Swayam Sahayta Samuh Ki Paribhasha स्वयं सहायता समूह की परिभाषा

स्वयं सहायता समूह की परिभाषा



GkExams on 02-12-2018

स्वयं सहायता समूह बैंक लिंकेज की उत्पत्ति, अवधारणा को समझने के पहले यह आवश्यक हो जाता है कि सर्वप्रथम स्वयं सहायता समूह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं इसकी अवधारणा को समझें।


गाँव में सामाजिकता पर गौर करें तो पाते हैं कि किसी भी कार्य में मदद लेने और देने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। जैसे “ सामुदायिकता की भावना” आदिवासी समाज की सबसे बड़ी विशेषता है और यह इसके सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक पहलुओं के तार से भी जुडी हुई है। परन्तु आज के पैसा-बाजार प्रतियोगिता पूर्ण युग में में इसका फैलाव, विकास की प्रक्रिया में सुसंगठित होकर नहीं किया गया। इसके बावजूद सामुदायिकता गरीब व सामाजिक तौर से पिछड़े वर्गों में आज भी किसी- न-किसी रूप में विद्यमान है।


स्वयं सहायता समूह का इतिहास देखने पर यह पता चलता है कि मुख्य रूप से इसकी शुरुआत देश की प्रतिष्ठित स्वैछिक संस्थाएं जैसे सेल्फ एम्पलाइड वीमेन एशोसिएशन, (SEWA) अहमदाबाद, मयराडा, बंगलौर आदि के माध्यम से हुई थी। मयराडा, बंगलौर के इतिहास को देखा जाये तो इस संस्था ने वर्ष 1968 से ही सामाजिक कार्य के प्रति अपनी भूमिका निभानी शुरू कर दी थी। शुरुआत में मयराडा ने मुख्य रूप से चीन युद्ध के पश्चात् तिब्बत से आये तिब्बतियों को पुनर्स्थापित करने का कार्य शुरू किया। दूसरे दौर में इस प्रकार वर्ष 2000 तक लाखों लोगों को सुविधाएँ देकर उनके जीवन स्तर को उठाने का लक्ष्य बनाया।


उपयुक्त कार्यक्रम में स्वयं सहायता के सन्दर्भ में मुख्य रूप से मयराडा ने निम्न मुद्दों पर विशेष जोर दिया। जैसे_

  • सामुदायिक क्रियाशील समूह के माध्यम से ग्रामीण शाख पद्धति।
  • महिलाओं को संगठित करना जिससे स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जा सके।

इस प्रकार अनुभव के आधार पर निम्नलिखित बातें सीखने की दृष्टि से उभर कर आयी:


1) समुदाय जिनकी आर्थिक एवं सामाजिक पहलुओं में समानता हो एक छोटे समूह के माध्यम से अपनी-अपनी आवश्यकताओं, समस्याओं, भावनाओं, अपेक्षाओं आदि उम्मीदों को लेकर निरंतर प्रयास करते हैं। अतः अपनी-अपनी प्रक्रिया में उनके उत्साह को निरंतर जागृत करना एक महत्वपूर्ण अंग है।


2) समान स्तर के सदस्य वही सीखने का प्रयास करते हैं जो उन्हें रुचिकर लगता है।


3) इन समान स्तरीय समूहों के सदस्यगण अपने-अपने ज्ञान के प्रति जागरूकता का स्वयं के अंदर की क्षमता को विकसित कर अपने व्यवहार में लाने के प्रति उत्साहित रहते हैं।


4) यह सदस्य-समूह मुख्य रूप से अपने समूह के द्वारा स्वचालित होकर अग्रसर होने का प्रयास करते हैं।


5) यह समान स्तर के समूह के सदस्यों के साथ-साथ दूसरों को भी विकास की ओर लाना चाहते हैं।






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Comments Farhat on 29-04-2022

स्वयं सहायता समूह की परिभाषा

Mahabir on 02-10-2018

Savage sahayta samuh mere pass SMS aaya jisme Karnal 9600 likha Gaya hai, iska kya MATLAB hai





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