाः दुर्जनाः भवन्ति दुर्जनाश्च सज्जनाः।
चरित्र निर्माण में संगति का भी महान् प्रभाव होता है, संगति से सज्जन बालक भी दुर्जन हो जाते हैं और दुर्जन सज्जन।
  • 14. मनुष्याणां सुखाय समुन्नतये च यानि कार्याणि आवश्यकानि सन्ति तषु सर्वतोऽधिकम् आवश्यकं कार्यं स्वास्थ्यरक्षा अस्ति।
मनुष्य के सुख और समुन्नति के लिए जो कार्य आवश्यक हैं उनमें से सर्वाधिक आवश्यक कार्य स्वास्थ्यरक्षा है।
  • 15. प्राचीनकाले एतादृशा बहवो गुरुभक्ता बभूवः येषामुपारव्यायनं श्रुत्वा पठित्वा च महदाश्चर्यं जायते।
प्राचीन काल में ऐसे अनेक गुरु भक्त हुए जिनकी कथाएँ सुनकर और पढ़कर बहुत आश्चर्य होता है।
  • 16. नाम्ना स सज्जनः परन्तु कर्म्मणा दुर्जनः।
नाम से वह सज्जन है परन्तु कर्म से दुर्जन।
  • 17. एकदा कस्मिंश्चिद्वने अटन् एकः सिंहः श्रान्तो भूत्वा निद्रां गतः।
एक बार किसी वन में घूमता हुआ एक सिंह थक कर सो गया।
  • 18. सः सर्वेषां मूर्ध्नि तिष्ठति।
वह सबके ऊपर है।
  • 19. मम द्रव्यस्य कथं त्वया विनियोगः कृतः?
मेरे धन को तुमने किस प्रकार खर्च किया?
  • 20. इति लोकवादः न विसंवादमासादयति।
इस लोकोक्ति में कोई विवाद नहीं।
  • 21. राजा युगपत् बहुभिररिभिर्न युध्येत्, यतः समवेताभिर्बह्नीभिः पिपीलिकाभिः बलवानपि सर्पः विनाश्यते।
राजा एक साथ बहुत से शत्रुओं से न लड़े, क्योंकि बहुत सारी चीटियों से साँप भी मारा जाता है।
  • 22. प्राज्ञो हि स्वकार्यसम्पादनाय रिपूनपि स्वस्कन्धेन वहेत्। मानवाः दहनार्थमेव शिरसा काष्ठानि वहन्ति।
बुद्धिमान् अपने स्वार्थ के लिए शत्रुओं को भी अपने कन्धे पर ले जाय। मनुष्य जलाने के लिए ही सिर पर लकड़ियों को उठाते हैं।
  • 23. कियत्कालम् उत्सवोऽयं स्थास्यति? अपि जानासि अत्र का किंवदन्ती?
कितनी देर तक यह उत्सव रहेगा? तुम्हें इसकी कहानी के बारे में पता है?
  • 24. तद् भीषणं दृश्यमवलोक्य तस्याः पाणिपादं कम्पितुमारेभे।
उस भीषण दृश्य को देखकर उसके हाथ पैर काँपने लगे।
  • 25. तेषां कांश्चिद् दोषानन्तरेणापि ते सन्देहास्पदं बभूवुः।
उनका कोई दोष न होने पर भी उन पर सन्देह बना ही रहा।
  • 26. मुहूर्तेन धारासारैर्महती वृष्टिबर्भूव। नभश्च जलधरपटलैरावृतम्।
क्षण भर में मूसलाधार वर्षा होने लगी और आसमान बादलों से घिर गया।
  • 27. सचचिवो राजपुत्रः सरस्तीरे विशालं महीरुहम पश्यत्, अगणिता यस्य शाखा भुजवत् प्रतिभान्ति स्म।
मन्त्रियों के साथ राजकुमार ने सरोवर के किनारे एक बहुत बड़े पेड़ को देखा, जिसकी शाखाएं भुजाओं की तरह दिखाई देतीं थीं।
  • 28. न हि संहरते ज्योत्स्नां चन्द्रश्चाण्डावलेश्मनः।
चन्द्रमा चाण्डाल के घर से चांदनी को नहीं हटाता।
  • 29. ये समुदाचारमुच्चरन्ते तेऽवगीयन्ते।
जो शिष्टाचार की सीमा लांघते हैं वे निन्दित हो जाते हैं।
