Shaival Ka Aarthik Mahatva शैवाल का आर्थिक महत्व

शैवाल का आर्थिक महत्व



GkExams on 18-11-2018

वाल का उपयोग तीन क्षेत्रों कृषि, उद्योग और चिकित्सा में बड़ा ही महत्वपूर्ण है। पिछले 20 वर्षों से कृषि में शैवाल के उपयोग पर अनेक महत्वपूर्ण बातें स्थिर की गई है। प्रयोगशालाओं में अनुसंधान करने से पता चला है कि शैवाल वायु से नाइट्रोजन लेकर, मिट्टी में नाइट्रोजन के यौगिकों में परिणत कर, उसे स्थिर करते हैं। पौधों के लिए नाइट्रोजन अत्यधिक उपयोगी पोषक तत्व है। इस कारण शैवाल की महत्ता बढ़ गई है। यह नाइट्रोजन को स्थिर करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है और फसल में वृद्धि करता है। भारत में अनेक वैज्ञानिकों के अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ है कि शैवाल द्वारा प्राय: 20 से लेकर 30 पाउंड प्रति एकड़ तक नाइट्रोजन की वृद्धि मिट्टी में स्थिर नहीं करते। केवल मिक्सोफाइसिई (Myxophyceae) जाति के शैवाल ही इस कार्य में प्रवीण हैं। इनमें नॉस्टक (Nostuc), टौलिपोअक्स (Tolypothrix), औलिसोरा फरटिलिसिमा (Aulisora Fertilissima) तथा एनाबीना (Anabaena) इत्यादि ही सबसे अधिक महत्व के स्थापक सिद्ध हुए हैं। कटक के धानअनुसंधान केंद्र के अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ है कि टौलिपोअकस सबसे अधिक नाइट्रोजन स्थापित करता है। धान के पौधों के विश्लेषण से यह भी पता लगा है कि शैवाल की खादवाले खेतों के पौधे मिट्टी से अधिक मात्रा में नाइट्रोजन का अवशोषण करते हैं।

कटक अनुसंधान केंद्र ने परीक्षा करके देखा है कि खेतों में शैवाल को कृत्रिम रूप से उपजाने पर धान की फसल में 800 पाउंड तक की वृद्धि हुई। नाइट्रोजन स्थिर करनेवाले शैवाल की बहुत न्यून मात्रा बालू में मिलाकर, खेतों में डाली गई तथा सिंचाई की गई। इससे शैवाल की वृद्धि हुई, नाइट्रोजन अधिक मात्रा में मिट्टी में प्राप्त हुआ तथा धान की फसल में भी वृद्धि हुई। लेखक के अनुसंधान से यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि शैवाल से मिट्टी की ऊपरी सतह पर लगभग 24 पाउंड फ़ॉस्फ़ेट की वृद्धि होती है। साथ साथ 1,000 पाउंड जैव कार्बन भी बढ़ जाता है, जिससे मिट्टी की संरचना और उर्वरा शक्ति में उन्नति होती है।


शैवाल के औद्योगिक प्रयोग विभिन्न दिशाओं में किए गए हैं। शैवाल से ऐगार-ऐगार (Agar-agar) नाक जटिल कार्बनिक पदार्थ, जो शर्करा वर्ग के अंतर्गत है, निकाला जाता है। इससे वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में जीवाणुपोष पदार्थ (media) बनाया जाता है। यह फल परिरक्षण में भी काम आता है। यह जेलीडियम (Geledium) और ग्रासिलारिया (Gracillaria) नामक शैवाल में अधिक पाया जाता है।


शैवाल से आयोडीनआयोडिन (Iodine) नामक तत्व निकाला जाता है, जो ओषधि में तथा अन्य क्षेत्रों में काम आता है। रोडिमीनिया (Rhodymenia) और फिलोफोरा (Phyllophora) नामक शैवालों में आयोडिन अधिक रहता है।


समुद्र में पाए जानेवाले शैवाल मवेशियों के लिए चारे के रूप में व्यवहृत होते हैं। इनका ऐसा उपयोग सफलतापूर्वक इज़रायल में हो चुका है।


