France Ki Kranti 1848 फ्रांस की क्रांति 1848

फ्रांस की क्रांति 1848



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फ्रांस की द्वितीय क्रांति (1830)

सन 1830 की फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप वहाँ के राजा चार्ल्स दशम को पदच्युत कर दिया गया और उसका चचेरा भाई लुई फिलिप गद्दी पर बैठा। इस क्रांति का प्रभाव यूरोप के अन्य राज्यों पर भी पड़ा और यूरोप का राजनैतिक वातावरण पुनः क्रांतिकारी हो गया। बेल्जियम, जर्मनी, इटलीऔर पौलैण्ड आदि देशों में क्रांतियों भड़क उठीं।


18 वर्ष बाद 1848 में लुई फिलिप भी गद्दी से हटा दिया गया। इसे जुलाई क्रान्ति भी कहते हैं।


इतिहास

नेपोलियन के पराजय के पश्चात् यूरोप में पुनर्गठन का कार्य प्रारम्भ हुआ। वियना कांगे्रस में फ्रांस में पुनः बूर्बो राजवंशके निरंकुश शासन की स्थापना पर लुई 18वें को शासक बनाया। लुई 18 ने गद्दी पर बैठते ही एक संवैधानिक घोषणा की। इसके अनुसार जनता को नवीन शासन विधान प्रदान किया गया। फ्रांस में वैधानिक राजसत्तावाद, उत्तरादायी मंत्रीमंडल और द्विसदनात्मक विधानसभा की व्यवस्था की गई। मानव अधिकारों के घोषणा पत्र को पुनः स्वीकार किया गया।


1828 में लुुई 18 की मृत्यु के पश्चात् उसका भाई चार्ल्स दशम् गद्दी पर बैठा। चार्ल्स दशम् क्रांति का घोर शत्रु था और राजा के दैवीय अधिकार के सिद्धांत में विश्वास करता था। वह कहा करता था कि "इंग्लैण्ड के राजा की तरह शासन करने की अपेक्षा मैं लकड़ी चीरना अधिक पसंद करुंगा।" वह पुरातन व्यवस्था को फिर से प्रतिष्ठित करना चाहता था। वह चर्च की महानता का प्रबल समर्थक था। जनता इस नये राजा से जितनी घृणा करती थी, कुलीन लोग उतना ही उसका आदर करते थे। वास्तव में चार्ल्स दशम् का घोर प्रतिक्रियावादी चरित्र और सामन्तों, कुलीनों तथा पदारियों के प्रति उसके भारी पक्षपात ने फ्रांस को जुलाई, 1830 के क्रांति के द्वार पर ला खड़ा किया।

क्रांति के कारण

  • चार्ल्स दशम् एक प्रतिक्रियावादी सम्राट था। राजा के दैवीय सिद्धांत का समर्थक और मानवाधिकारों का घोर विरोधी था। उसने मानव अभिव्यक्ति स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया। इतना ही नहीं उसने चर्च की शक्ति में पुनर्वृद्धि करना शुरू किया, शिक्षा देने का अधिकार चर्च को पुनः लौटा दिया गया। कैथोलिक धर्म-विरोधी अध्यापकों को हटा दिया गया।
  • चार्ल्स दशम् ने कुलीनों के हितों की रक्षा के नाम पर क्रांति के दौरान हुई उनकी आर्थिक क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए एक बड़ी रकम दी। इसकी पूर्ति के लिए उसने राष्ट्रीय ऋण की ब्याज दर 5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दी। सरकार के इस कार्य से मध्यम वर्ग काफी नाराज हुआ क्योंकि इसी वर्ग ने सरकार को कर्ज दिया था।
  • चार्ल्स ने जुलाई 1830 में चार अध्यादेश जारी किये फलतः असंतोष की भावना चरम पर पहुंच गई। यह अध्यादेश थे-
(1) प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया गया,
(2) प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया गया,
(3) मताधिकार सीमित कर दिया गया,
(4) सभा की कार्यावधि घटा दी गई।

इस अध्यादेश ने चारों ओर विरोध पैदा किया। विद्यार्थी, अवकाश प्राप्त सैनिक, मजदूर सब क्रांति के मार्ग पर बढ़ गये। इस क्रांति का नेतृत्व वयोवृद्ध नेता लफायत ने किया। विरोध के फलस्वरूप चार्ल्स दशम् को सिंहासन छोड़ना पड़ा। अपने 10 वर्षीय पोते काउंट ऑफ चेम्बोल्ड के पक्ष में सिंहासन त्यागकर इंग्लैण्ड भाग गया। इस प्रकार क्रांति सफल हुई और चार्ल्स का शासन समाप्त हुआ। फ्रांस की जनता ने चार्ल्स दशम् के इस उत्तराधिकारी को राजा स्वीकार नहीं किया बल्कि ड्यॉक ऑफ आर्लियन्स के लुई फिलीप को राजा बनाया गया।

क्रांति का महत्व एवं परिणाम

फ्रांस में सत्ता परिवर्तन हुआ। फ्रांस में बूर्बो वंश के स्थान पर आर्लियन्स वंश की स्थापना हुई। लुई फिलीप फ्रांस का शासक नहीं वरन् फ्रांसीसी जनता का शासक था। इस तरह फ्रांस में दैवीय सिद्धांत पर आधारित राजतंत्र नहीं वरन् जनता द्वारा स्वीकृत संविधान पर राजतंत्र कायम हुआ।


मध्यम वर्ग की विजय हुई। जुलाई क्रांति मध्य वर्ग की विजय थी जिसने संवैधानिक घोषणा पत्र के दोषों को दूर किया और कुलीन तथा धर्म गुरूओं का शासन समाप्त किया। इसी वर्ग ने 1789 की महान क्रांति का संचालन किया था और इसी वर्ग ने 1794 में मजदूरों के बढ़ते हुए प्रभाव से क्रांति की रक्षा की थी। 1815 से 1830 के बीच विशेषाधिकार वर्ग की चेष्ठा से इस वर्ग के हित पर खतरा उत्पन्न हो गया था। अतः मध्यम वर्ग पुनः अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय हुआ। उसने प्रतिक्रियावादी शासकों को भागने पर विवश किया और श्रमजीवी वर्ग को चुप करके शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली।


सारे यूरोप पर प्रभाव और मेटरनिख व्यवस्था को आघात पहुंचा। इस क्रांति ने यूरोप में व्याप्त लोकतांत्रिक आंदोलन को प्रोत्साहन दिया। लुई फिलिप को फ्रांस का वैध शासक स्वीकार किया गया यह मैटरनिख व्यवस्था की बहुत बड़ी पराजय थी।


क्रांति ने धार्मिक स्वतंत्रता, समानता का मार्ग प्रशस्त किया।






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Comments अ on 19-08-2018





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