Punahjagarann Ke Prabhav पुनर्जागरण के प्रभाव

पुनर्जागरण के प्रभाव



Pradeep Chawla on 20-09-2018


रिनैशां' का अर्थ 'पुनर्जन्म' होता है। मुख्यत: यह यूनान और रोम के प्राचीन शास्त्रीय ज्ञान की पुन:प्रतिष्ठा का भाव प्रकट करता है। यूरोप में मध्ययुग की समाप्ति और आधुनिक युग का प्रारंभ इसी समय से माना जाता है। इटली में इसका आरंभ फ्रांसिस्को पेट्रार्क (1304-1367) जैसे लोगों के काल में हुआ, जब इन्हें यूनानी और लैटिन कृतियों में मनुष्य की शक्ति और गौरव संबंधी अपने विचारों और मान्यताओं का समर्थन दिखाई दिया। 1453 में जब कस्तुनतुनिया पर तुर्कों ने अधिकार कर लिया, तो वहाँ से भागनेवाले ईसाई अपने साथ प्राचीन यूनानी पांडुलिपियाँ पश्चिम लेते गए। इस प्रकार यूनानी और लैटिन साहित्य के अध्येताओं को अप्रत्याशित रूप से बाइजेंटाइन साम्राज्य की मूल्यवान् विचारसामग्री मिल गई। चार्ल्स पंचम द्वारा रोम की विजय (1527) के पश्चात् पुनर्जागरण की भावना आल्प्स के पार पूरे यूरोप में फैल गई।


इटालवी पुनर्जागरण में साहित्य की विषयवस्तु की अपेक्षा उसके रूप पर अधिक ध्यान दिया जाता था। जर्मनी में इसका अर्थ श्रम और आत्मसंयम था, इटालवियों के लिए आराम और आमोद-प्रमोद ही मानवीय आदर्श था। डच और जर्मन कलाकारों, ने जिनमें हाल्वेन और एल्बर्ट ड्यूरर उल्लेखनीय हैं, शास्त्रीय साहित्य की अपेक्षा अपने आसपास दैनिक जीवन में अधिक रुचि प्रदर्शित की। वैज्ञानिक उपलब्धियों के क्षेत्र में जर्मनी इटली से भी आगे निकल गया। इटली के पंडितों और कलाकारों का फ्रांसीसियों पर सीधा और प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा; किंतु उन्होंने अपनी मौलिकता को प्राचीनता के प्रेम में विलुप्त नहीं होने दिया। अंग्रेजी पुनर्जागरण जॉन कोले (1467-1519) और सर टामस मोर (1478-1535) के विचारों से प्रभावित हुआ।


मैकियावेली की पुस्तक "द प्रिंस" में राजनीतिक पुनर्जागरण की सच्ची भावना का दर्शन होता है। रॉजर बेकन ने अपनी कृति "सालामन्ज हाउस" में पुनर्जागरण की आदर्शवादी भावना को अभिव्यक्ति प्रदान की है। ज्योतिष शास्त्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए और गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, चिकित्सा, जीवविज्ञान और सामाजिक विज्ञानों में बहुमूल्य योगदान हुए। कार्पनिकसने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घुमती है और अन्य ग्रहों के साथ, जो स्वयं अपनी धुरियों पर घूमते हैं, सूर्य की परिक्रमा करती है। केप्लर ने इस सिद्धांत को अधिक स्पष्ट करते हुए कहा कि पृथ्वी तथा अन्य ग्रह सूर्य के आसपास वृत्ताकार पथ के बजाय दीर्घवृत्ताकार पथ पर परिक्रमा करते हैं। पोप ग्रेगरी ने कैलेंडर में संशोधन किया, कोपरनिकस और कोलंबस ने क्रमश: ज्योतिष तथा भूगोल में योगदान किया। प्रत्येक अक्षर के लिए अलग-अलग टाइप के आविष्कार से मुद्रणकला में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ।

लिओनार्दो दा विंची की प्रसिद्ध कलाकृति : 'द लास्ट सपर' चैटू डी चैम्बोर्ड (Château de Chambord) पुनर्जागरण काल के स्थापत्य के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक है।

