Rashtriya Aay Ki Ganana Ka Aadhaar Varsh राष्ट्रीय आय की गणना का आधार वर्ष

राष्ट्रीय आय की गणना का आधार वर्ष



GkExams on 18-12-2018


राष्ट्रीय आय की माप का अनुमान 1868 में दादाभाई नौरोजी में प्रकाशित किया। इन्होंने अपनी पुस्तक 'The poverty and Un- British Rule in India' में भारत की राष्ट्रीय आय 340 करोड रुपए और प्रति व्यक्ति आय ₹20 बताया था। 1911 में फिण्डले शिराज ने भारत की राष्ट्रीय आय 1,942 करोड़ रुपए और प्रति व्यक्ति आय ₹49 बताया था। 1913-14 मैं B.P. वाडिया और M.N. जोशी ने लगभग 44.5 रुपए प्रति व्यक्ति आय का अनुमान लगाया। 1931-32 में VKRV राव ने राष्ट्रीय आय का अनुमान 1,689 करोड़ रुपए और प्रति व्यक्ति आय ₹44 बताया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात केंद्रीय सरकार ने 4 अगस्त 1949 ईस्वी में एक राष्ट्रीय आय समिति की नियुक्ति की और इसके अध्यक्ष प्रोफेसर पी सी महालनोविस को नियुक्त किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1949 में गठित राष्ट्रीय आय समिति ने प्रति व्यक्ति आय 246.9 रूपय का अनुमान लगाया।


राष्ट्रीय आय की गणना करने के लिए शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से अप्रत्यक्ष करों को घटा दिया जाता है साथ ही इसमें सरकार द्वारा दी गई सहायता राशि को जोड़ दिया जाता है। इससे जो आय की प्राप्ति होती है उसे राष्ट्रीय आय कहा जाता है।

राष्ट्रीय आय = NNP - अप्रत्यक्ष कर + सब्सिडी

राष्ट्रीय आय की गणना पहले स्थिर कीमत और चालू कीमत के आधार पर की जाती थी पर अब यानी 2011 से सिर्फ चालू कीमत पर की जाती है। भारत में राष्ट्रीय आय गणना का सर्वमान्य प्रमाणित संस्था केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) है।
राष्ट्रीय आय की माप : राष्ट्रीय आय की माप की तीन विधियां है –
(i) आय गणना विधि : आय गणना विधि के अंतर्गत कुल लगान कुल मजदूरी आदि को सम्मिलित करते हैं यानी विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों के वेतन आदि के रूप में प्राप्त आय को सम्मिलित करते हैं।
(ii) उत्पादन गणना विधि : उत्पादन गणना विधि को वस्तु सेवा विधि भी कहते हैं। इस विधि के द्वारा एक वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मूल्य को सम्मिलित करते हैं। इस विधि के अंतर्गत उत्पादन, खनन, मत्स्य उद्योग, कृषि, पशुपालन और वानिकी को सम्मिलित करते हैं। यानी इसके अंतर्गत वित्तीय क्षेत्र को सम्मिलित करते हैं।
(iii) व्यय गणना विधि : इस विधि को उपभोग बचत विधि भी कहा जाता है इस विधि में कुल उपभोग और कुल बचत को सम्मिलित करते हैं।
विकासशील देशों में राष्ट्रीय आय के अनुमान का सर्वश्रेष्ठ विधि आय गणना विधि है। क्योंकि कृषि क्षेत्र से कम आय की प्राप्ति होती है। निगम क्षेत्र से अधिक आय की प्राप्ति होने के कारण इस विधि का उपयोग किया जाता है। जबकि भारत जैसे विकासशील देशों में आय गणना और उत्पादन गणना विधि दोनों का उपयोग किया जाता है। तीनों विधियों में सबसे उपयुक्त आय गणना विधि है। इसी विधि का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। राष्ट्रीय आय समिति और केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने आय और उत्पादन विधि को मान्यता प्रदान किया है।

राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं :

सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product - GDP) :

किसी देश में 1 वर्ष के दौरान उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य अथवा बाजार मूल्य को उस देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहा जाता है। GDP (सकल घरेलू उत्पाद) क मापन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक एक पुस्तक सिस्टम ऑफ़ नेशनल अकाउंट्स (1993) में निहित हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, यूरोपीय संघ, आर्थिक सहयोग और विकास के लिए संगठन, सयुंक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के द्वारा तैयार किया गया।

GDP (सकल घरेलू उत्पाद) = उपभोग + सकल निवेश + खर्च + (निर्यात - आयात)
या
GDP = C + I + G + (X − M)

★ भारत में वर्ष 2016-17 में GDP वृद्धि दर 7% दर्ज करने के बाद 2017-18 में GDP दर 7 से 7.5% रहने का अनुमान लगाया गया।
★ भारत की जीडीपी दर 2014-15 से 2017-18 तक औसतन 7.3% रही।
★ वर्ल्ड बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष (2018-19) में भारत की विकास दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
★ विश्व बैंक के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.5 फीसदी के स्तर पर रहेगी।

शुद्ध घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product - NDP)

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में से लागत को घटा देने के बाद जो शेष बचता है उसे शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP) कहते हैं।

NDP = GDP – लागत

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product - GNP) :

किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) कहते हैं। जीएनपी में यहां से विदेशों में जाने वाली आय और विदेशों से यहां आने वाली आय को सम्मिलित करते हैं।

GNP = GDP + X–M

  • X = विदेशों से आने वाली आय।
  • M = विदेशियों द्वारा देश में अर्जित की गई आय।
  • Y = देश से विदेश में जाने वाली आय।

यानी X=Y होने पर GNP = GDP होगा। किसी अर्थव्यवस्था में आयात निर्यात बंद होंगे तो X–Y = 0 होगा यानी वहां पर GNP=GDP होगा।

शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product- NNP) :

सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से लागत घटा देने पर प्राप्त आय को शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) कहते हैं। NNP से देश के उपभोग, बचत, निवेश हेतु उपलब्ध राशि का बोध NNP की करना की दो विधियां है –
  1. वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार कीमतों पर।
  2. कुल उत्पादन की उत्पादन साधन लागत रूप में।
प्रति व्यक्ति आय (Per capita income - PCI) - राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भाग फल आता है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। प्रति व्यक्ति आय = राष्ट्रीय आय (National income) ÷ देश की कुल जनसंख्या
व्यक्तिगत आय (Personal income) - देश की जनता द्वारा एक वित्तीय वर्ष में प्राप्त आय को व्यक्तिगत आय करते हैं।

आर्थिक विकास - प्रति व्यक्ति वास्तविक आय में लगातार और दीर्घकालीन वृद्धि को आर्थिक विकास कहते हैं।

आर्थिक विकास = आर्थिक समृद्धि + परिवर्तन

परिवर्तन के अंतर्गत तकनीकी परिवर्तन (कृषि) और संरचनात्मक परिवर्तन (उद्योग) है।

राष्ट्रीय संपत्ति - राष्ट्रीय संपत्ति से आशय एक विषय समय बिंदु पर किसी देश के लोगों के पास उपस्थित वस्तुओं के संग्रह से है।

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) की स्थापना 1951 में हुई। इसका का मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह संगठन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत कार्य करता है। उद्योग क्षेत्र में सर्वे एवं सांख्यिकी कार्यों हेतु इसकी एक इकाई कोलकाता में भी कार्यरत है। CSO ने अपना पहला आकड़ा 1956 में प्रकाशित किया।

भारत सरकार को तीन क्षेत्रों से आय की प्राप्ति होती है –
प्राथमिक - प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत कृषि, वन, मछली पालन, खनन आदि आते हैं।
द्वितीय - द्वितीय क्षेत्र के अंतर्गत उद्योग निर्माण कार्य बिजली गैस और जल आपूर्ति आदि आते हैं।
तृतीय - तृतीय क्षेत्र के अंतर्गत परिवहन, संचार, व्यापार, बैंकिंग, सेवा क्षेत्र आदि क्षेत्र आते हैं।

★ देश स्वतंत्र होने के पश्चात प्राथमिक क्षेत्र से 55%, द्वितीय क्षेत्र से 25% और तृतीय क्षेत्र से 20% आय की प्राप्ति होती थी।
★ वर्तमान समय में तृतीय क्षेत्र से सबसे अधिक (58 - 59 %) आय की प्राप्ति होती है।
★ द्वितीय क्षेत्र से 28% आय की प्राप्ति होती है।
★ प्राथमिक क्षेत्र से 14 - 16% आय की प्राप्ति होती है।
★ राष्ट्रीय की माप का आधार वर्ष 2011-12 को माना जाता है। 2011-12 चालू कीमत के आधार पर है। इसके पहले 2004-5 था जिसका आधार थोक कीमत और चालू कीमत दोनों था।
★ निर्धनता रेखा का निर्धारण NSSO करते हैं। जबकि विश्व विकास रिपोर्ट विश्व बैंक तैयार करता है।
★ मानव विकास सूचकांक Human Development Index - HDI तैयार करता है।
★ मानव विकास सूचकांक पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबुल-उल-हक द्वारा बनाया गया।
★ भारत सरकार ने मानव विकास रिपोर्ट अप्रैल 2003 में जारी किया। मध्य प्रदेश भारत का पहला राज्य है जिसने मानव विकास रिपोर्ट तैयार किया।



Comments Anjali on 17-01-2024

Rashtriy aay ka arth

Arvind joshi on 17-10-2023

Rastiy aay Bharat ki ३saal

Khileshwari sahu on 26-06-2023

राष्ट्रीय आय की गणना कब से कब तक की जाती है


Rani on 24-08-2022

Rashtriy aay ki ganana ka Aadhar varsh kya hai

RANVIJAY pandit on 16-07-2022

Present me Bharat ki national income ki base years h

Rachna rao on 07-05-2022

Harit kranti kya hai rajniti shastr

Prem Nishad on 17-08-2021

राष्ट्रीय आय की गणना कब से कब तक की जाती हैं


1968 hai year (Rani) on 12-07-2021

1968-89 year ans hai (Rani)



Meena thapa on 23-04-2020

वर्तमान में राष्ट्रीय आय की गणना मैं आधार वर्ष कौन सा है



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