Sharad Joshi Ke Vyangya Officer शरद जोशी के व्यंग्य अफसर

शरद जोशी के व्यंग्य अफसर



GkExams on 12-05-2019

लोकायुक्त

शरद जोशी







सरकारी नेता अक्सर किसी ऐसे शब्द की तलाश में रहते हैं जो लोगों को छल सके, भरमा सके और वक्त को टाल देने में मददगार हो। आजकल मध्य प्रदेश में एक शब्द हवा में है - लोकायुक्त। पता नहीं यह नाम कहाँ से इनके हाथ लग गया कि पूरी गवर्नमेंट बार-बार इस नाम को लेकर अपनी सतत बढ़ती गंदगी ढंक रही है। इसमें पता नहीं, लोक कितना है और आयुक्त कितना है, पर मुख्य मंत्री काफी हैं। इस शब्द को विधान सभा के आकाश में उछालते हुए मुख्य मंत्री अर्जुन सिंह ने कहा था कि लोकायुक्त यदि जरूरी हो, तो मुख्य मंत्री के विरुद्ध शिकायत की भी जांच कर सकता है। अपने लोकायुक्त पर पूरा भरोसा हुए बिना कोई मुख्य मंत्री ऐसा बयान नहीं देगा। तभी यह शुभहा हो गया कि लोकायुक्त कितना मुख्य मंत्री के पाकिट में है और कितना बाहर। जाहिर है, यह शब्द सत्ता के लिए परम उपयोगी है। वह इसके जरिए किसी भी घोटाले को एक साल के लिए आसानी से टाल सकते हैं। इसके सहारे अपने वालों को ईमानदार प्रमाणित करवा सकते हैं और अपने विरोधियों को नीचा दिखा सकते हैं।



विधान सभा के सदस्य जब मामला उठाएँ, उनसे कहा जा सकता है कि मामले को लोकायुक्त को भेजा जाएगा।



दूसरे सत्र में जब सवाल करें तब कहें - मामला लोकायुक्त को भेजा जा रहा है।



तीसरे सत्र में उत्तर यह कि मामला लोकायुक्त को भेज दिया गया है।



चौथे सत्र में उत्तर यह कि मामला लोकायुक्त के विचाराधीन है।



पाँचवें में यह कि अभी हमें लोकायुक्त से रिपोर्ट प्राप्त हो गई है, शासन उस पर विचार कर रहा है।...



इस तरह हर उत्तेजना को समय में लपेटा जा सकता है। धीरे-धीरे बात ठंडी पड़ने लगती है। लोग संदर्भ भूलने लगते हैं। तब आसानी से कहा जा सकता है कि वह अफसर, जिस पर आरोप था, निर्दोष है।



आज से 15-20 वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश में ऐसे ही एक सतर्कता आयोग था। विजिलेंस कमीशन की स्थापना की गयी थी। उसके भी बड़े हल्ले थे। तब कहा जाता था कि बस इस आयोग के बनते ही राज्य से भ्रष्टाचार इस तरह दुम दबाकर भागेगा कि लौटने का नाम ही नहीं लेगा। बड़ी ठोस तस्वीर पेश की गई शासन की। अब उस बात को कई बरस बीत गये। बदलते समय में लोगों को भ्रमित करने के लिए नया शब्द चाहिए ना। अब लोकायुक्त का डंका बजाया जा रहा है।



बहुत पहले मैंने एक चीनी कथा पढ़ी थी। गुफा में एक अजगर रहता था, जो रोज बाहर आकर चिड़ियों के अंडे, बच्चे और छोटे-मोटे प्राणियों को खा जाता। जंगल के सभी प्राणी अजगर से परेशान थे। एक दिन वे सब जमा होकर अजगर के पास आये और अपनी व्यथा सुनायी कि आपके कारण हमारा जीना मुहाल है। अजगर ने पूरी बात सुनी। विचार करने का पोज लिया और लंबी गर्भवती चुप्पी के बाद बोला - हो सकता है, मुझसे कभी गलती हो जाती है। जब भी मेरे विरुद्ध कोई शिकायत हो, आप गुफा में आ जाइए। मैं चौबीसों घंटे उपलब्ध हूं। यदि कोई बात हो तो मैं अवश्य विचार करूँगा।



जाहिर है, किसी पशु की हिम्मत नहीं थी कि वह गुफा में जाता और अजगर का ग्रास बनता।

तंत्र जब अपने चेहरों को छुपाने के लिए एक और चेहरा उत्पन्न करता है, उस पर वे सब कैसे आस्था रख सकते हैं, जो तंत्र के चरित्र और स्वभाव से परिचित हैं।

मान लीजिए, एक अफसर ने खरीद में घोटाला किया। कमीशन खाया, रिश्तेदारों, दोस्तों को टेंडर-मंजूरी में तरजीह दी, खराब माल खरीदा। रिंद के रिंद रहे, हाथ से जन्नत न गई। विधान सभा के सदस्य इस प्रकरण पर शोर मचाते हैं, सवाल पूछते हैं, बहस खड़ी करते हैं। आपका चक्कर जो भी हो, मुख्य मंत्री उस अफसर को बचाना चाहते हैं, तो इसके पूर्व कि विधान सभा की कोई कमेटी जाँच करे, वे उछलकर घोषणा कर देंगे कि मामला लोकायुक्त को सौंपा जाएगा। चलिए करतल ध्वनि हो गई। अखबारों में छप गया। लगा कि सरकार बड़ी न्यायप्रिय है।



