Samajik Vikash Ko Prabhavit Karne Wale Kaarak सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक



Pradeep Chawla on 12-05-2019

: सामाजिक, सांवेगिक एवं व्यक्तित्व विकास / उत्तर बाल्यावस्था / सामाजिक विकास के निर्धारक



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सामाजिक विकास के निर्धारक



परिवार

पालन शैली

पारिवारिक संरचना एवं आकर

सहोदर सम्बंध

मित्र मण्डली

खेल की भूमिका

जनसंचार माध्यम





परिवार



जन्म के पश्चात् शिशु सवर्प्रथम अपनी माँ या परिवार के सदस्यों के सम्पर्क में आता है| अतः सामाजिक विकास में पारिवारिक सन्दर्भ की अंह भूमिका होती है| इस सन्दर्भ में शिशु के पालन पोषण की शैली, पारिवारिक संरचना तथा सहोदर सम्बन्ध की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है|

पालन शैली



बच्चा जन्म लेता है तो पहला सम्बन्ध माता –पिता से बनता है एंव ऐसे सम्बन्ध में माता-पिता की विशेष भूमिका होती है, क्योंकि वः जीवनयापन के लिए माता-पिता पर पुर्णतः निर्भर होता है| बच्चे का सम्पूर्ण परिवेश उसके माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्य मिलकर निर्मित करते हैं| माता-पिता तथा अन्य सदस्य बच्चे की देखभाल करते हैं तथा उसके साथ अन्तः क्रिया करते हैं| विभिन्न परिवारों एवं संस्कृतियों के बीच बच्चों की पालन शैली में अंतर पाया जाता है| इसका कारण यह है की विभिन्न सन्दर्भों में बच्चों से क्या व्यवहार अपेक्षित है, अलग-अलग होता है| यथा –पशिचमी संस्कृति में बच्चों में स्वतंत्रता, स्वायत्तता और अभिव्यक्ति विकास पर बल दिया जाता है| दूसरी ओर भारतीय समाज में आज्ञापालन, सेवा एवं परोपकार या परिवार या समाज के लिए अपनी इच्छाओं और रुचियों के त्याग पर बल दिया जाता है} माता-पिता अनुशासन लागू करने के तरीके से एक दूसरे से अलग हो सकते हैं| यथाः प्रोत्साहन एवं दंड के लिए उचित व्यवहार के चयन में अपनी शिक्षण शैली तथा बच्चों के प्रति स्नेह प्रदर्शन इत्यादि में भी भिन्नता पायी जाती है|

पारिवारिक संरचना एवं आकर



माता-पिता के अतिरिक्त अन्य सदस्यों जैसे दादा-दादी या अन्य लोग, बड़े भाई-बहनों के साथ बच्चे का किस ढंग का सम्बन्ध है, यह भी उसके सामाजिक/सांवेगिक विकास को प्रभावित करता है| अतः परिवार की संरचना , जैसे बच्चा एकल परिवार का सदस्य है या संयुक्त परिवार, जहाँ उसे समाजीकृत करने में परिवार के अन्य सदस्यों की भी अहम भूमिका होती है, इसका भी प्रभाव पड़ता है| अतः परिवार की संरचना न केवल आरंभिक अनुभवों को प्रभावित करती है बल्कि एक्स प्रभाव सामाजिक अभिवृत्तियों एंव व्यवहारों के संरूपों के विकास पर भी पड़ता है| वे बच्चे जिन्हें परिवार में स्वीकृति मिलती है वे बाहरी परिवेश से भी स्वीकृति की प्रत्याशा करते हैं| परन्तु प्रत्याशा के अनुरूप बाहरी लोगों से व्यवहार न मिलने पर बालक आहत होता है| कभी-कभी उग्र भी जाता है| वे बच्चे जो घर के अन्दर एवं बाहर अस्वीकृति पाते हैं, अन्तेर्मुखी प्रवृत्ति के हो जाते हैं| वहीँ यदि माता-पिता या परिवार के सदस्यों का प्रोत्साहन मिलता है तो बच्चों में बहिर्मुखता विकसित होती है| इस प्रकार बच्चा अनेक सामाजिक व्यवहारों को अर्जित करता है|

