Jal Me Rehne Wale Pakshi जल में रहने वाले पक्षी

जल में रहने वाले पक्षी



GkExams on 23-02-2019

जलीय पक्षियों का महत्व
अधिकांश जलीय पक्षी ठंड के प्रवासी होते हैं। अतः उनकी उपस्थिति ठंड के आगमन की सूचना देती है। जलीय पक्षी जलीय क्षेत्रों के कीट पतंगे, मछलियों, मेंढ़क तथा घोंघे जैसे जलीय जन्तुओं का खाकर जैविक नियंत्रण करते है। जलीय क्षेत्रों के स्वस्थ वातावरण का अनुमान पक्षियों को देखकर लगाया जा सकता है। पक्षी जलीय पौधों की वृद्धि पर नियंत्रण रख जलीय तंत्र की आॅक्सीजन उपलब्धता को बढ़ाते है। यह जलीय पौधों की वृद्धि के लिए हानिकारक जलीय जन्तुओं जैसे केंकड़े, घोघें आदि का भ्रमण करते हैं या खाने योग्य मछलियों के परभक्षी जंतुओं को नष्ट करते हैं। यह अपनी नाइट्रोजन तथा फास्फोरस युक्त विष्ठा के जल में उत्सर्जन से जल तथा मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते है।



जलीय पक्षियों के प्रकार
संसार की कुल 12,000 पक्षियों की प्रजाति में लगभग 1300 प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है। मध्यप्रदेश की लगभग 250 प्रजातियों में से लगभग 100 प्रकार की पक्षी प्रजाति जलीय है। इन्हे भोजन, आवास, प्रवास तथा शारीरिक संरचना के आधार पर वर्गीकरण दिया गया है।



बत्तख तथा हंस प्रजाति: यह दो प्रकार के होते हैं, डुबकी लगाने वाले जैसे नीलसिर बत्तख ,सींक पर, लाल सिर बत्तख तथा सतह पर भी रहने वाले जैसे गिरी बत्तख, गुगुरल बत्तख, हंस, छोटी सिल्ही, पीलासर बत्तख, तिदारी बत्तख आदि।



जलमुर्गियाँ : इनमें वह जलीय पक्षी आते हैं जो बत्तख जैसे दिखते है पर बत्तख नहीं होते। उदाहरण के लिये टिकड़ी ,पनडुब्बी, जकाना आदि।



वेडर: यह लंबे पैरों वाले पक्षियों का समूह है जो पैरों की लंबाई के अनुसार पानी की गहराई से भोजन ढूँढ़ते है। जैसे सारस, बलाक, बुज्जा, हंसावर, चमचा आदि।



जलकाक: इस समूह में मछलीखोर पक्षियों का समूह जैसे पनकौआ, बम्बे आदि है।



उभयचर पक्षी - इस प्रकार के समूह में पक्षी पानी में नही पाये जाते परन्तु पानी के समीप रहकर जलीय भोजन पर निर्भर करते है। जैसे किलकिला, कुरर, बाटन, धोबिन, टिटहरी, धोमरा आदि।



जलीय अनुकूलन हेतु संरचनात्मक विशेषताएँ:
अ. लंबी गर्दन तथा लंबा चोच: ब्लाक, अंचल, बगुले आदि जलीय पक्षी लंबी मोटी गर्दन तथा चोंच की सहायता से मछली व अन्य जलीय जंतुओं का शिकार करते है।
ब. लंबे पैर : सारस, बलाक, बुज्जा, हंसावर, चमचा आदि लंबे पैरों की सहायता से पानी में भोजन ढूँढ़ते है।
स. लंबी अंगुलियाँ: जसाना, जलमुर्गी आदि की अंगुलिया मजबूत तथा लंबी होती हैं जिससे वे जलीय पौधों की पत्तियों पर चल सकते है।
द. पंखों पर मोम की परत: बत्तख, पनडुब्बी, टिकड़ी, हवासिल आदि के पंखों में तेल की गं्रथियाँ होती हैं जो उन्हे जलरोधन बनाती है।
ई. झिल्ली युक्त पैर: बत्तख, हवासिल, पनकौए आदि पक्षियों के झिल्ली युक्त पैर होते है जो इन्हे तैरने में मदद करते है।



चोंच की बनावट: जलीय पक्षियों की चोंच की बनावट उनकी भोजन आदतों के अनुसार होती है जैसे -
1. आगे से चपटी: बत्तख में जलीय वनस्पति को कुतरकर खाने में मदद करते है।
2. चम्मच आकार की: पधीरा, धीमरा, कुररी पानी के ऊपर उड़ते हुए मछली का शिकार करने मे मदद करती है।
3. लंबी सीधी या मुड़ी हुई: कीचड़ में कीड़े या जलीय जंतु ढूँढ़ने में मदद करती है। जैसे बाटन, गुडेरा
4. भालेनुमा: बगुले, किलकिला, बाम्बे आदि मे मछली पकड़ने में मदद करते है।
5. छलनीयुक्त चोंच: हंसावर आदि में कीचड़ छानकर भोजन ढूँढ़ने में मदद करते है।
6. थैलीनुमा: हवासिल भोजन की थैली में भोजन एकत्रित कर खाने में मदद करते है।
7. दरांतीनुमा चोंच: पनकौआ मछली पकड़ने में मदद करती है।
8. लम्बी तथा आगे से चपटी: चमचार जैसे पक्षियों में पानी छानकर जलीय जंतु ढूढ़ने में मदद करते हैं।



नीड़न: बत्तख, जलमुर्गी, हंस आदि प्रजाति जलीय पौधों पर तैरते हुए घोसलें बनाते है। जबकि बगुले, बुज्जा, ब्लाक, हंसावर, चमचा आदि प्रजातियाँ पेड़ों पर घोसला बनाती है। टिटहरी, कुररी, किलकिला, सारस, आदि जमीन पर अंडे देते है।






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Comments Vipul Patel on 13-01-2024

Aisa kaunsa pakshi hai Jo Pani me raheta hai aur usko ek taang hai aur pankh hone Ke bavjood udd. Nahi paata

Shubham Mishra on 26-09-2023

लाल से शुरू होने वाला पक्षी "लालसर" पक्षी है

Jagdish on 17-08-2023

Lal se suru hone wale water bird ka naam


Aslam Baig on 22-06-2023

जल में रहने वाला एक पक्षी जिसका नाम लाल से शुरू होता है

दीपांशी on 01-03-2023

जल में रहने वाला एक प्रकार का पक्षी जिसका नाम लाल से शुरू होता है

Jaliye pakshi klliyee nam on 01-03-2023

Jaliye paksshi ke nam

Jaliyai pakshi ke naam on 05-01-2023

Jaliyai pakshi ke naam


Sanjayji on 07-10-2022

बगला को अग्रेजी मै किया कहते है





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