Pawan Chakki Project पवन चक्की प्रोजेक्ट

पवन चक्की प्रोजेक्ट



Pradeep Chawla on 12-05-2019

बहती वायु से उत्पन्न की गई उर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन ऊर्जा बनाने के लिये हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज उर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस यन्त्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।



पवन ऊर्जा (wind energy) का आशय वायु से गतिज ऊर्जा को लेकर उसे उपयोगी यांत्रिकी अथवा विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना है।



अनुक्रम



1 इतिहास

2 मूल सिद्धान्त

3 लाभ

4 पवन ऊर्जा के उपयोग की सीमाएं

5 पर्यावरणीय समस्याएँ

6 इन्हें भी देखें

7 सन्दर्भ

8 बाहरी कड़ियाँ



इतिहास

1888 में बनाया गया पवन चक्की

विश्व में पवन ऊर्जा का उत्पादन तेजी से बढा जा रहा है।



इसका उपयोग पहली बार स्कॉटलैंड में जुलाई 1887 में किया गया। जिससे विद्युत बनाया गया। इसके बाद इसका उपयोग वहाँ की एक कंपनी ने 1888 से 1900 तक किया। तब इसे डाइनेमो के द्वारा विद्युत बनाने के लिए उपयोग किया जाता था। लेकिन यह केवल कुछ ऊर्जा बनाने के ही कार्य में आता था। इसके उपरांत इसे और भी बड़ा बनाया गया और इससे बैटरी को आवेशित कर बाद में उपयोग के लिए बनाया गया था। जिससे रात में इसका उपयोग किया जा सके और विद्युत की अन्य विधि से भी इसमें लागत कम लगने के कारण भी इसका उपयोग किया जाने लगा। परंतु इसका उपयोग कुछ कम ऊर्जा बनाने के लिए ही किया जा सकता है। इसलिए उस समय एक निश्चित जगह के लिए इसका उपयोग किया जा रहा था।

मूल सिद्धान्त

किसी सामान्य पवन टर्बाइन के मुख्य अवयव:



Foundation

Connection to the electric grid

Tower

Access ladder

Wind orientation control (Yaw control)

Nacelle

Generator

Anemometer

Electric or Mechanical Brake

Gearbox

Rotor blade

Blade pitch control

Rotor hub



सूर्य प्रति सेकंड पचास लाख टन पदार्थ को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इस ऊर्जा का जो थोड़ा सा अंश पृथ्वी पर पहुँचता है, वह यहाँ कई रूपों में प्राप्त होता है। सौर विकिरण सर्वप्रथम पृथ्वी की सतह या भूपृष्ठ द्वारा अवशोषित किया जाता है, तत्पश्चात वह विभिन्न रूपों में आसपास के वायुमंडल में स्थानांतरित हो जाता है। चूँकि पृथ्वी की सतह एक सामान या समतल नहीं है, अतः अवशोषित ऊर्जा की मात्रा भी स्थान व समय के अनुसार भिन्न भिन्न होती है। इसके परिणामस्वरूप तापक्रम, घनत्व तथा दबाव संबंधी विभिन्नताएं उत्पन्न होती है- जो फिर ऐसे बलों को उत्पन्न करती हैं, जो वायु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवाहित होने के लिए विवश कर देती हैं। गर्म होने से विस्तारित वायु, जो गर्म होने से हलकी हो जाती है, ऊपर की ओर उठती है तथा ऊपर की ठंडी वायु नीचे आकर उसका स्थान ले लेती है, इसके फलस्वरूप वायुमंडल में अर्द्ध-स्थायी पैटर्न उत्पन्न हो जाते हैं। वायु का चलन, सतह के असमान गर्म होने के कारण होता है।

विश्व भर में स्थापित सकल पवन ऊर्जा (2015 के अन्त में)[1] [2] क्रमांक देश क्षमता [MW]

