राजस्थान में जनपद काल माना जाता है?
200ईसा पू. से 300 ईस्वी
300ईसा पू. से 300 ईस्वी☑
300ईसा पू. से 500 ईस्वी
500ईसा पू. से 700 ईस्वी
वर्तमान पूर्वी अलवर, धौलपुर, भरतपुर तथा करौली किस जनपद के क्षेत्र थे?
कुरू जनपद
शिवि जनपद
मत्स्य जनपद
शूरसेन जनपद ☑
राजधानी मथुरा
शूरसेन जनपद की राजधानी थी?
करकोर्टनगर
विराटनगर
इन्द्रपथ
मथुरा☑
वर्तमान में राज्य का कौनसा मत्स्य क्षेत्र कहलाता है।
पूर्वी भाग☑
उत्तरी भाग
मध्यवॄति भाग
दक्षणि भाग
मत्स्य जनपद की राजधानी थी?
करकोर्टनगर
विराटनगर☑
इन्द्रपथ
मेदपाट
मत्स्य शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख किस में मिलता है?
ऋग्वेद ☑
अर्थवेद
रामायण
महाभारत
By Dinesh jarwal@आदित्य दौसा राज
जहां मत्स्य निवासियों को किसका शत्रु बताया गया है।
सुदास का☑
भरत का
जरासन्ध का
उसिनारा
कुरू जनपद का मुख्य क्षेत्र था?
वर्तमान उतरी अलवर ☑
वर्तमान दक्षिणी अलवर
वर्तमान पूर्वी अलवर
वर्तमान पच्छिमी अलवर
वर्तमान किन जिलों को महाभारत काल में जांगल प्रदेश कहा जाता था?
बीकानेर और जोधपुर☑
बीकानेर और जालौर
जोधपुर और जालौर
बीकानेर और नागौर
कुरू जनपद की राजधानी थी?
मथुरा
विराटनगर
इन्द्रपथ☑
मेदपाट
मेदपाट क्षेत्र का सम्बन्ध् किस जनपद से है?
कुरू जनपद
शिवि जनपद☑
मत्स्य जनपद
शूरसेन जनपद
शिवि जनपद जनपद का उल्लेख किसमे मिलता है।
ऋग्वेद
रामायण
महाभारत
पाणिनी कृत अष्टाध्यायी ☑
यौद्धेय जाति का जनपद स्थापित हुआ?
उतरी राजस्थान ☑
दक्षिणी राजस्थान
पूर्वी राजस्थान
पच्छिमी राजस्थान
मेवाड़ प्रदेश (चितौड़गढ) नामकरण की दृष्टि से द्वितीय शताब्दी में शिव जनपद के नाम से प्रसिद्ध था इसकी राजधानी थी?
माध्यमिका☑
मथुरा
विराटनगर
इन्द्रपथ
प्रथम नगरीय सभ्यता सिंधुघाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता मानी जाती है इतिहासकारो ने किसे भारत के द्वित्तीय नगरीकरण की संज्ञा दी?
मौर्यकाल
गुप्तकाल
महाजनपद काल☑
शुंग व् कुषाण काल
ऋग्वेद में किस जनपद का उल्लेख आर्यो के मुख्य समूह के रूप में किया है?
कुरू जनपद
शिवि जनपद
मत्स्य जनपद☑
शूरसेन जनपद
मत्स्यों की प्राचीन राजधानी थी?
करकोर्टनगर
विराटनगर
इन्द्रपथ
उपाप्लव्य☑
मत्स्य जनपद पर चेदियो ने आक्रमण कर मत्स्यवासियो को बुरी तरह पराजित किया बाद किस राज्य ने अपने उत्तथान के साथ मत्स्य जनपद का अपने साम्रज्य में विलय कर लिया
मगध साम्राज्य☑
चेदियो ने
अवन्ती राज्य ने
कोशल राज्य ने
By Dinesh jarwal@आदित्य दौसा राज
मालवगण विषय का स्पष्ट उल्लेख मिलता है
नान्दसा यूपाभिलेख☑
मध्यमिका नगरी अभिलेख
ऋग्वेद
महाभारत
By Dinesh jarwal@आदित्य दौसा राज
नान्दसा नामक स्थान किस जिले में है?
चित्तौड़गढ़
बिकानेर
भीलवाड़ा☑
जोधपुर
नोट__भीलवाड़ा की सराड़ा तहसील
किस नगर से “मालवानाम जय: अथवा जय मालवानाम् ” उदघोष लिखे कुछ सिक्के प्राप्त हुए है?
करकोर्टनगर
विराटनगर☑
इन्द्रपथ
मध्यमिका नगरी
किसे मालवों ने अपनी राजधानी बनाया?
करकोर्टनगर
विराटनगर☑
इन्द्रपथ
मध्यमिका नगरी
कौन उत्तरी राजस्थान की कुषाण शक्ति को नष्ट करने में सफल हुए थे,लेकिन 145ई.के लगभग (शको )रुद्रदामन प्रथम से हार गए
यौधेय☑
मालव
अर्जुनायन
उपर्युक्त में से कोई नही
किसने अर्द्धराजसत्तात्मक शासन व्यवस्था को अपनायाजिनके प्रमुख नेता को महाराज सेनापति कहा जाता था?
यौधेय☑
मालव
अर्जुनायन
उपर्युक्त में से कोई नही
By Dinesh jarwal@आदित्य दौसा राज
अलवर में मत्स्य जनपद के निकट शाल्व जनपद थामहाभारत के अनुसार इसकी राजधानी थी?
करकोर्टनगर
विराटनगर
मृत्तिकावती☑
इन्द्रपथ
यौधेय किस साम्राज्य के अधिन हो गए थे?
मौर्य
गुप्त☑
शक
कुषाण
पंजाब से आकर राजस्थान में जनपदों का निर्माण करने वाली प्रमुख जातियाँ थी?
मालव और यौधेय
अर्जुनायन और मालव☑
अर्जुनायन और यौधेय
उपर्युक्त में से कोई नही
किस जनपद के आक्रमण ने मत्स्य जनपद के स्वतन्त्र अस्तित्व को समाप्त कर दिया था?
कुरू जनपद
शिवि जनपद
मत्स्य जनपद
चेदि जनपद☑
वर्तमान भीलवाड़ा -चित्तोड़गढ़ जिलो में प्राचीन काल में किस जनपद का अस्तित्व था?
कुरू जनपद
शिवि जनपद☑
मत्स्य जनपद
चेदि जनपद
By Dinesh jarwal@आदित्य दौसा राज
राजस्थान में प्राचीन काल में किस जनपद में बौद्ध धर्म का सर्वाधिक प्रभाव था?
कुरू जनपद
शिवि जनपद
मत्स्य जनपद☑
चेदि जनपद
स्वास्तिक चिन्ह् के साथ बैल का चित्रण राजस्थान के किस जनपद की मुद्राओं की विशेषता है?
कुरू जनपद
शिवि जनपद☑
मत्स्य जनपद
चेदि जनपद
राजस्थान में प्राचीन काल में अर्जुनायन जनपद किस क्षेत्र में स्थित था
गंगानगर-हनुमानगढ़
अलवर-भरतपुर☑
भीलवाड़ा -चित्तोड़गढ़
धौलपुर-करौली
By Dinesh jarwal@आदित्य दौसा राज
बुद्धकालीन 16 महाजनपदों में से किसका विस्तार राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र तक था
अंग
मगध
काशी
अवन्ती☑
किस गुप्त शासक ने राजस्थान के शिवि जनपद पर अपने राज्य का विस्तार किया था?
