धूनीवाले Dadaji History In Hindi धूनीवाले दादाजी हिस्ट्री इन हिंदी

धूनीवाले दादाजी हिस्ट्री इन हिंदी



GkExams on 07-02-2019

दादाजी धूनीवाले की गिनती भारत के महान संतों में की जाती है। दादाजी धूनीवाले का अपने भक्तों के बीच वही स्थान है जैसा कि शिरडी के साँईबाबा का। दादाजी (स्वामी केशवानंदजी महाराज) एक बहुत बड़े संत थे और लगातार घूमते रहते थे। प्रतिदिन दादाजी पवित्र अग्नि (धूनी) के समक्ष ध्यानमग्न होकर बैठे रहते थे, इसलिए लोग उन्हें दादाजी धूनीवाले के नाम से स्मरण करने लगे।

शिव और दत्त अवतार

दादाजी धूनीवाले को शिव तथा दत्तात्रेय भगवान का अवतार मानकर पूजा जाता है और कहा जाता है कि उनके दरबार में आने से बिन माँगी दुआएँ भी पूरी हो जाती हैं।दादाजी का जीवन वृत्तांत प्रामाणिक रूप से उपलब्ध नहीं है, परंतु उनकी महिमा का गुणगान करने वाली कई कथाएँ प्रचलित हैं।

दरबार

दादाजी का दरबार उनके समाधि स्थल पर बनाया गया है। देश-विदेश में दादाजी के असंख्य भक्त हैं। दादाजी के नाम पर भारत और विदेशों में सत्ताईस धाम मौजूद हैं। (दिल्ली, इंदौर,कोटा, श्री गंगानगर, जयपुर, रीसेरी, जलगांव, साईं खेड़ा, मनवेल ता यावल, निमगव्हान ता चोपडा,आदि I) इन में से केई स्थानों पर दादाजी के समय से अब तक निरन्तर धूनी जल रही है। सन् 1930 में दादाजी ने मध्य प्रदेश के खण्डवा शहर में समाधि ली। यह समाधि रेलवे स्टेशन से 3 किमी की दूरी पर है। इंदौर में श्री दादा जी के भवया संगमरमर का मण्डिर है lदादा दरबार दिल्ली में भी सँगैमेरेर का बना है l जिस का संचालन श्री छोटे सरकार जी ( श्री रामेश्वरदयाल जी) के देख रेख में होता है. श्री छोटे सरकार जी ने अन्य सथानो पर भी श्री दादा दरबार का निर्माण करवाया है. जैसे दिल्ली ,रेसरी(अलीगढ),जलगांव,जबलपुर, जयपुर ,श्री गंगा नगर,आगरा आदि l

छोटे दादाजी (स्वामी हरिहरानंदजी)

राजस्थान के डिडवाना गाँव में एक समृद्ध परिवार के सदस्य भँवरलाल दादाजी से मिलने आए। मुलाकात के बाद भँवरलाल ने अपने आप को धूनीवाले दादाजी के चरणों में समर्पित कर दिया। भँवरलाल शांत प्रवृत्ति के थे और दादाजी की सेवा में लगे रहते थे। दादाजी ने उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया और उनका नाम हरिहरानंद रखा।


हरिहरानंदजी को भक्त छोटे दादाजी नाम से पुकारने लगे। दादाजी धूनीवाले की समाधि के बाद हरिहरानंदजी को उनका उत्तराधिकारी माना जाता था। हरिहरानंदजी ने बीमारी के बाद सन 1942 में महानिर्वाण को प्राप्त किया। छोटे दादाजी की समाधि बड़े दादाजी की समाधि के पास स्थापित की गई।


श्री राम दयाल जी महाराज (बडे सरकार) की समाधि इंदौर में है I,यहाँ पर दादा जी का अति सूंदर मंदिर भी है l


सभी दादा दरबार के नियम अनुसार आरती पूजा नित की जाती है l


यह स्थान इंदौर रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर पर छत्तरी बाग़ में है l

कैसे पहुँचें

रेल मार्ग

खण्डवा मध्य एवं पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख स्टेशन है तथा भारत के हर भाग से यहाँ पहुँचने के लिए ट्रेन उपलब्ध है।

सड़क

इंदौर से 135 किमी, भोपाल 175 किमी के साथ-साथ रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग से आप खण्डवा पहुँच सकते हैं।

वायुमार्ग

यहाँ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देवी अहिल्या एयरपोर्ट, इंदौर 140 किमी की दूरी पर स्थित है।






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