शैवाल मनुष्य का भी खाद्य पदार्थ है। कहा जाता है, अन्नसंकट में शैवाल उपयोगी खाद्यपदार्थ सिद्ध हो सकता है। शैवाल में सभी विटामिन, प्रोटीन, वसा, शर्करा तथा लवण, जो खाद्यपदार्थ की मुख्य सामग्री है, वर्तमान है। निचिया (Nitzscaia) डाइऐटॉम में विटामिन ए (A) अधिक है। अल्वा (Ulva) तथा पॉरफिरा (Porphyra) में विटामिन की मात्रा अधिक होती है। अलेरिया वालिडा (Alaria Valida) में विटामिन सी (C) अधिक पाया जाता है। नीचे दिए हुए आँकड़ों से कुछ शैवालों के पोषक तत्वों का पता चलता है :

नॉस्टक कम्यून फ्लैजेली रूप (Nostuc commune Flagelli form)

जल % --- प्रोटीन% --- वसा% --- शर्करा % --- रेशा % --- लवण %10.6 20.9 1.2 55.7 4.1 7.5

अल्वा लैक्टूका (Ulva Lactuca) और अल्वा फासिएटा (Ulva Faciata)

जल % --- प्रोटीन% --- वसा% --- शर्करा % --- रेशा % --- लवण %18.7 14.9 0.04 50.6 0.2 15.6

जापान, चीन, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, मलाया इत्यादि पूर्वी देशों में शैवाल मुख्य खाद्य पदार्थ है।


शैवाल मछलियों का आहार है। जल में रहनेवाले अन्य जीव जंतुओं के लिए भी शैवाल पोषक पदार्थ है। पशुओं के चारे के रूप में भी इसका उपयोग हो सकता है। बढ़ती हुई आबादी के आतंक से छुटकारा पाने तथा खाद्य समस्या को हल करने के लिए, शैवाल पर त्व्रीा गति से प्रयोग जारी हैं। यह कहा जाता है कि अन्नसंकट को दूर करने में क्लोरेला (Chlorella) नामक शैवाल बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकता है। यह शैवाल पौष्टिक पदार्थों से परिपूर्ण है। यह फैलने के लिए अधिक स्थान भी नहीं लेता। जितनी जमीन आज हमें प्राप्त है, उसके 1/5 हिस्से में ही क्लोरेला के उपजाने से 2050 ई. में अनुमानित 70 अरब जनसंख्या के लिए भोजन, विद्युत्‌ और जलावन प्राप्त हो सकता है। कानेंगी इंस्टिट्यूट, (संयुक्त राज्य, अमरीका,) के वैज्ञानिकों ने एक प्रायोगिक कारखाना बहुत बड़े पैमाने पर क्लोरेला उत्पादन के हेतु खोला है। अब तक के उत्पादन से यह अनुमान किया गया है कि प्रति एकड़ जमीन से 40 टन क्लोरेला सुगमतापूर्वक उगाया जा सकता है। इन वैज्ञानिकों का विश्वास है कि यह मात्रा 150 टन तक पहुँच सकती है।


वेनिजुएला में कुष्ठरोग की चिकित्सा में शैवाल लाभप्रद सिद्ध हुआ है। शैवाल से "लेमेनरिन' नामक एक पदार्थ बनाया गया है, जिसका उपयोग ओषधियों में तथा शल्यचिकित्सा में हो सकता है। कुछ शैवालों में मलेरिया के मच्छरों के डिंबों का नाश करने की क्षमता भी पाई गई है। अत: इनका उपयोग मलेरिया उन्मूलन में भी हो सकता है।


क्लोरेला से हम पर्याप्त परिमाण में ऑक्सीजन प्राप्त कर सकते हैं। वैज्ञानिक यह खोज कर रहे हैं कि ऑक्सीजन को कैसे कृत्रिम उपायों द्वारा शैवाल से निकालकर औद्योगिक कार्यों में प्रयुक्त किया जाए।


विभिन्न क्षेत्रों में शैवाल के उपयोगों को देखते हुए यह बात होता है कि कुछ ही दिनों में इसके महत्वपूर्ण तथा चमत्कारी गुणों द्वारा हम मानव जाति की अनेक समस्याओं को आसानी से हल कर सकेंगे।


जहाँ शैवालों के अनेक लाभप्रद उपयोग हैं, वहाँ इनमें कुछ दोष भी पाए गए हैं। कुछ शैवाल जल को दूषित कर देते हैं। कुछ से ऐसी गैसें निकलती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। कुछ शैवाल दूसरे पौधों पर रोग भी फैलाते हैं। चाय की पत्ती का लाल रोग, सेफेल्यूरस (Cephaleuros), शैवाल के कारण ही होता है।






सम्बन्धित प्रश्न



Comments Khushi on 09-10-2018

Shewall soil m page jatae have or yr and a ual bhi hote h





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment