Shiksha Ko Kis Soochi Me Rakha Gaya Hai शिक्षा को किस सूची में रखा गया है

शिक्षा को किस सूची में रखा गया है



Pradeep Chawla on 12-05-2019


सन् 1976 से पूर्व शिक्षा पूर्ण रूप से राज्‍यों का उत्तरदायित्‍व था। संविधान द्वारा 1976 में किए गए जिस संशोधन से शिक्षा को समवर्ती सूची में डाला गया, उस के दूरगामी परिणाम हुए। आधारभूत, वित्तीय एवं प्रशासनिक उपायों के द्वारा राज्‍यों एवं केन्‍द्र सरकार के बीच नई जिम्‍मेदारियों को बांटने की आवश्‍यकता महसूस की गई। जहां एक ओर शिक्षा के क्षेत्र में राज्‍यों की भूमिका एवं उनके उत्तरदायित्‍व में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, वहीं केन्‍द्र सरकार ने शिक्षा के राष्‍ट्रीय एवं एकीकृत स्‍वरूप को सुदृढ़ करने का गुरुतर भार भी स्‍वीकार किया। इसके अंतर्गत सभी स्‍तरों पर शिक्षकों की योग्‍यता एवं स्‍तर को बनाए रखने एवं देश की शैक्षिक जरूरतों का आकलन एवं रखरखाव शामिल है।



केंद्र सरकार ने अपनी अगुवाई में शैक्षिक नीतियों एवं कार्यक्रम बनाने और उनके क्रियान्‍वयन पर नजर रखने के कार्य को जारी रखा है। इन नीतियों में सन् 1986 की राष्‍ट्रीय शिक्षा-नीति (एनपीई) तथा वह कार्यवाही कार्यक्रम (पीओए) शामिल है, जिसे सन् 1992 में अद्यतन किया गया। संशोधित नीति में एक ऐसी राष्‍ट्रीय शिक्षा प्रणाली तैयार करने का प्रावधान है जिसके अंतर्गत शिक्षा में एकरूपता लाने, प्रौढ़शिक्षा कार्यक्रम को जनांदोलन बनाने, सभी को शिक्षा सुलभ कराने, बुनियादी (प्राथमिक) शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने, बालिका शिक्षा पर विशेष जोर देने, देश के प्रत्‍येक जिले में नवोदय विद्यालय जैसे आधुनिक विद्यालयों की स्‍थापना करने, माध्‍यमिक शिक्षा को व्‍यवसायपरक बनाने, उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र में विविध प्रकार की जानकारी देने और अंतर अनुशासनिक अनुसंधान करने, राज्‍यों में नए मुक्‍त विश्‍वविद्यालयों की स्‍थापना करने, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषदको सुदृढ़ करने तथा खेलकूद, शारीरिक शिक्षा, योग को बढ़ावा देने एवं एक सक्षम मूल्‍यांकन प्रक्रिया अपनाने के प्रयास शामिल हैं। इसके अलावा शिक्षा में अधिकाधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु एक विकेंद्रीकृत प्रबंधन ढांचे का भी सुझाव दिया गया है। इन कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन में लगी एजेंसियों के लिए विभिन्‍न नीतिगत मानकों को तैयार करने हेतु एक विस्‍तृत रणनीति का भी पीओए में प्रावधान किया गया है।



एनपीई द्वारा निर्धारित राष्‍ट्रीय शिक्षा प्रणाली एक ऐसे राष्‍ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे पर आधारित है, जिसमें अन्‍य लचीले एवं क्षेत्र विशेष के लिए तैयार घटकों के साथ ही एक समान पाठ्यक्रम रखने का प्रावधान है। जहां एक ओर शिक्षा नीति लोगों के लिए अधिक अवसर उपलब्‍ध कराए जाने पर जोर देती है, वहीं वह उच्‍च एवं तकनीकी शिक्षा की वर्तमान प्रणाली को मजबूत बनाने का आह्वान भी करती है। शिक्षा नीति शिक्षा के क्षेत्र में कुल राष्‍ट्रीय आय का कम से कम 6 प्रतिशत धन लगाने पर भी जोर देती है।



केंद्रीय शिक्षा परामर्शदाता बोर्ड (सीएबीई) शिक्षा के क्षेत्र में केंद्रीय और राज्‍य सरकारों को परामर्श देने के लिए गठित सर्वोच्‍च संस्‍था है। इसका गठन 1920 में किया गया था और 1923 में व्‍यय में कमी लाने के लिए इसे भंग कर दिया गया। 1935 में इसे पुन: गठित किया गया और यह बोर्ड 1994 तक अस्तित्व में रहा। इस तथ्‍य के बावजूद कि विगत में सीएबीई के परामर्श पर महत्‍वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं और शैक्षिक एवं सांस्‍कृतिक विषयों पर व्‍यापक विचार-विमर्श एवं परीक्षण हेतु इसने एक मंच उपलब्‍ध कराया है, दुर्भाग्‍यवश मार्च, 1994 में बोर्ड के बढ़े हुए कार्यकाल की समाप्‍ति के बाद इसका पुनर्गठन नहीं किया गया। देश में हो रहे सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों एवं राष्‍ट्रीय नीति की समीक्षा की वर्तमान जरूरतों को देखते हुए सीएबीई की भूमिका और भी बढ़ जाती है। अत: यह महत्‍व का विषय है कि केंद्र और राज्‍य सरकारें, शिक्षाविद एवं समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधि आपसी विचार-विमर्श बढ़ाएं और शिक्षा के क्षेत्र में निर्णय लेने की ऐसी सहभागी प्रक्रिया (प्रणाली) तैयार करें, जिससे संघीय ढ़ांचे की हमारी नीति को मजबूती मिले। राष्‍ट्रीय नीति 1986 (जैसा कि 1992 में संशोधित किया गया) में भी यह प्रावधान है कि शैक्षिक विकास की समीक्षा करने तथा व्‍यवस्‍था एवं कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए आवश्‍यक परिवर्तनों को निर्धारण करने में भी सीएबीई की महत्‍वपूर्ण भूमिका होगी। यह मानव संधान विकास के विभिन्‍न क्षेत्रों में आपसी तालमेल एवं परस्‍पर संपर्क सुनिश्‍चित करने के लिए तैयार की गई उपयुक्‍त प्रणाली के माध्‍यम से अपना कार्य करेगा। तदनुसार ही सरकार ने जुलाई, 2004 में सीएबीई का पुनर्गठन किया और पुनर्गठित सीएबीई की पहली बैठक 10 एवं 11 अगस्‍त, 2004 को आयोजित की गई। विभिन्‍न विषयों के विद्वानों के अलावा लोकसभा एवं राज्‍यसभा के सदस्‍यगण, केंद्र, राज्‍य एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों के प्रतिनिधि इस बोर्ड के सदस्‍य होते हैं।