चन्द्रगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त
चन्द्रगुप्त द्वित्तीय☑
कुमारगुप्त
Bhartiy arthvyavastha Mein khanijo Ke yogdan par Prakash daliye
Bhartiya arthvyavastha Mein khanijo Ke yogdan par Prakash
राजस्थान के प्रमुख महाजनपद कौन कौन से है
Jilla Dungarpur Rajasthan ka janpad kaun sa hai
गंगानगर का जनपद
Nalanda vishwavidyalay kahan sthit hai
राजस्थान के प्रमुख जनपद
वैदिक सभ्यता के विकास क्रम में राजस्थान में में जनपदों का उदय देखने को मिलता है यूनानी आक्रमण के कारण पंजाब की मालवी श्री अरुण नायक आदि जाते जो अपने सास और सॉरी के लिए प्रसिद्ध थी राजस्थान में आई और यहीं पर निवास करने लगी इस प्रकार राजस्थान के पूर्वी भाग में जनपद शासन व्यवस्था का सूत्रपात हुआ प्रमुख जनपदीय थे-
जांगल-
वर्तमान बीकानेर और जोधपुर जिले के महाभारत काल में जांगल देश कहलाते थे कहीं-कहीं इसका नाम कुरु जंगल और मानदेय जंगल मिलता है इस जनपद की राजधानी पुत्री जिस समय नागौर कहते हैं बीकानेर के राजा इसे जांगल देश के स्वामी होने के कारण स्वयं को जांगल दरवाजा कहते थे बीकानेर राज्य के राज्य में भी जय जंगल धर बादशाह लिखा मिलता है
मत्स्य-
वर्तमान जयपुर के आसपास का क्षेत्र मत्स्य महाजनपद के नाम से जाना जाता है इसका विस्तार संभल के पास की पहाड़ियों से लेकर सरस्वती नदी के जंगल क्षेत्र तथा आधुनिक अलवर और भरतपुर के क्षेत्र 20 के अंतर्गत आते थे इसकी राजधानी विराटनगर थी जिसे वर्तमान में बेल्ट नाम से जाना जाता है मौर्य शासक बिंदुसार से पहले मत्स्य जनपद की स्पष्ट जानकारी का बाहें महाभारत में कहा गया है कि सहाज नामक एक राजा नीचे दी तथा मत से दोनों राज्यों पर शासन किया और मत्स्य से प्रारंभ में चेदि राज्य का और कालांतर में यह विशाल साम्राज्य का अंग बन गया
शूरसेन-
आधुनिक ब्रज क्षेत्र में यह महाजनपद स्थित था इसकी राजधानी मथुरा थी प्राचीन यूनानी लेखक इस राज्य को शूरसेन हुई तथा राजधानी को मैं थोड़ा कहते हैं महाभारत के अनुसार यहां यदुवंश का शासन था भरतपुर धौलपुर तथा करौली जिले के अधिकांश भाग शूरसेन जनपद के अंतर्गत आते हैं अलवर जिले को पूर्व भाग भी सुरसेन के अंतर्गत आता है वासुदेव के पुत्र श्री कृष्ण का संबंध इसी जनपद से था
शिवि-
शिवि जनपद की राजधानी शिवपुर थी तथा राजा सुशील ने उसे अन्य जातियों के साथ 10 राजाओं के युद्ध में पराजित किया था प्राचीन शिवपुर की पहचान वर्तमान पाकिस्तान के शार्ट नामक स्थान से की जाती हैं कालांतर में दक्षिणी पंजाब की यह सीवी जाति राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में निवास करने लगी चित्तौड़गढ़ के पास स्थित नगरी इस जनपद की राजधानी थी मेवाड़ के अनेक स्थानों से सीढ़ियों के सिक्के भी प्राप्त हुए हैं मंदसौर के पास पास वाले प्राप्त हुए हैं जिनसे शिवि जनपद का प्रसार पश्चिम से लेकर दक्षिण पूर्वी कोना ज्ञात होता है गणतंत्र आत्मक शासन प्रणाली के बावजूद इन जनपदों कुलीन परिवारों के हाथों में ही थी इन परिवारों के प्रतिनिधि संता गांव सभा के प्रमुख के रूप में शासन की व्यवस्था करते थे संता घर के सदस्य निर्धारित विषय पर अपने विचार व्यक्त कर सकते थे इसे अन्यू विरोध कहा जाता था इसी विवाद ग्रस्त होते थे उन पर मतदान कराया जाता था मतदान में बहुरंगी शंकाओं काम में ली जाती थी संस्थागत जनपदों की सबसे बड़ी संस्था थी राज्य के नीति के आधारभूत नियमों का निर्धारण इसी सभा में होता था विशाल राज्यों में केंद्रीय सरकार के अलावा प्रांतीय सरकार भी होते थे कालांतर में गुटबाजी एवं आपसी फूट के कारण इन राज्यों का पतन हुआ समकालीन राजतंत्र की विस्तार वादी नीति निर्णायक रूप से उनके पतन के लिए उत्तरदाई थी
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