  • 30. राजा महीपालः हस्तिनमारुह्य बहूनि वनानि भ्रमित्वा स्वमेव द्वीपं प्रतिगच्छति स्म।
राजा महीपाल हाथी पर चढ़कर बहुत सारे वनों में घूमता हुआ अपने राज्य में लौट रहा था।
  • 31. यदाहं तव भाषितं परिभावयामि तदा नात्र बहुगुणं विभावयामि।
जब मै तुम्हारे भाषण पर विचार करता हूँ तब उसमें मुझे अधिक गुण नहीं दिखाई देते।
  • 32. अचिरमेव स वियोगव्यथाम् अनुभविष्यति।
वह शीघ्र ही वियोग की पीड़ा का अनुभव करेगा।
  • 33. युक्तमेव कथयति भवान् नाहं भवतस्तर्के दोषं विभावयामि।
तुम ठीक कह रहे हो, तुम्हारी दलील में मुझे कोई दोष दिखाई नहीं देता है।
  • 34. ये शरीरस्थान् रिपून् अधिकुर्वते ते नाम जयिनः।
जो शरीरिक शत्रुओं को वश में कर लेते हैं वे ही विजेता है।
  • 35. विद्या सर्वेषु धनेषु श्रेष्ठमस्ति यतो हि विद्यैव व्यये कृते वर्धते। अन्यद् धनं व्यये कृते क्षयं प्राप्नोति।
विद्या ही सभी धनों में श्रेष्ठ है क्योंकि विद्या ही सभी धनों में श्रेष्ठ है क्योंकि विद्या ही व्यय करने पर बढ़ती है। दूसरा धन तो व्यय करने पर नष्ट होता है।
  • 36. महात्मनो गांधिमहोदयस्य संरक्षणे अहिंसा शस्त्रेणैव भारतवर्षं पराधीनतापाशं छित्वा स्वतन्त्रतामलभत।
महात्मा गांधी महोदय के संरक्षण में अहिंसा के हथियार से ही भारत ने गुलामी के बन्धन को तोड़कर आजादी पाई।
  • 37. ब्रह्मचर्य वेदेऽपि महिमा वर्णितोऽस्ति यद् ब्रह्मचर्यस्य सदाचारस्य वा महिम्ना देवा मृत्युमपि स्ववशेऽकुर्वन।
वेद में भी ब्रह्मचर्य की महिमा वर्णित है देवों ने मृत्यु को भी अपने वश में कर लिया।
  • 38. गुरुभक्त्यैव आरुणिः ब्रह्मज्ञः सञ्जातः, एकलव्यश्च महाधनुर्धरो जातः।
गुरु भक्ति से ही आरुणि ब्रह्मज्ञानी हो गया और एकलव्य महान् धनुर्धर हुआ।
  • 39. आविर्भूते शशिनि अन्धकारस्तिरोऽभूत्।
चन्द्रमा के निकलने पर अंधकार दूर हो गया।
  • 40. अयं मल्लः अन्यस्मै मल्लाय प्रभवति।
यह पहलवान दूसरे पहलवान से टक्कर ले सकता है।
  • 41. गुणा विनयेन शोभन्ते।
गुणों की शोभा नम्रता से होती है।
  • 42. सत्यस्य पालनार्थमेव महाराजो दशरथः प्रियं पुत्रं रामं वनं प्रैषयत्।
सत्य के पालन के लिए ही महाराज दशरथ ने प्रिय पुत्र राम को वन भेजा।
  • 43. एकमेवार्थमनुलपसि, न चान्यं श्रृणोषि।
एक ही बात अलापते जाते हो दूसरे की सुनते ही नहीं।
  • 44. पूर्वं स त्वां सम्पत्तिं बन्धकेऽददात् साम्प्रतं ऋणशोधनेऽक्षमतामुद्घोषयति।
पहले उसने अपनी संपत्ति बंधक रखी थी, अब अपना दिवाला घोषित कर रहा है।
  • 45. मज्जतो हि कुशं वा काशं वाऽवलम्बनम्।
डूबते को तिनके का सहारा।
  • 46. गोपालस्तथा वेगेन कन्दुकं प्राहरत् यथाऽऽदर्शः परिस्फुट्य खण्डशोऽभूत्।
गोपाल ने इतने जोर से गेंद मारी कि शीशा टूट कर चूर-चूर हो गया।
  • 47. चिरंविप्रोषितो रुग्णश्चासौ तथा परिवृत्तो यथा परिचेतुं न शक्यः।
