Vinimay Dar Ke Prakar विनिमय दर के प्रकार

विनिमय दर के प्रकार



GkExams on 22-12-2018

  1. स्पॉट बाजार: यह बाजार वह बाजार है जो विदेशी मुद्रा के खरीदने व बेचने के तय सौदे के दो दिनों के भीतर किया जाता है। विदेशी मुद्रा की स्पॉट खरीद व विक्रय स्पॉट बाजार का निर्माण करते हैं। जिस दर पर विदेशी मुद्रा खरीदी और बेची जाती है स्पाट विनिमय दर कहा जाता है। सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए,स्पाट दर को मौजूदा विनिमय दर कहा जाता है।
  2. वायदा बाजार: यह वह बाजार है जिसमे पहले से तय विनिमय दर को भविष्य की तिथि में विदेशी मुद्रा की खरीद व विक्रय किया जाता है। जब विदेशी मुद्रा के क्रेता और विक्रेता दोनों किसी सौदे में संबंधित होते हैं, तब इस सौदे के 90 दिनों के भीतर यह लेनदेन किया जाता है। यह वायदा बाजार कहलाता है।

विनिमय दर प्रबंधन के प्रकार


A नियत विनिमय दर


B लचीली विनिमय दर


नियत विनिमय दर (Fixed Exchange Rate):-


घरेलू और विदेशी मुद्राओं के बीच विनिमय दर एक देश की मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा तय किया जाता है। इसके तहत विनिमय दर में एक सीमा से अधिक उतार चढ़ाव की अनुमति नहीं होती है, इसे स्थिर विनिमय दर कहा जाता है। आईएमएफ प्रणाली के तहत इसके सदस्य राष्ट्र के मौद्रिक प्राधिकरण अपनी मुद्रा का निश्चित मूल्य तय करता है जो एक आरक्षित मुद्रा सामान्यतः अमेरिकी डॉलर के सापेक्ष होता है। इसे 'आंकी' विनिमय दर या पार वैल्यू कहा जाता है। हालांकि,सामान्य परिस्थितियों में इसमें उच्च्वाचन की ऊपरी और निचली सीमा 1 प्रतिशत तक होती है।


नियत विनिमय दर प्रणाली अपनाने का मूल उद्देश्य विदेशी व्यापार और पूंजी आंदोलनों में स्थिरता सुनिश्चित करना है। नियत विनिमय दर प्रणाली के तहत सरकार पर विनिमय दर की स्थिरता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हो जाती है। इसे खत्म करने के लिए सरकार विदेशी मुद्रा को खरीदती व बेचती है।विदेशी मुद्रा जब कमजोर होती है तब तब सरकार इसे खरीद लेती है। और जब यह मजबूत होती है तब सरकार इसे बेच देती है। निजी तौर पर विदेशी मुद्रा की बिक्री व खरीद निलंबित रखी जाती है। आधिकारिक विनिमय दर में कोई परिवर्तन देश की मौद्रिक प्राधिकरण व आईएमएफ के परामर्श के किया जाता है। हालांकि अधिकांश देशों ने दोहरी प्रणाली अपना ली है। सभी सरकारी लेनदेन के लिए एक स्थिर विनिमय दर और निजी लेनदेन के लिए एक बाजार दर तय होती है।


नियत विनिमय दर के पक्ष में तर्क:

  • सबसे पहले, यह अनिश्चितता की वजह से जोखिम को समाप्त करता है। बाजार में यह स्थिरता, निश्चितता प्रदान करता है ।
  • दूसरा, यह, राष्ट्रों के बीच विदेशी पूंजी के निर्बाध प्रवाह के लिए एक प्रणाली बनाता है, साथ ही निवेश के रूप में यह निश्चित वापसी का आश्वासन देता है।
  • तीसरा, यह विदेशी मुद्रा बाजार में सट्टा लेन-देन की संभावना को हटाता है।
  • अंत में, यह प्रतिस्पर्धी विनिमय मूल्यह्रास या मुद्राओं के अवमूल्यन की संभावना को कम कर देता है।

B- लचीलीविनिमय दर (Flexible Exchange Rate):-


जब विनिमय दर का निर्धारण, बाजार शक्तियों (मुद्रा की मांग व आपूर्ति) द्वारा तय किया जाता है, इसे लचीली विनिमय दर कहा जाता है।


लचीली विनिमय दर के पक्षधर भी इसके पक्ष में समान रूप से मजबूत तर्क देते है। इस संबंध में तर्क दिया जाता है कि लचीली विनिमय दर अस्थिरता, अनिश्चितता, जोखिम और सट्टा का कारण बनती है। परन्तु इसके पक्षधर इस सभी आरोपों को खारिज करते हैं I


लचीली विनिमय दर के पक्ष में तर्क:

  1. सबसे पहले, लचीली विनिमय दर के रूप में एक स्वायत्ता मिलती है घरेलू नीतियों के संबंध में यह अच्छा सौदा है। इसका घरेलू आर्थिक नीतियों के निर्माण में बहुत महत्व है।
  2. लचीली विनिमय दर खुद समायोजित होती है और इसलिए सरकार पर इतना दबाव नहीं होता कि विनिमय दर को स्थिर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखा जाए।
  3. लचीली विनिमय दर एक सिद्धांत पर आधारित है, इसके तहत भविष्य में अनुमान का लाभ मिलता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी स्वत: समायोजन की योग्यता है I
  4. लचीली विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजार में मुद्रा की वास्तविक क्रय शक्ति का एक संकेतक के रूप में कार्य करता है।

अंत में, कुछ अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि लचीली विनिमय दर का सबसे बड़ा दोष अनिश्चितता है। परन्तु उनका तर्कयह भी है कि लचीली विनिमय दर प्रणाली के तहत अनिश्चितता की संभावना है उतनी ही जितनी स्थिर विनिमय दर के तहत।






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Comments Krishan on 06-12-2022

विदेशी विनीमय स्टॉक किसे कहते है

Palak on 28-02-2022

Vinimay dar ke praKar

Raj on 20-02-2020

Binimay dar ke Kitne prokar hen ?


Ajeet on 08-01-2020

Viniyam dar kitne prakar ki hoti hai





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