अब दिलचस्प स्थिति यह होगी कि वह अफसर, जिसके विरुद्ध सारा मामला है, उसी कुर्सी पर बैठा है, जिस पर बैठ उसने घोटाला किया था। उसी को अपने खिलाफ मामला तैयार कर लोकायुक्त को भेजना है और यदि जाँच हो तो अपनी सफाई भी पेश करनी है। वह मामला बनाता ही नहीं, क्योंकि स्वंय के विरुद्ध उसे कोई शिकायत ही नहीं है। वह कह देगा कि विधायकों के भाषणों में शिकायतें स्पष्ट नहीं हैं।



लोकायुक्त एक सील है, प्रमाणपत्र देने का दफ्तर है । यहाँ से उन अपनेवालों को, जो भ्रष्टाचार कर चुके और आगे भी करने का इरादा रखते हैं, ईमानदारी के प्रमाणपत्र बाँटे जायेंगे। लोकायुक्त एक खाली जगह है जो भ्रष्टाचार और उसकी आलोचना के बीच सदा बनी रहेगी। यह सरकार का शॉक एब्जॉर्बर है, जो कुरसियों की रक्षा करेगा। एक कवच है, ढक्कन है, रैपर है, जो सरकारी खरीद, टेंडरी भ्रष्टाचार, निर्माण कार्यों में कमीशनबाजी, टेक्निकल हेराफेरी से ली गई रिश्वतें आदि लपेटने, छिपाने और सुरक्षित रखने के काम आएगा। यह विरोधियों के विरोध का मुँहतोड़ सरकारी जवाब है। एक स्थायी ठेंगा है, जो मंत्री जब चाहे तब किसी को दिखा सकता है। विजिलेंस कमीशन ने 15 साल भुलावे में रखा। अब 15 वर्ष लोकायुक्त काम आएगा। सरकारी बाग की एक कँटीली बाड़ है, जिसमें भ्रष्टाचार के पौधे सुरक्षित हैं।



जब विजिलेंस कमीशन उर्फ सतर्कता आयोग बना था तो एक व्यापारी से मैंने कहा था - जब सतर्कता आयोग बन गया है, अब क्या करोगे ? वह लंबी सांस लेकर बोला - क्या करेंगे। टेंडर में पाँच परसेंट उसका भी रखेंगे। लोकायुक्त के लिए भी वह शायद ऐसा ही कुछ कहेगा।




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Comments Akanksha Gautam on 27-06-2023

Afsar Sharad Joshi ki kavita

Shivani on 06-04-2023

Afasar agar is kenare ja raha hai to AAP us kenare jayeye esi me aapki kher hai es kathan veshleshan afsar veyang lakh ke aadhar par kijiye

सुरेंद्र on 25-06-2022

लेखक ने किसे रेडीमेड मसीहा कहा है


Jittu on 12-11-2021

Viyang ke Aadhar per afsar ki visheshtaen bataiye

Anuj sahare on 20-10-2021

अफसर नामक व्यंजन में मनुष्य के किस प्रवृत्ति की ओर इशारा किया है

Himani Bendwal on 25-07-2021

अफसर के चरित्र की विशेषताएं लिखिए ?

Pavan on 21-07-2021

Afsar vyengye ki prasangikta likhiye


Pass ksss ho on 20-07-2021

Hfffhbtvbsv



MAYANK nema on 12-05-2019

Sharad Joshi ji ne Apsara young Kyun likha

sanskriti on 13-09-2020

afsar namak vyang lekh m sharad joshi n afsari ki tulna kisse ki hai aur kyu ki hai

Maheshbadole222@.com on 22-01-2021

Aphsar namak vyangya kakendriya bhav likhiye

Pari Rathod on 03-02-2021

Afsar ke sath nav me betne se kya katra he


Priyanshu on 06-02-2021

अफसर के साथ नाव में बैठने के क्या खतरे हैं शरद जोशी के अनुसार

Vishnu ahirwar on 06-02-2021

अफसर नामक व्यंग में लेखक ने मनुष्य की किस प्प्रवती ओर इशारा किया

neelesh on 18-02-2021

अफसर की व्यंग ki . pasGIkta लिखिए b.a. प्रथम वर्ष

Ghjjjjijjkkkjjiiiikk on 08-04-2021

Hgfhjh
Hhjjjjjyj

Munshi Lal on 03-07-2021

Afsar ke sath me naaw me baithne se kya khatra hai by sard joshi

Shirin on 10-07-2021

Afsar ke sath nav mein baithane ke kya khatre Hain


Vishal jatav on 11-07-2021

अफसर के साथ नाव में बैठने से क्या खतरे हैं समझाइए

Vishal jatav on 11-07-2021

अफसर के साथ नाव में बैठने से क्या खतरा है समझाइए प्रश्नों का उत्तर

Ranjeet dhakar on 11-07-2021

सर के तबादले का वर्णन करो

Vikrant rathore on 11-07-2021

अफसर के साथ नाव में बैठने के क्या खतरे ही

Gyanendra Choudhari on 13-07-2021

Afsar namak vyang me lekhak ne manushya ke kis pravratti ki ore isara kiya hai spasht kijiye

Deepak indaure on 13-07-2021

अफसर के साथ नाव में बैठने से खतरे कौन कौन से होते हैं?

Raveena on 13-07-2021

Afasar ke sath nav me Bethanie ke khatare

Bhupendra on 15-07-2021

अबसर के साथ नाव में बैठने के क्या खतरे हैं

Chhaya chidar on 15-07-2021

अफसर के साथ नाव में बैठने के क्या खतरे है

Chhaya chidar on 15-07-2021

अफसर के साथ नाव में बैठने के क्या खतरे है ?

Mayur pandit on 17-07-2021

अफसर के साथ नाव में बैठने में क्या खतरे हैं

हिंदी on 18-07-2021

अब सर व्यंग्य की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए


Pass ksss ho on 20-07-2021

Hfffhbtvbsv

Varsha on 20-07-2021

Afsar vyng ki prasangikta btaiye



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