चिर प्रवासी तथा रोगी रहने से वह ऐसा बदल गया है कि पहचाना नहीं जाता।
  • 48. यद्यसौ संतरणकौशलम् अज्ञास्यत् तर्हि जलात् नाभेष्यत्।
यदि वह तैरना जानता तो पानी से न डरता।
  • 49. वृक्षम् आरुह्य असौ सुगन्धिपुष्पसंभारां क्षुद्रशाखां बभञ्ज।
उसने पेड़ पर चढ़कर सुगन्धित पुष्पों से लदी हुई एक छोटी टहनी को तोड़ दिया।
  • 50. केन साधारणीकरोमि दुःखम्?
किसके साथ मैं अपना दुःख बाँट सकता हूँ?
  • 51. निद्राहारौ नियमात्सुखदौ।
निद्रा और आहार नियम के साथ सुख देने वाले होते हैं।
  • 52. बुभुक्षितं न प्रतिभाति किञ्चत्।
भूखे व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता।
  • 53. शनैः शनैश्च भोक्तव्यं स्वयं वित्तमुपार्जितम्।
मनुष्य को स्वयं कमाए हुए धन का उपभोग धीर-धीरे करना चाहिये।
  • 54. विषयप्यमृतं क्वचिद् भवेदमृतं वा विषमीश्वरेच्छया।
ईश्वर की इच्छा से विष कहीं अमृत हो जाता है और अमृत कहीं विष हो जाता है।
  • 55. अङ्गारः शतधौतेन मलिनत्वं न मुञ्चति।
सौ बार धोने पर भी कोयला कालेपन को नहीं छोड़ता है।
  • 56. अतीत्य हि गुणान्सर्वान् स्वभावो मूर्ध्नि तिष्ठति।
स्वभाव सक गुणों को लांघकर सिर पर सवार रहता है।
  • 57. भूयोऽपि सिक्तः पयसा घृतेन न निम्बवृक्षो मधुरत्वमेति।
दूध अथवा घी से बार-बार सींची गई नीम भी मीठी नहीं हो सकती है।
  • 58. सर्वत्र विजयमिच्छेत् पुत्रात् शिष्यात् पराभवम्।
मनुष्य सब जगह विजय की ही इच्छा करे, किन्तु पुत्र और शिष्य से हार जाना पसन्द करे।
  • 59. स्थानभ्रष्टा न शोभन्ते दन्ताः, केशाः, नखाः, नराः।
अपने स्थान से गिरे हुए दाँत, बाल, नाखून और मनुष्य अच्छे नहीं लगते।
  • 60. सर्वस्य जन्तोर्भवति प्रमोदो विरोधिवर्गे परिभूयमाने।
अपने शत्रु-पक्ष की पराजय से सभी प्राणियों को प्रसन्नता होती है।
  • 61. यद्यपि शुद्धं लोकविरुद्धं नाचरणीयम्।
यद्यपि शुद्ध है, किन्तु लोक के विरुद्ध है, तो उसे नहीं करना चाहिये।
  • 62. रिक्तपाणिर्न पश्येत् राजानं देवतां गुरुम्।
राजा, देवता और गुरु से खाली हाथ नहीं मिलना चाहिये।
  • 63. यथा हि कुरुते राजा प्रजास्तमनुवर्तते।
राजा जैसा आचरण करता है प्रजा उसी का अनुसरण करती है।
  • 64. ये गर्जन्ति मुहुर्मुहुर्जलधरा वर्षन्ति नैतादृशाः।
जो बादल बार-बार गरजते हैं, वे बरसते नहीं।
  • 65. धर्मं जिज्ञासमानानां प्रमाणं परमं श्रृतिः।
धर्म को जानने की इच्छा करने वाले लोगों के लिए वेद परम प्रमाण है।
  • 66. यदेव रोचते यस्मै भवेत्तत्तस्य सुन्दरम्।
जो जिसे भा जाए, वही उसके लिए सुन्दर है।
  • 67. मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।
मनुष्यों का मन ही समस्त बन्धनों का कारण है और वही इनसे मोक्ष कारण भी है।
  • 68. लिखितमपि ललाटे प्रोज्झितुं कः समर्थः?
ललाट पर लिखे को कौन मिटा सकता है?
  • 69. लोभात्क्रोधः प्रभवति लोभात्कामः प्रजायते।
लोभ से क्रोध होता है। लोभ से कामनाएँ होती है।
  • 70. सन्तोषेण विना पराभवपदं प्राप्नोति सर्वो जनः।
सभी लोग सन्तोष के बिना दुःख को प्राप्त करते हैं।
  • 71. पुराकाले धौम्यमहषेर्ः आश्रमः आसीत्। तत्र एकदा महती वृष्टिः जाता। कृषिक्षेत्रं प्रति अधिकं जलम् आगच्छति स्म। ‘तत् रुणद्धु ’ इति शिष्यं अवदत् धौम्यः। शिष्यः मृत्तिकया जलप्रवाहं रोद्धुम् प्रयत्नम् अकरोत् किन्तु सः न शक्तः। अन्ते स्वयम् एव तत्र शयनं कृत्वा जलप्रवाहं रोद्धुम् अयतत। बहुकालानन्तरम् अपि शिष्यः न प्रत्यागतः इत्यतः धौम्यः स्वयं कृषि क्षेत्रम् अगच्छत्। शिष्यस्य साहसं दृष्ट्वा सन्तुष्टः गुरुः तस्मै ज्ञानम् अद्दात्। तस्य शिष्यस्य नाम आसीत् आरुणिः। उद्दालकः इति तस्य ऊपरं नाम।
प्राचीन समय में धौम्य महर्षि का आश्रम था। वहाँ एक बार भारी वर्षा हुई। खेत में बहुत जल आ रहा था। ‘उसे रोको’ ऐसा धौम्य ने शिष्य से कहा। शिष्य ने मिट्टी से जल के प्रवाह को रोकने का प्रयत्न किया किन्तु वह ऐसा नहीं कर सका। अन्त में स्वयं ही वहाँ सोकर जलप्रवाह को रोकने के लिए प्रयत्नशील हुआ। बहुत समय बाद भी शिष्य नहीं लौटा तब धौम्य स्वयं खेत गये। शिष्य के साहस को देखकर सन्तुष्ट गुरु ने उसे ज्ञान प्रदान किया। उस शिष्य का नाम आरुणि था उसी का दूसरा नाम उद्दालक था।
  • 72. एकः संन्यासी आसीत्। तस्य हस्ते सुवर्ण कङ्कणम् आसीत। संन्यासी अघोषयत् यत् ‘परमद्ररिद्रस्य कृते एतत् दास्यामि।’ बहवः दरिद्राः आगताः। संन्यासी कस्मैचिदपि सुवर्णकङ्कणं न अददात्। एकदा तेन मार्गेण राजा आगतः। संन्यासी तस्मै सुवर्णकङ्कणम् अददात्। ‘‘अहं राजा। मम विशालं राज्यम्, अपारम् ऐश्वर्यं च अस्ति। अहं दरिद्रः न। तथापि मह्यं किमर्थम् एतत् दत्तम्?’’ इति राजा अपृच्छत्। ‘राज्यं विस्तारणीयम्। सम्पत्तिः वर्धनीया इत्येवं भवतः बह्नयः आशाः। यस्य आशाः अधिकाः स एव दरिद्रः। अतः मया भवते सुवर्णकङ्कणं दत्तम्’ इति अवदत् संन्यासी।
एक संन्यासी था। उसके हाथ में सोने का कंगन था। संन्यासी ने घोषणा की कि ‘सर्वाधिक दरिद्र को यह (कंगन) दूँगा।’ अनेक दरिद्र आये, संन्यासी ने किसी को भी वह सोने का कंगन नहीं दिया। एक बार उस रास्ते से राजा आया। संन्यासी ने उसे सोने का कंगन दिया। ‘‘मै राजा हूँ, मेरा विशाल राज्य और अपार ऐश्वर्य है। मैं दरिद्र नहीं हूँ, फिर भी मुझे किसलिये यह दिया?’’ ऐसा राजा ने पूछा। ‘राज्य का विस्तार करना चाहिये, सम्पत्ति को बढ़ाना चाहिये, इस प्रकार की आपकी बहुत सारी आशाएँ हैं। जिसकी आशाएँ अधिक है वही दरिद्र है। अतः मैंने आपको यह स्वर्ण कंगन दिया’’। ऐसा संन्यासी ने कहा।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Saloni kumari on 13-03-2024

