Afeem Ki Kheti Ki Jankari अफीम की खेती की जानकारी

अफीम की खेती की जानकारी



GkExams on 03-01-2023


अफ़ीम के बारें में : यह एक नशीला पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम "lachryma papaveris" है। अफीम में 12% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हैरोइन (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व फल में एक चीरा लगाया जाता है इसका दूध निकलने लगता है, जो निकल कर सूख जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है।


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अफीम हमे पोस्त के पौधे से प्राप्त होती है। इसका रंग काला होता है और स्वाद कड़वा होता है। कई लोग इसे नशे के रूप में प्रयोग करते है। लेकिन आपको बता दे की यह एक आयुर्वेदिक औषधी है। जिससे हम कई रोगों का इलाज कर सकते है।


जैसे - कमर दर्द, सिर दर्द, अतिसार, गर्भ अवस्था में ज्यादा खून निकलना कान का दर्द, उल्टी आदि कई बीमारियों अफीम के द्वारा ठीक किया जाता है।


अफीम की खेती की जानकारी :




वैसे तो दुनियाभर में अफीम की चोरी - छिपे खेती होती है हालाँकि कई देश ऐसे भी है जहाँ पर आराम से इस नशीले पौधे को उगाया जाता है और दुनियाभर में नशा परोसा जाता है। वहीँ अगर भारत की बात करें तो यहाँ ज्यादातर इसकी खेती उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश और राजस्थान में की जाती है।


अगर आप भी अफीम की खेती करने के बारें में जानने के इच्छुक है, तो स्टेप बाय स्टेप इन निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान दें...


सरकारी इजाजत :




सबसे पहले तो आपको अफीम की खेती के लिए नारकोटिक्स विभाग से अनुमति लेनी होती है। बिना इजाजत के इसकी खेती करने पर आपके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है।


जलवायु :




यह समशीतोष्ण जलवायु का पौधा है। इसकी खेती के लिए लगभग 20 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान कीआवश्यकता होती है।


भूमि का चुनाव :




अफीम को हर तरह की भूमि में उगाया जा सकता है। जिस भूमि में पानी का निकास उचित प्रकार से होता है वह मृदा इसकी खेती के लिए अच्छी होती है। इसके अलावा गहरी काली मिटटी जिसमे जिवांश पदार्थ की भरपूरमात्रा होती है उस मिटटी में अफीम की सफलतापूर्वक खेती की जाती है। जंहा पर लगभग4 से 6 सालों तक अफीम की खेती नहीं की जा रही हो उस स्थान पर अफीम की अच्छी फसल प्राप्त होती है। यदि खेत की भूमि का पी. एच, मान 6 से 7 हो तो बेहतर होता है।


खेत की तैयारी :




जैसा की हम सब जानते है की किसी भी फसल कोबोने के लिए सबसे पहले खेत की तैयारी की जाती है। जिसके लिए खेत की दो बार आड़ी और दो बार खड़ी जुताई करें। जुताई करने के बाद खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद को एकसमान मात्रा में मिला दें। खाद मिलाने के बाद खेत को मिटटी पलटने वाले हल से जोतें और बाद में पाटा अवश्य चलायें।


बुआई का तरीका :




अफीम के बीजों को खेत की तैयार की गयी भूमि की क्यारियों में 0.5 से 1 सेंटीमीटर की गहराई में बोयें। इसकों बोने के लिए दुरी का ध्यान रखे। एक कतार से दुसरे कतार की दुरी लगभग 30 सेंटीमीटर की होनी चाहिए। और एक पौधे से दुसरे पौधे की बीच की दुरी 0. 9 सेंटीमीटर की होनी चाहिए।


अब अफीम के बीजों को बोने के तुरंत बाद सिंचाई करें। बीजों का अंकुरण अच्छा हो इसके लिए 7 से 10 दिन के अंतर पर सिंचाई करें। मिटटी और मौसम के अनुसार खेत में एक महीने में दो बार सिंचाई करें। जब अफीम के पौधे में कली – पुष्प , डोडा और चीरा लगे तो 3 या 7 दिन पहले सिंचाई करना बहुत आवश्यक है।


अब जब अफीम की फसल को 25 से 30 दिन हो जाती है तो पहली बार निराई – गुड़ाई और छटाई करनी चाहिए। दूसरी बार जब फसल को 30 से 40 दिन हो जाते है तो कई पौधों में रोग का प्रकोप हो जाता है और कुछ अन्य अविकसित पौधे नीकल जाते है। जिसे दूर करने के लिए निराई – गुड़ाई करनी चाहिए।


अपील : यहाँ हमने सिर्फ आपको अफीम की खेती कैसे होती है इसके बारें में जानकारी प्रदान करने की कोशिश की है। GKEXAMS कभी भी आपको नशे से जुड़ी चीजों के बारें में प्रोत्साहित नही करता है, क्योंकि हमारा विश्वास है की - नशा नर्क का द्वार है...!




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Comments Aman on 21-03-2022

Ameef kis tara bejei jati h

Vinod Tiwari on 13-10-2021

मैं अफीम की खेती करना चाहता हूं इसके लिए क्या करना पड़ेगा





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