एक ओर साहित्य पुरातत्ववेदी प्राचीन ग्रीक और लैटिन लेखकों की नकल कर रहे थे, दूसरी ओर कलाकार, प्राचीन कला के अध्येता प्रयोगों में रुचि ले रहे थे और नई पद्धतियों का निर्माण कर कुछ सुप्रसिद्ध कलाकार जैसे लिओनार्दो दा विंची और माइकल एंजेलोनवोदित युग का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। लिओनार्दो दा विंची मूर्तिकार, वैज्ञानिक आविष्कारक, वास्तुकार, इंजीनियर, बैले (Ballet) नृत्य का आविष्कारक और प्रख्यात बहुविज्ञ था। इतालवियों ने चित्रकला में विशेष उत्कर्ष प्रदर्शित किया। यद्यपि प्रयुक्त सामग्री बहुत सुंदर नहीं थी, तथापि उन चित्रकारों की कला यथार्थता, प्रकाश, छाया और दृश्य-भूमिका की दृष्टि से पूर्ण हैं। द विंसी और माइकेल एंजेलो के अतिरिक्त राफेल इटली के श्रेष्ठ चित्रकार हुए हैं। ड्यूयूरेस और हालवेन महान उत्कीर्णक हुए हैं। मूर्तिकला, यूनानी और रोमनी का अनुसरण कर रही थी। लारेंजों गिवर्टी चित्रशिल्पी पुनर्जागरणकालीन शिल्पकला का प्रथम महान अग्रदूत था। रोबिया अपनी चमकीली मीनाकारी के लिए विख्यात था तो एंजेलो अपने को शिल्पकला में महानतम व्यक्ति मानता था, यद्यपि वह अन्य कलाओं में भी महान था। इतालवी पुनर्जागरण कालीन ललित कलाओं में वास्तुकला के उत्थान का अंश न्यूनतम था। फिर भी मध्ययुगीन और प्राचीन रूपों के एक विशेष पुनर्जागरण शैली का आविर्भाव हुआ।


यूनानी और रोमनी साहित्य का अनुशीलन, पुनर्जागरण का मुख्य विशेषता थी। प्रत्येक शिक्षित यूरोपवासी के लिए यूनानी और लैटिनकी जानकारी अपेक्षित थी और यदि कोई स्थानीय भाषा का प्रयोग करता भी था, तो वह उसे क्लैसिकल रूप के सदृश क्लैसिकल नामों, संदर्भों और उक्तियों को जोड़ता और होमर, मैगस्थनीज़, वरजिल या सिसरो के अलंकारों, उदाहरणों से करता था। क्लेसिसिज्म के पुनरुत्थान के साथ मानववाद की भी पनपा। मानववाद का सिद्धांत था कि लौकिक मानव के ऊपर अलौकिकता, धर्म और वैराग्य को महत्व नहीं मिलना चाहिए। मानवबाद ने स्वानुभूति और पर्यावरण के विकास अंत में व्यक्तिवाद को जन्म दिया। 15वीं शती में एक तीक्ष्ण मानववादी इतिहासकार लारेंजो वैला (Lorenzo Valla) ने यह सिद्ध किया कि सम्राट् कांस्टैटाइन का चर्चको तथाकथित दान (Donation of Constantine) वास्तव में जालसाजी था।


पुनर्जागरण सचमुच वर्तमान युग के आरंभ का प्रधान विषय है। साइमों (Symonds) के अनुसार यह मनुष्यों के मस्तिष्क में परिवर्तन से उत्पन्न हुआ। अब यह व्यापक रूप से मान्य है कि सामाजिक और आर्थिक मूल्यों ने व्यक्ति की जीवनधारा को मोड़ते हुए इटलीऔर जर्मनी में एक नए और शक्तिशाली मध्यवृत्तवर्ग को जन्म दिया और इस प्रकार बौद्धिक जीवन में एक क्रांति पैदा की। पुनर्जागरण और सुधार आंदोलन के विषय में चर्चा करते हुए साइमों ने इन दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध सिद्ध किया; किंतु लार्ड ऐक्टनने साइमों की आलोचना करते हुए दोनों की मूल भावना के बीच अंतर की ओर संकेत किया। दोनों आंदोलन प्राचीन पंरपराओं से प्रेरणा करते थे और नए सांस्कृतिक मूल्यों का निर्माण करते थे।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Swati on 30-05-2022

पुनर्जागरण के प्रभाव विस्तार से समझाए

चंद्रमोहन on 05-03-2021

पुनर्जागरण के प्रभाव

चंद्रमohan on 05-03-2021

पुनर्जागरण के प्रभाव क्या है


Jitendra patel on 02-03-2021

India ka ful foom kya he

Khushboo on 15-01-2020

Punarjagran : arth vishestaye aur prabhab

Neetu on 14-12-2019

Punarjagran ke prabhav

Punrjagarad ka prabhav on 04-08-2019

Punrjagarad ka prabhav


Renaincf of 5rent@# on 28-04-2019

Effect of renaissence



Punjagran k prabhav on 22-09-2018

Punjagरण k prabhav

Punarjagran ka parbhave on 04-04-2019

Punarjagran ka parbhave



नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment