SuBhadra Kumari Chauhan Ki Kavita in short सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता in short

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता in short



GkExams on 22-08-2022


सुभद्रा कुमारी चौहान के बारें में : सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan in hindi) का जन्म 16 अगस्त 1904 को प्रयागराज में हुआ था। हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि झाँसी की रानी कविता के कारण है।

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"ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी" - ध्यान रहे की झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को याद करते हुए अनेकों बार ये पंक्तियां पढ़ी गयीं। कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan poems) की लिखी कविता में देश की उस वीरांगना के लिए ओज था, करूण था, स्मृति थी और श्रद्धा भी। इसी एक कविता से उन्हें हिंदी कविता में प्रसिद्धि मिली और वह साहित्य में अमर हो गयीं।


वैसे सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं, किन्तु इन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है, इस कारण इनकी रचना की सादगी हृदयग्राही है।


सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन 15 फरवरी 1948 को सड़क दुर्घटना के कारण हुआ था। वह अपनी मृत्यु के बारे में कहती थीं कि "मेरे मन में तो मरने के बाद भी धरती छोड़ने की कल्पना नहीं है । मैं चाहती हूँ, मेरी एक समाधि हो, जिसके चारों और नित्य मेला लगता रहे, बच्चे खेलते रहें, स्त्रियां गाती रहें ओर कोलाहल होता रहे।"



सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता बचपन :




बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥


चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?


ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी?
बनी हुई थी वहाँ झोंपडी और चीथडों में रानी॥


किए दूध के कुल्ले मैंने चूस अगूँठा सुधा पिया।
किलकारी किल्लोल मचाकर सूना घर आबाद किया॥


रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।
बडे-बडे मोती-से ऑंसू जयमाला पहनाते थे॥


मैं रोई, माँ काम छोडकर आईं, मुझको उठा लिया।
झाड-पोंछ कर चूम-चूम गीले गालों को सुखा दिया॥


दादा ने चंदा दिखलाया नेत्र नीर-युत दमक उठे।
धुली हुई मुस्कान देखकर सबके चेहरे चमक उठे॥


वह सुख का साम्राज्य छोडकर मैं मतवाली बडी हुई।
लुटी हुई, कुछ ठगी हुई-सी दौड द्वार पर खडी हुई॥


लाजभरी ऑंखें थीं मेरी मन में उमँग रँगीली थी।
तान रसीली थी कानों में चंचल छैल छबीली थी॥


दिल में एक चुभन-सी भी थी यह दुनिया अलबेली थी।
मन में एक पहेली थी मैं सब के बीच अकेली थी॥


मिला, खोजती थी जिसको हे बचपन! ठगा दिया तूने।
अरे! जवानी के फंदे में मुझको फँसा दिया तूने॥


सब गलियाँ उसकी भी देखीं उसकी खुशियाँ न्यारी हैं।
प्यारी, प्रीतम की रँग-रलियों की स्मृतियाँ भी प्यारी हैं॥


माना मैंने युवा काल का जीवन खूब निराला है।
आकांक्षा, पुरुषार्थ, ज्ञान का उदय मोहने वाला है॥


किंतु यहाँ झ्रझट है भारी युध्द क्षेत्र संसार बना।
चिंता के चक्कर में पडकर जीवन भी है भार बना॥


आ जा बचपन! एक बार फिर दे दे अपनी निर्मल शांति।
व्याकुल व्यथा मिटाने वाली वह अपनी प्राकृत विश्रांति॥


वह भोली-सी मधुर सरलता वह प्यारा जीवन निष्पाप।
क्या आकर फिर मिटा सकेगा तू मेरे मन का संताप?


मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नंदन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी॥


'माँ ओ कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थी।
कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी॥


पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतूहल था छलक रहा।
मुँह पर थी आह्लाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा॥


मैंने पूछा 'यह क्या लाई बोल उठी वह 'माँ, काओ।
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा- 'तुम्ही खाओ॥


पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया॥


मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ।
मिलकर उसके साथ स्वयं में भी बच्ची बन जाती हूँ॥


जिसे खोजती थी बरसों से अब आकर उसको पाया।
भाग गया था मुझे छोडकर वह बचपन फिर से आया॥


सुभद्रा कुमारी चौहान की सम्पूर्ण कहानियाँ :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको सुभद्रा कुमारी चौहान की सम्पूर्ण कहानियों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • भूमिका बिखरे मोती
  • अंगूठी की खोज
  • अनुरोध
  • अभियुक्ता
  • अमराई
  • असमंजस
  • आहुति
  • उन्मादिनी
  • एकादशी
  • कदम्ब के फूल
  • कल्याणी
  • कान के बुंदे
  • किस्मत
  • कैलाशी नानी
  • ग्रामीणा
  • गुलाबसिंह
  • गौरी
  • चढ़ा-दिमाग
  • जम्बक की डिबिया
  • ताँगेवाला
  • तीन बच्चे
  • थाती
  • दृष्टिकोण
  • दुराचारी
  • देवदासी
  • दुनिया
  • दो सखियां
  • नारी-हृदय
  • परिवर्तन
  • प्रोफेसर मित्रा
  • पवित्र ईर्ष्या
  • पापी पेट
  • बड़े घर की बात
  • बिआहा
  • भग्नावशेष
  • मछुए की बेटी
  • मंगला
  • मंझली रानी
  • राही
  • रुपा
  • की लड़की
  • सुभागी
  • सोने की कंठी
  • हींगवाला
  • होली
  • दो साथी
  • एक्सीडेंट




  • सम्बन्धित प्रश्न



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