Hindi Bhasha Aur Lipi Ka Itihas हिंदी भाषा और लिपि का इतिहास

हिंदी भाषा और लिपि का इतिहास



GkExams on 24-11-2022


देवनागरी लिपि के बारें में : भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत की लिपि को ‘देवनागरी लिपि’ कहा जाता है। यह लिपि बायीं ओर से दायीं ओर लिखी जाती है। जबकि फारसी लिपि (उर्दू, अरबी, फारसी भाषा की लिपि) दायीं ओर से बायीं ओर लिखी जाती है। इस लिपि का प्रयोग वैदिक युग के पूर्व से ही होता आ रहा है।

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देवनागरी लिपि (devanagari font) का प्रारंभिक रूप पहले सीधा-सादा था। सभ्यता के विकास के साथ इसे भी आकर्षक तथा व्यवस्थित करके वर्तमान रूप में लाया गया। ‘पाणिनि’ के व्याकरण-ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’ के अनुसार 11 स्वर और 33 व्यंजनों का समावेश हुआ ।


ध्यान रहे की इसके व्यंजन (devanagari keyboard) में 25 वर्ण स्पर्श, 4 वर्ण अंतःस्थ और 4 वर्ण हैं। यह देवनागरी लिपि का परिवार है। टंकण सुविधा की दृष्टि से वर्तमान में लिपि-संकेतों में आवश्यक परिवर्तन तथा संशोधन भी किया है। व्यंजनों में स्वराभाव दिखाने के लिए हलंत लगाना पड़ता है। देवनागरी लिपि में इनके वर्गीकरण को हम निम्नवत रूप (devanagari numerals) में समझ सकते हैं...


कंठ से उच्चरित ध्वनियाँ :


अ, आ, क, क़, ख, ख़, ग, ग़, घ, ड, ह और विसर्ग (ः)


तालु से उच्चरित ध्वनियाँ :


इ, ई, च, छ, ज, ज़, झ, ञ, य


मूर्धा से उच्चरित ध्वनियाँ :


ऋ, ट, ठ, ड, ड़, ढ, ढ़, ण, र, ल, ष


दंत से उच्चरित ध्वनियाँ :


त, थ, द, ध, न, स


ओष्ठ से उच्चरित ध्वनियाँ :


उ, ऊ, प, फ, ब, भ, म


नासिका से उच्चरित ध्वनियाँ :


ङ, ञ, ण, न, म और अनुस्वार (ं)


कंठतालु से उच्चरित ध्वनियाँ :


ए, ऐ


कंठोष्ठ से उच्चरित ध्वनियाँ :


ऑ, ओ, औ


दंतोष्ठ से उच्चरित ध्वनियाँ :





हिंदी भाषा और लिपि का इतिहास :




ऐसा माना जाता है की कुछ लिपियों को छोड़कर भारत की आधुनिक लिपियों का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है। इसी ब्राह्मी लिपि से नागरी लिपि का विकास हुआ और 12वीं सदी के आसपास प्राचीन नागरी लिपि से आधुनिक देवनागरी लिपि विकसित हुई। नागरी या देवनागरी के नामकरण के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के अनुमान लगाए जाते हैं।


ऐसा कहा जाता है कि गुजरात के नागर ब्राह्मणों द्वारा प्रयुक्त होने के कारण इसका नाम "नागरी" पड़ा। नगरों में प्रयुक्त होने के कारण भी इस लिपि को नागरी कहा गया। इसी तरह देवनगरों में प्रयुक्त होने के कारण अथवा देवनगरी काशी में इसके प्रयोग के कारण इसे "देवनागरी" कहा गया। हालाँकि आप ध्यान रखें कि इन नामकरणों के पीछे कोई तार्किक आधार नहीं है।




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Comments Hindi Bhasha ki lipi on 23-04-2020

Hindi Bhasha ki lipi





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