Vah aadmi pranam karne yogya hai

Noo on 18-02-2024

Rama jaipur mein padhti hai

Sohan padne me tej hai on 09-02-2024

Sohan padhne me tej hai in Sanskrit anuvad


Juie on 02-02-2024

Kal ramesh kaha gaya tha

Babli kumari on 11-01-2024

Ram Pustak ka dam puchta hai

Ram likhta on 09-01-2024

Ram likhta
Shyam daudta hai
Ram jata hai

anil kumar bhartiya on 04-01-2024

राधा गांव में रहती hai


Question on 02-01-2024

Es chitra ma sb bache pad rhi hai



रोयल हंसराज रोयल हंसराज on 12-11-2018

किसान अन्न के ढेरों पर बैठे थे।

यह फूल लाल है on 01-05-2019

यह फूल लाल है

गीता पुस्तक पढति हैं on 12-05-2019

गीता पुस्तक पढति
हैं

शुभम on 12-05-2019

राम के पास दो फूल हैं ।


मुकेश कुमार on 12-05-2019

राम के पास दो फूल हैं।

Gyandatt on 12-05-2019

Ram or pas do pool hai

Shubh singh bhadouria on 12-05-2019

वह पैर से लंगडा है

ByAtul on 12-05-2019

By atul ke sawalo ke jawab

Alina on 12-05-2019

Ram k pass do phool h

Ram ke pass two fool hai on 12-05-2019

Ram


Seema on 12-05-2019

What I do?

Tum sab khele on 13-05-2019

Translate in Sanskrit ( tum sab khele)

Aryan on 13-05-2019

Translate in Sanskrit (be sab doodh peete hai)

rohit jaiswal on 14-05-2019

tum dono paani peete ho translate in sanskrit

पूछे on 15-09-2019

चिकित्सक ने उसे दव दी

पूछे on 15-09-2019

चिकित्सक ने उसे दवा दी

हिंदी से संस्कृत में अनुवाद on 17-10-2019

राम बाजार जाता है

पीयूष on 19-10-2019

हमलोग दही खाते हैं

MD Shakir Ahmad on 19-10-2019

King Dashrath had four sons . translate into sanskrit

Kumhar on 04-12-2019

Kumhar Bartan banata hai

सुरेन्द्र कुमार on 08-01-2020

दूध से दही बनता है। सँस्कृत में अनुवाद बताईये।

Siya on 08-01-2020

संस्कृतेन अनुवादं कुरुता
(संस्कृत में अनुवाद कीजिए। Translate into Sanskrnit
(क) उद्यान के फूल सुंदर हैं।
(ख) वे सब कृष्ण का चित्र देखते हैं
(ग) विद्यालय का भवन विशाल है।
(घ) यमुना का जल काला है।
(ङ) झरनों का पानी स्वच्छ होता है।​


Swati Singh on 07-02-2020

Baag Mein Phool Khile Hain

Aakanksha kumari on 10-02-2020

इस साल ठंड बहुत है का संस्कृत मे अनुवाद करे ।

Pankaj Lochan on 18-02-2020

Translate Tum sab paani peete ho in Sanskrit

Mohan kumar on 22-02-2020

रोहन पानी में तैरता है।

Deenanath yadav on 05-05-2020

Wee sab fool hai

हिमांशु on 09-05-2020

आ रहे हैं

A on 03-06-2020

बाग में फूल खिलते हैं

A on 03-06-2020

Translate it in sanskrit

Gn send on 10-06-2020

Mohan bazzar gya tha

Autansh on 11-06-2020

नियमों का पालन करना है translate in sanskrit


Sonit Shandilya on 12-06-2020

पिता जी बैठे हैं

Anurag pandey on 05-07-2020

Bagiche mein phool khilte hai?

Go ursv on 05-07-2020

Yahan sab subah uthte hain convert into sanskrit

Aj on 08-07-2020

Tumhare pita hi Kiya karte hai

Saurav on 08-07-2020

Sarovar me full khilte hai translate in sanskrit

Yah fool hai on 22-07-2020

Yah fool hai

Shravasti on 10-08-2020

Lata mein phool khilte hain

Himanshu on 15-08-2020

Tumhare pitaji aaye hain? In sanskrit language?

