भारतीय रेल (आईआर) एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह 160 वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके 13 लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है।
अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। यह देश की जीवनधारा है और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है।
अनुक्रम
1भारत में रेलों की शुरुआत
2मुख्य खण्ड
3अन्तर्गत उपक्रम
4अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन
5देश के विकास में योगदान
6आधुनिकीकरण
7मूल संरचना विकास
8रेल बजट
9महत्वपूर्ण रेल एवं उपलब्धियाँ
10रेलक्षेत्र
11चित्र दिर्घा
12विविध
13प्रमुख रेलगाड़ियाँ
14इन्हें भी देखें
15सन्दर्भ
16बाहरी कड़ियाँ
भारत में रेलों की शुरुआत
भारत में रेलों का आरम्भ 1853 में अंग्रेजों द्वारा अपनी प्राशासनिक सुविधा के लिये की गयी थी परंतु आज भारत के ज्यादातर हिस्सों में रेलवे का जाल बिछा हुआ है और रेल, परिवहन का सस्ता और मुख्य साधन बन चुकी है। सन् 1853 में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब पहली अप ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (34 कि॰मी॰ की दूरी) की दूरी तय की थी[10][11] [12], अब भारतीय रेल विशाल नेटवर्क में विकसित हो चुका है। इसके 115,000 कि॰मी॰मार्ग की लंबाई पर 7,172 स्टेशन फैले हुए हैं।[13] उनके पास 7,910 इंजनों का बेड़ा हैं; 42,441 सवारी सेवाधान, 5,822 अन्य कोच यान, 2,22,379 वैगन (31 मार्च 2005 की स्थिति के अनुसार)। भारतीय रेल बहुल गेज प्रणाली है; जिसमें चौडी गेज (1.676 मि मी) मीटर गेज (1.000 मि मी); और पतली गेज (0.762 मि मी. और 610 मि. मी) है। उनकी पटरियों की लंबाई क्रमश: 89,771 कि.मी; 15,684 कि॰मी॰ और 3,350 कि॰मी॰ है। जबकि गेजवार मार्ग की लंबाई क्रमश: 47,749 कि.मी; 12,662 कि॰मी॰ और 3,054 कि॰मी॰ है। कुल चालू पटरियों की लंबाई 84,260 कि॰मी॰ है जिसमें से 67,932 कि॰मी॰ चौडी गेज, 13,271 कि॰मी॰ मीटर गेज और 3,057 कि॰मी॰ पतली गेज है। लगभग मार्ग किलो मीटर का 28 प्रतिशत, चालू पटरी 39 प्रतिशत और 40 प्रतिशत कुल पटरियों का विद्युतीकरण किया जा चुका है।
मुख्य खण्ड
भारतीय रेल के दो मुख्य खंड हैं - भाड़ा/माल वाहन और सवारी। भाड़ा खंड लगभग दो तिहाई राजस्व जुटाता है जबकि शेष सवारी यातायात से आता है। भाड़ा खंड के भीतर थोक यातायात का योगदान लगभग 95 प्रतिशत से अधिक कोयले से आता है। वर्ष 2002-03 से सवारी और भाड़ा ढांचा यौक्तिकीकरण करने की प्रक्रिया में वातानुकूलित प्रथम वर्ग का सापेक्ष सूचकांक को 1400 से घटाकर 1150 कर दिया गया है। एसी-2 टायर का सापेक्ष सूचकांक 720 से 650 कर दिया गया है। एसी प्रथम वर्ग के किराए में लगभग 18 प्रतिशत की कटौती की गई है और एसी-2 टायर का 10 प्रतिशत घटाया गया है। 2005-06 में माल यातायात में वस्तुओं की संख्या 4000 वस्तुओं से कम करके 80 मुख्य वस्तु समूह रखा गया है और अधिक 2006-07 में 27 समूहों में रखा गया है। भाड़ा प्रभारित करने के लिए वर्गों की कुल संख्या को घटाकर 59 से 17 कर दिया गया है।[14]
अन्तर्गत उपक्रम
भारत में रेल मंत्रालय, रेल परिवहन के विकास और रखरखाव के लिए नोडल प्राधिकरण है। यह विभन्न नीतियों के निर्माण और रेल प्रणाली के कार्य प्रचालन की देख-रेख करने में रत है। भारतीय रेल के कार्यचालन की विभिन्न पहलुओं की देखभाल करने के लिए इसने अनेकानेक सरकारी क्षेत्र के उपक्रम स्थापित किये हैं [15][16][17]:-
रेल इंडिया टेक्नीकल एवं इकोनॉमिक सर्विसेज़ लिमिटेड (आर आई टी ई एस)
इंडियन रेलवे कन्स्ट्रक्शन (आई आर सी ओ एन) अंतरराष्ट्रीय लिमिटेड
इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर एफ सी)
कंटनेर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सी ओ एन सी ओ आर)
कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (के आर सी एल)
इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर सी टी आर)
रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (रेलटेल)
मुंबई रेलवे विकास कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एम आर वी सी लिमिटेड.)