पुनर्गठित सीएबीई की 10 एवं 11 अगस्‍त, 2004 को हुई बैठक में कुछ ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर विशेष विचार-विमर्श करने की आवश्‍यकता महसूस की गई। तदनुसार निम्‍नलिखित विषयो के लिए सीएबीई की सात समितियां बनाई गई –



नि:शुल्‍क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक तथा प्राथमिक शिक्षा से जुड़े अन्‍य मामले

बालिका शिक्षा तथा एक समान स्‍कूल प्रणाली

एक समान माध्‍यमिक शिक्षा

उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों को स्‍वायत्तता

स्‍कूल पाठ्यक्रम में सांस्‍कृतिक शिक्षा का एकीकरण

सरकार-संचालित प्रणाली के बाहर चल रहे स्‍कूलों के लिए पाठ्य पुस्‍तकों एवं समानांतर पाठ्य पुस्‍तकों के लिए नियामक व्‍यवस्‍था

उच्‍च एवं तकनीकी शिक्षा को वित्तीय सहायता देना।

उपर्युक्‍त हेतु समितियों का गठन सितंबर, 2004 में किया गया। इनसे मिली रिपोर्टों पर 14-15 जुलाई, 2005 को नई दिल्‍ली में हुई सीएबीई की 53वीं बैठक में विचार-विमर्श किया गया। इन सभी प्राप्‍त रिपोर्टों से उभरे कार्य-बिंदुओं की पहचान करने तथा उन पर एक निश्‍चित कार्यावधि में अमल करने के लिए कार्य-योजना तैयार करने के आवश्‍यक उपाया किए जा रहे हैं। इसके साथ ही सीएबीई की तीन स्‍थायी समितियां बनाए जाने का निर्णय किया गया है -



नई शिक्षा नीति को लागू कराने को विशेष आवश्‍यकता सहित बच्‍चों एवं युवाओं के लिए सन्‍निहित शिक्षा हेतु स्‍थायी समिति,

राष्‍ट्रीय साक्षरता मिशन को निर्देश देने के लिए साक्षरता और प्रौढ़ शिक्षा पर स्‍थायी समिति,

बच्‍चे की शिक्षा, बाल विकास, पोषण एवं स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी विभिन्‍न योजनाओं को ध्‍यान में रखते हुए बाल विकास प्रयासों के समन्‍वयन और एकीकरण मामलों के लिए एक स्‍थायी समिति।

सीएबीई की 6-7 सितंबर 2005 को हुई बैठक की सिफारिश के आधार पर एनसीईआरटी द्वारा पाठ्य पुस्‍तकों के पाठ्यक्रम तैयार करने के प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए एक निगरानी समिति गठित की गई है। प्रत्‍यापित और संबद्ध करने वाली संस्‍थाओं में नेट लाइन के माध्‍यम से आवेदन स्‍वीकार कर उस पर कार्यवाही करने और अन्‍य मामलों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्‍य से इनकी कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कदम उठाए गए हैं। उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र में नए विचारों के समावेश और सुधार प्रक्रिया पर निगरानी के लिए राष्‍ट्रीय उच्‍च शिक्षा आयोग के गठन पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है।



शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी विभिन्‍न परियोजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्‍वयन हेतु भारत एवं विदेशों से प्राप्‍त होने वाली छोटी से छोटी सहायता (दान) राशि की सुगमता से प्राप्‍ति के लिए सरकार ने समिति पंजीयन अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक पंजीकृत सोसायटी के तौर पर ‘भारत सहायता कोष’ का गठन किया है। 09 जनवरी, 2003 को ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ के अवसर पर आयोजित समारोह में विधिवत प्रारंभ किया गया। यह कोष शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित सभी गतिविधियों एवं क्रियाकलापों के लिए निजी संगठनों, व्‍यक्तियों, कार्पोरेट (उद्योग) जगत, केंद्र एवं राज्‍य सरकारों, प्रवासी भारतीयों एवं भारतीय मूल के लोगों से दान/अंशदान तथा सहायता राशि प्राप्‍त कर सकेगा।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Sujit kumar on 07-11-2021

Aap ka nam

Lakhvir on 24-08-2020

Shiksha ko sanvidhan ki kis suchi mein hai

Dhiraj Yadav on 01-12-2019

Shiksha vishay sanvidhan ki kis suchi mein aata Hai


Alok on 18-11-2019

Sambarti suchi

Md Rafi Ahmad on 07-11-2019

Shiksha ko bhartiye sanvidhan ke kis suchi me rkaha gya hai

Amrita singh on 24-10-2019

12th poletical science in hindi





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment