Vishvakarma Brahmann विश्वकर्मा ब्राह्मण

विश्वकर्मा ब्राह्मण



Pradeep Chawla on 13-10-2018


हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था।









अनुक्रम



  • 1वेदों में उल्लेख
  • 2आश्चर्यजनक वास्तुकार
  • 3इन्हें भी देखें
  • 4बाहरी कड़ियाँ






वेदों में उल्लेख

ऋग्वेद

मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐ लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक

मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि। यही सुक्त यजुर्वेद

अध्याय 17, सुक्त मन्त्र 16 से 31 तक 16 मन्त्रो मे आया है ऋग्वेद मे

विश्वकर्मा शब्द का एक बार इन्द्र व सुर्य का विशेषण बनकर भी प्रयुक्त हुआ

है। परवर्ती वेदों मे भी विशेषण रूप मे इसके प्रयोग अज्ञत नही है यह

प्रजापति का भी विशेषण बन कर आया है।



प्रजापति विश्वकर्मा विसुचित।


परन्तु महाभारत के खिल भाग सहित सभी पुराणकार प्रभात पुत्र विश्वकर्मा

को आदि विश्वकर्मा मानतें हैं। स्कंद पुराण प्रभात खण्ड के निम्न श्लोक की

भांति किंचित पाठ भेद से सभी पुराणों में यह श्लोक मिलता हैः-



बृहस्पते भगिनी भुवना ब्रह्मवादिनी।
प्रभासस्य तस्य भार्या बसूनामष्टमस्य च।
विश्वकर्मा सुतस्तस्यशिल्पकर्ता प्रजापतिः॥16॥


महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या

जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण

शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ। पुराणों में कहीं

योगसिद्धा, वरस्त्री नाम भी बृहस्पति की बहन का लिखा है।



शिल्प शास्त्र का कर्ता वह ईश विश्वकर्मा देवताओं का आचार्य है,

सम्पूर्ण सिद्धियों का जनक है, वह प्रभास ऋषि का पुत्र है और महर्षि अंगिरा

के ज्येष्ठ पुत्र का भानजा है। अर्थात अंगिरा का दौहितृ (दोहिता) है।

अंगिरा कुल से विश्वकर्मा का सम्बन्ध तो सभी विद्वान स्वीकार करते हैं। जिस

तरह भारत मे विश्वकर्मा को शिल्पशस्त्र का अविष्कार करने वाला देवता माना

जाता हे और सभी कारीगर उनकी पुजा करते हे। उसी तरह चीन मे लु पान को बदइयों

का देवता माना जाता है।



प्राचीन ग्रन्थों के मनन-अनुशीलन से यह विदित होता है कि जहाँ ब्रहा,

विष्णु ओर महेश की वन्दना-अर्चना हुई है, वही भनवान विश्वकर्मा को भी

स्मरण-परिष्टवन किया गया है। " विश्वकर्मा" शब्द से ही यह अर्थ-व्यंजित

होता है



"विशवं कृत्स्नं कर्म व्यापारो वा यस्य सः


अर्थातः जिसकी सम्यक् सृष्टि और कर्म व्यपार है वह विशवकर्मा है। यही

विश्वकर्मा प्रभु है, प्रभूत पराक्रम-प्रतिपत्र, विशवरुप विशवात्मा है।

वेदों में



विशवतः चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वस्पात


कहकर इनकी सर्वव्यापकता, सर्वज्ञता, शक्ति-सम्पन्ता और अनन्तता दर्शायी

गयी है। हमारा उद्देश्य तो यहाँ विश्वकर्मा जी का परिचय कराना है। माना कई

विश्वकर्मा हुए हैं और आगे चलकर विश्वकर्मा के गुणों को धारण करने वाले

श्रेष्ठ पुरुष को विश्वकर्मा की उपाधि से अलंकृत किया जाने लगा हो तो यह

बात भी मानी जानी चाहिए।



भारतीय संस्कृति के अंतर्गत भी शिल्प संकायो, कारखानो, उद्योगों में

भगवान विशवकर्मा की महता को प्रगत करते हुए प्रत्येक वर्ष 17 सितम्बर को

श्वम दिवस के रूप मे मनाता हे। यह उत्पादन-वृदि ओर राष्टीय समृद्धि के लिए

एक संकलप दिवस है। यह जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान नारे को भी श्वम दिवस

का संकल्प समाहित किये हुऐ है।



यह पर्व सोरवर्ष के कन्या संर्काति मे प्रतिवर्ष 17 सितम्बर

विशवकर्मा-पुजा के रूप मे सरकारी व गैर सरकारी ईजीनियरिग संस्थानो मे बडे

ही हषौलास से सम्पन्न होता हे। लोग भ्रम वश इस पर्व को विश्वकर्मा जयंति

मानते हे। जो सर्वदा अनुचित हे। भाद्रपद शुक्ला प्रतिपदा कन्या की संक्राति

(17 सितम्बर), कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा (गोवर्धन पूजा), भाद्रपद पंचमी

(अंगिरा जयन्ति) मई दिवस आदि विश्वकर्मा-पुजा महोत्सव पर्व है। इन पर्वो पर

भगवान विश्वकर्मा जी की पुजा-अर्चना की जाती है।



भगवान विशवकर्मा जी की वर्ष मे कई बार पुजा व महोत्सव मनाया जाता है।

जैसे भाद्रपद शुक्ला प्रतिपदा इस तिंथि की महिमा का पुर्व विवरण महाभारत मे

विशेष रूप से मिलता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा जी की पुजा अर्चना की

जाती है। यह शिलांग और पूर्वी बंगला मे मुख्य तौर पर मनाया जाता है।

अन्नकुट (गोवर्धन पूजा) दिपावली से अगले दिन भगवान विश्वकर्मा जी की पुजा

अर्चना (औजार पूजा) की जाती है। मई दिवस, विदेशी त्योहार का प्रतीक है।

रुसी क्रांति श्रमिक वर्ग कि जीत का नाम ही मई मास के रुसी श्रम दिवस के

रूप मे मनाया जाता है। 5 मई को ऋषि अंगिरा जयन्ति होने से विश्वकर्मा-पुजा

महोत्सव मनाया जाता है भगवान विश्वकर्मा जी की जन्म तिथि माघ मास त्रयोदशी

शुक्ल पक्ष दिन रविवार का ही साक्षत रूप से सुर्य की ज्योति है। ब्राहाण

हेली को यजो से प्रसन हो कर माघ मास मे साक्षात रूप मे भगवान विश्वकर्मा ने

दर्शन दिये। श्री विश्वकर्मा जी का वर्णन मदरहने वृध्द वशीष्ट पुराण मे भी

है।



माघे शुकले त्रयोदश्यां दिवापुष्पे पुनर्वसौ।
अष्टा र्विशति में जातो विशवकमॉ भवनि च॥


धर्मशास्त्र भी माघ शुक्ल त्रयोदशी को ही विश्वकर्मा जयंति बता रहे है।

अतः अन्य दिवस भगवान विश्वकर्मा जी की पुजा-अर्चना व महोत्सव दिवस के रूप

मे मनाऐ जाते है। ईसी तरह भगवान विश्वकर्मा जी की जयन्ती पर भी विद्वानों

में मतभेद है। भगवान विश्वकर्मा जी की वर्ष मे कई बार पुजा व महोत्सव मनाया

जाता है।



निःदेह यह विषय निर्भ्रम नहीं है। हम स्वीकार करते है प्रभास पुत्र

विश्वकर्मा, भुवन पुत्र विश्वकर्मा तथा त्वष्ठापुत्र विश्वकर्मा आदि अनेकों

विश्वकर्मा हुए हैं। यह अनुसंधान का विषय है। अतः सभी विशवकर्मा मन्दिर व

धर्मशालाऔं, विशवकर्मा जी से सम्भधींत संस्थाऔं, संघ व समितिऔं को प्रस्ताव

पारित करके भारत सरकार से मांग जानी चाहीए की सम्पुर्ण संस्कृत साहित्य का

अवलोकन किया जाय, भारत की विभिन्न युनीर्वशटीजो मे इस विष्य पर शौध की

जानी चाहीए, विदेशों में भी खोज की जाय, तथा भारत सरकार विश्वकर्मा वशिंयो

का सर्वेक्षण किसी प्रमुख मीडिया एजेन्सी से करवाऐ। श्रुति का वचन है कि

विवाह, यज्ञ, गृह प्रवेश आदि कर्यो मे अनिवार्य रूप से विशवकर्मा-पुजा करनी

चाहिए



विवाहदिषु यज्ञषु गृहारामविधायके।
सर्वकर्मसु संपूज्यो विशवकर्मा इति श्रुतम॥


स्पष्ट है कि विशवकर्मा पूजा जन कल्याणकारी है। अतएव प्रत्येक प्राणी

सृष्टिकर्ता, शिल्प कलाधिपति, तकनीकी ओर विज्ञान के जनक भगवान विशवकर्मा जी

की पुजा-अर्चना अपनी व राष्टीय उन्नति के लिए अवश्य करनी चाहिए।



जगदचक विश्वकर्मन्नीश्वराय नम:॥


आश्चर्यजनक वास्तुकार

चार युगों में विश्वकर्मा ने कई नगर और भवनों का निर्माण किया। कालक्रम में देखें तो सबसे पहले सत्ययुग में उन्होंने स्वर्गलोक का निर्माण किया, त्रेता युग में लंका का, द्वापर में द्वारका का और कलियुग के आरम्भ के 50 वर्ष पूर्व हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। विश्वकर्मा ने ही जगन्नाथ पुरी के जगन्नाथ मन्दिर में स्थित विशाल मूर्तियों (कृष्ण, सुभद्रा और बलराम) का निर्माण किया




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Vivek Vishwakarma on 19-09-2023

Kya braman or Vishwakarma ek hote hai

Sunil vishwakarma on 23-08-2023

Vishwakarma bansaj

Rajendra on 09-06-2023

Katkojwala gotra kya hai


Pandit Nitesh mathil on 13-06-2021

Kya mathil Brahman aur Vishwkarma brahman ek hi hote h

Ashok on 07-08-2020

विश्वकर्मा मे जन्मे ब्राह्मण होते है ।इसमे स्कन्द पुराण कि श्लोक है वह सुनाओ ।

Vishwakarma ब्राह्मण he on 12-05-2019

Vishwakarma kon ब्राह्मण he





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