रेल विकास निगम लिमिटेड (आर वी एन आई)
अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन
आरडीएसओ के अतिरिक्त लखनऊ में अनुसंधान और विकास स्कंध (आर एंड डी) भारतीय रेल का है। यह तकनीकी मामलों में मंत्रालय के परामर्शदाता के रूप में कार्य करता है। यह रेल विनिर्माण और डिज़ाइनों से संबद्ध अन्य संगठनों को भी परामर्श देता है। 'रेल सूचना प्रणाली के लिए भी केंद्र है (सीआरआईएस)', जिसकी स्थापना विभिन्न कम्प्यूटरीकरण परियोजनाओं का खाका तैयार करने और क्रियान्वयन करने के लिए की गई है। इनके साथ-साथ छह उत्पादन यूनिटें हैं जो रोलिंग स्टॉक, पहिए, एक्सेल और रेल के अन्य सहायक संघटकों के विनिर्माण में रत हैं अर्थात, चितरंजन लोको वर्क्स; डीजल इंजन आधुनिकीकरण कारखाना; डीजल इंजन कारखाना; एकीकृत कोच फैक्टरी; रेल कोच फैक्टरी; और रेल पहिया फैक्टरी।
देश के विकास में योगदान
देश के औद्योगिक और कृषि क्षेत्र की त्वरित प्रगति ने रेल परिवहन की उच्च स्तरीय मांग का सृजन किया है, विशेषकर मुख्य क्षेत्रकों में जैसे कोयला, लौह और इस्पात अयस्क, पेट्रोलियम उत्पाद और अनिवार्य वस्तुएं जैसे खाद्यान्न, उर्वरक, सीमेंट, चीनी, नमक, खाद्य तेल आदि। तद्नुसार भारतीय रेल में रेल प्रौद्योगिकी की प्रगति को आत्मसात करने के लिए अनेकानेक प्रयास किए हैं और बहुत से रेल उपकरणों जैसे रोलिंग स्टॉक के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। यह ईंधन किफायती नई डिज़ाइन के उच्च हॉर्स पावर वाले इंजन, उच्च गति के कोच और माल यातायात के लिए आधुनिक बोगियों को कार्य में लगाने की प्रक्रिया कर रहा है। आधुनिक सिग्नलिंग जैसे पैनल-इंटर लॉकिंग, रूट रीले इंटर लॉकिंग, केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण, स्वत: सिग्नलिंग और बहु पहलू रंगीन प्रकाश सिग्नलिंग की भी शुरूआत की जा रही है।
आधुनिकीकरण
ऐसे नेटवर्क को आधुनिक बनाने, सुदृढ़ करने और इसका विस्तार करने के लिए भारत सरकार निजी पूंजी तथा रेल के विभिन्न वर्गों में, जैसे पत्तन में- पत्तन संपर्क के लिए परियोजनाएं, गेज परिवर्तन, दूरस्थ/पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ने, नई लाइन बिछाने, सुंदरबन परिवहन आदि के लिए राज्य निधियन को आकर्षित करना चाहती है। इसके अतिरिक्त सरकार ने दिल्ली, मुंबई, चैन्नई, बैंगलूर, हैदराबाद और कोलकाता मेट्रोपोलिटन शहरों में रेल आधारित मास रेपिड ट्रांज़िट प्रणाली शुरू की है। परियोजना का लक्ष्य, शहरों के यात्रियों के लिए विश्वसनीय सुरक्षित एवं प्रदूषण रहित यात्रा मुहैया कराना है। यह परिवहन का सबसे तेज साधन सुनिश्चित करती है, समय की बचत करती एवं दुर्घटना कम करती है। इस परियोजना ने उल्लेखनीय प्रगति की है। विशेषकर दिल्ली मेट्रो रेल परियोजना का कार्य निष्पादन स्मरणीय है। दिल्ली मेट्रो का पहला चरण पूरी तरह कार्यरत है और यह अपने नेटवर्क का विस्तार राजधानी शहर के बाहर कर रहा है।
मूल संरचना विकास
भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्तार हो रहा है, मान और संभावना दोनों में। उदाहरण के लिए, पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसकी स्थापना 271 कि॰मी॰ लंबी चौडी गेज रेल लाइंस का निर्माण, रखरखाव और संचालन करने के लिए की गई है, यह गुजरात राज्य में पीपावाव पत्तन को पश्चिमी रेल के सुरेन्द्र नगर जंक्शन से जोडती है।
[13]
reliway ka itihas