Pritam Maity on 17-08-2020

Bagh me phool khile hen

d S on 24-08-2020

Mujhe laddu pasand hai anuvad Sanskrit main

Satweek Kumar on 27-08-2020

Ve donon Udyan mein khelte hain Sanskrit Mein anuvad karo

Paras on 03-09-2020

फूल खखलता है I

Ash ka asti on 08-09-2020

Iska answee

Ash ka asti on 08-09-2020

Aash ka asti

Poonam on 13-09-2020

Vha sb phool bahut sundar h


Sachin Meena on 19-09-2020

तुम सब कूदते हो

Shivani kumari singh on 22-09-2020

Humlog sanskrit phadte

Khushboo on 25-09-2020

Surya Ka rang lal hota hai

Shiven on 30-09-2020

Sakha par tin fool hai

Siddharth jha on 02-10-2020

यह सब फूल सुंदर है

hindi on 08-10-2020

वे दोनों छात्राएं हैं

Amar kumar on 10-10-2020

Ham log khet me baithe hai

Sanskrit me anunad kare on 17-10-2020

Udyan me mor Chal raha hai ka Sanskrit me anuvad kariye

Ravi on 19-10-2020

ब्रह्मचारी को सब शुभ गुण प्राप्त हो जाते है(भीष्म पितामह)

Zainab on 16-11-2020

Sarovar Mein Phool Khilte Hain

Muskan katiyar on 17-11-2020

राम ने चित्र देखा

Advika on 27-11-2020

Mai jal ke Bahar nhi rahe sakta hoo

Tulika Bagchi on 27-11-2020

Kamal sunder pushpa hai

Mahin on 28-11-2020

Wah bahwan hai

Vijay on 02-12-2020

Ya do phool hai


Mor Dhire Dhire Chalti Hai on 02-12-2020

Mor Dhire Dhire Chalti Hai

Rekha on 03-12-2020

Falo se bhare saskrit me translate

Name Nand Kishor on 04-12-2020

उद्यान में फूल खिल रहे हैं।

Amit on 05-12-2020

Bah baghh tha

Amit on 05-12-2020

Ch baghh tha

Rohit thakur on 07-12-2020

Phoolon se bhare hue

Shreya on 09-12-2020

बालिका फूलों की खुशबू सूंघ रही है

Main dudh pita hun main on 16-12-2020

Please issa Sanskrit ma translation

Jaj on 16-12-2020

Mere pass pach phool hai

Nhns on 16-12-2020

Mere pass 5phool hai

Mohan cal Bajar jaega on 21-12-2020

, Mohan cal Bajar jaega

Diksha on 21-12-2020

अमृता देव की छोटी बहन हैं

Saniya on 22-12-2020

Udyaan ma full khil rha h

ईशा on 23-12-2020

वहाँ अनेक फूल है?

Himanshu on 24-12-2020

Bhanwari phoolon se madhya Pradesh hai Sanskrit mein anuvad

Ytm on 24-12-2020

वे सब बोलती है का संसक्रत

Ranu kumari on 24-12-2020

Uske Charon Taraf vriksh aur Phool Hai

Saniya on 24-12-2020

Mere paas 5 fal hai

Kk pal on 29-12-2020

Ye chitra bhut sundar hai

Aditya on 08-01-2021

हम दोनों ये फूल लेकर आए हैं

Pooja on 10-01-2021

Van mein bahut sare phool hai

Deepak Kumar on 14-01-2021

तुम दोनो पुस्तक पढ़ रहे थे।

Ayan on 15-01-2021

Waha nagar ma rhata hai

अनंत on 16-01-2021

हम बाग को गए

Hm log Yaha baithe hai on 16-01-2021

Hm log Yaha baithe hai

Ajad Gupta on 17-01-2021

yah phool Hai

R.S.Thakur on 18-01-2021

वृक्ष पर तीन वानर है। -का संस्कृत में अनुवाद।

Harshita on 18-01-2021

Do dhobhi kapde doh raha hai.

हवं on 19-01-2021

भवंत: कति सहोदरा:

Sujit kumar on 22-01-2021

तुम लोग फूल को देखो

Abhay Raj on 28-01-2021

वह पुजा के लिए फुल लाती है

Jyoti on 30-01-2021

Kamal ki mata ek adhiyapika hai

Saloni Singh on 31-01-2021

Nadi me dono or vriksh hai

Ayush on 31-01-2021

Veh mujhe pustak deta hai

Mohan aur Sohan Ghar jaenge on 04-02-2021

Mohan aur Sohan Ghar jaenge

Vipin chaurasiya on 11-02-2021

सोहन मोहन के साथ बाजार जाता है

Pooja on 12-02-2021

Ye sb pustake hain



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