सहोदर सम्बंध



बच्चों के सहोदर भाई या बहन,उसके विकास को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| सहोदर भाई या बहन बच्चे की समस्याओं को समझाने में सक्षम होते हैं तथा माता-पिता की अपेक्षा वे शिशु के साथ संवाद करने में अधिक सहमत होते हैं| अग्रज सहोदर (भाई/बहन) की भूमिका बच्चे के देखरेख में महत्वपूर्ण होती है| चूँकि प्रथम शिशु को अपने माता-पिता का विशेष ध्यान प्राप्त होता है तथा उस बच्चे से माता-पिता की अपेक्षाएं भी ऊँची रहती है| माता-पिता उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार और उच्च उपलब्धि के लिए उस पर ज्यादा दबाव डालते हैं| बड़े सहोदर से या अपेक्षा की जाती है कि अपने से छोटे सहोदर के साथ संयमित व्यवहार तथा उत्तरदायित्वपूर्ण संवाद बनाएं| प्रायः देखा गया है कि जन्म क्रम में पहले और बाद वाले बच्चों की विशेषताएं भिन्न-भिन्न होती हैं| अपने छोटे भाई या बहन की अपेक्षा, बड़े/बहन अधिक परिपक्व, संयमी तथा पारिवारिक एंव सामाजिक मानकों का पालन करने वाले होते हैं| अतः पारिवारिक पृष्ठभूमि,आपसी अंतःक्रिया का स्वरुप ऐसे अनेक कारक बच्चे के सामजिक विकास को प्रभावित करते हैं| इसके अतिरिक्त अन्य परिवेशीय कारक भी सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं|

मित्र मण्डली



जब बच्चा पारिवारिक परिवेश से बाहर निकलता है तो वह अपनी उम्र के बच्चों के साथ अंतःक्रिया करता है| मित्रमंडली बच्चे के सामाजिक/सांवेगिक विकास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है| यह वाह्य जगत सूचना व्यवस्था के स्रोत के रूप में कार्य करता है| बच्चे भी हम उम्र बच्चों के साथ अंतःक्रिया करके अपनी योग्यताओं के बारे में सुचना एवं प्रतिपूर्ति प्राप्त करते हैं| वे एक मानक की तरह कार्य करते हैं, जिससे बच्चे आपसी क्रियाकलापों की तुलना करते हैं| बड़े होने पर बच्चे मित्र मण्डली के साथ अधिकाधिक समय बिताना पसंद करते हैं इसीलिए इस आयु को कहा गया है| अंतः मित्र मण्डली की भूमिका सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है दूसरी ओर सामाजिक एकाकीपन अनेक समस्यात्मक व्यवहारों को जन्म देता है|

खेल की भूमिका



बचपन में मित्र मण्डली के बीच पारस्परिक अंतःक्रिया अपरिवर्तनीय रूप से खेल से जुडी होती है| खेल या क्रीड़ा एक आनंददायक कार्य है जिसमें जुड़ाव अपने लिए होता है| यह एक छोटे बच्चे के सर्वंगीण विकास के लिए आवश्यक है| इसके अतिरिक्त खेल, मित्र मण्डली के सदस्यों के बीच जुड़ाव, तनाव से मुक्ति, संज्ञानात्मक विकास तथा अन्वेषण की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करता है| खेल इस संभावना को बढ़ाता है कि बच्चे एक दूसरे के साथ परस्पर अंतःक्रिया करेंगे| खेल अतिरिक्त शारीरिक उर्जा तथा तनाव से बच्चे को मुक्त भी करता है| अतः खेलों की भूमिका सही सामाजिक एवं सांवेगिक विकास में महत्वपूर्ण होती है|

जनसंचार माध्यम



पिछले कुछ वर्षों में जनसंचार माध्यमों का विस्तार, विशेषकर टेलीविजन का प्रचलन व्यापक स्तर पर हुआ है| टेलीविजन शैक्षणिक कार्यक्रमों के प्रोत्साहन, स्वस्थ मनोरंजन, भांति-भांति की सूचनाओं को उपलब्ध कराने तथा समाजोपयोगी व्यवहार के लिए प्रतिरूप उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है| वहीँ बच्चों में पढ़ाई के प्रति अरुचि, निष्क्रियता, अवज्ञा एवं स्वछन्दता के साथ-साथ हिंसा तथा आक्रामक व्यवहारों के विकास में भी टेलीविजन की अहम भूमिका होती है| अतः माता-पिता या परिवार के सदस्यों का दायित्व बनता है कि बच्चों को अच्छे कार्यक्रमों को ही देखने का अवसर दें|




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Aman on 16-11-2020

Samajik vikaas KO parbhavit karne wale kayak konse ha in? Batao

shalinipal on 29-01-2020

Samajik Vikas ko prabhavit karne gWale karak

समाजीकरण को परिभाषित करें on 21-12-2019

Ans de


Rameshwar Anjana on 12-05-2019

समाजमिती मे सुपरटार कोन होता है





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