1 चीन 145,362

2 संयुक्त राज्य अमेरिका 74,471

3 जर्मनी 44,947

4 भारत 25,088

5 स्पेन 23,025

6 यूके 13,603

7 कनाडा 11,205

8 फ्रान्स 10,358

9 इटली 8,958

10 ब्राजील 8,715

11 स्वीडेन 6,025

12 पोलैण्ड 5,100

13 पुर्तगाल 5,079

14 डेनमार्क 5,063

15 तुर्की 4,694

16 आस्ट्रेलिया 4,187

17 नीदरलैण्ड्स 3,431

18 मेक्सिको 3,073

19 जापान 3,038

20 रोमानिया 2,972

21 आयरलैण्ड 2,486

22 बेल्जियम 2,229

– यूरोपीय संघ 147,771

Mundial 432,883

लाभ



यह साफ-सुथरी हैः-



वायु का ऊर्जा उत्पादन करने हेतु उपयोग करने में न तो किसी भी प्रकार के प्रदूषण की समस्या, या अम्लीय वर्षा की समस्या, या खानों के अपवाह या विषाक्त प्रदूषक पदार्थो जैसी कोई समस्या है और न ही इसके कारण हेक्टेयरों तक फैली भूमि क्षतिग्रस्त होती है। वास्तव में मानव की पर्यावरणीय आवश्यकताओं की पूर्ण आपूर्ति पवन ऊर्जा रूपांतरण तंत्रों द्वारा हो जाती है। कार्बन - डाईआक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए उपलब्ध कुछेक तकनीकी विकल्पों में पवन ऊर्जा भी एक है। चूँकि इसमे गैसीय प्रदूषको के उत्सर्जन जैसी कोई समस्या नहीं है जो कि ग्रीन हाउस प्रभाव को उत्पन्न करके पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ाए, अतः विद्युत उत्पादन हेतु पवन ऊर्जा ही सबसे अधिक स्वीकृत स्रोतों में से एक है। यह नवीकरण योग्य ऊर्जा ही विश्वव्यापी उष्णता तथा अम्लीय वर्षा से संघर्ष कर सकती है।



यह असमाप्य हैः-



पवन अथवा वायु सुगमता से उपलब्ध है तथा कभी न समाप्त होने वाली है, जब कि जीवाश्मीय ईन्धन सीमित है। हालांकि और अधिक जीवाश्मीय ईंधनों की खोज की दिशा में सतत गवेषक कार्य चल रहा है, परन्तु विश्व के औद्योगिक तथा विकासशील देशों की निरंतर बढ़ती ईंधन की आवश्यकता निश्चित रूप से भविष्य में इन उच्च श्रेणी के ईंधन स्रोतों को समाप्त कर देगी। इस समस्या से निपटने के लिए, पवन ऊर्जा ही एकमात्र संभावित विकल्प है, जो कि नवीकृत भी होता रहता है। सूर्य कीं विकिरित ऊर्जा से पवन ऊर्जा सतत रूप से नवीकृत होती रहती है और इसका दोहन सरलतापूर्वक किया जा सकता है।



इसकी आपूर्ति असीमित हैः-



पवन निशुल्क तथा प्रचुरता में उपलब्ध है, सरलता से प्राप्य है, समाप्त होने वाली नहीं है तथा इसकी आपूर्ति भी निर्बाध है। पवन अथवा वायु पर किसी भी देश या वाणिज्यिक प्रतिष्ठान का एकाधिकार नहीं है, जैसा कि जीवाश्मीय ईंधनों, यथा- तेल, गैस, या नाभिक ईंधनों- जैसे यूरेनियम आदि के साथ है। चूँकि ऊर्जा क़ी मांग सतत रूप से बढ़ती ही जायेगी, इसलिए कच्चे तेल के बढ़ते हुए मूल्यों के साथ निश्चित रूप से पवन ऊर्जा ही एकमात्र आकर्षक विकल्प प्रस्तुत करती है।



यह सुरक्षित हैः-



पवन ऊर्जा संयत्रों का परिचालन सुरक्षित है। आधुनिक व उन्नत माइक्रोप्रोसेसर्स के प्रयोग से समस्त संयंत्र पूर्णतः स्वचालित हो गए हैं तथा संयंत्र के परिचालन के लिए अधिक श्रमिकों क़ी आवश्यकता भी नहीं रह गई है। निर्माण तथा रखरखाव क़ी दृष्टि से भी यह पूर्णतः सुरक्षित है। यह बात तापीय ऊर्जा संयंत्रों अथवा नाभकीय ऊर्जा संयंत्रों पर लागू नहीं होती। आधुनिक पवन संयंत्रों में प्रयुक्त प्रभावी सुरक्षा यांत्रिकी से यहाँ तक संभव हो गया है कि इन्हें सार्वजनिक स्थलों पर भी थोड़ी सी क्षति अथवा बिना किसी क्षति के स्थापित किया जा सकता है।



पवन प्रणाली के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं :-



पवन चालित प्रणाली के लिए तुलनात्मक रूप से कम स्थान की आवश्यकता होती है और इसे हर उस स्थान पर, जहाँ भी वायु की स्थिति अनुकूल हो, लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए इसे पहाड़ी के शिखर पर, समतल सपाट भू - प्रदेश, वनों तथा मरुस्थलों तक में लगाया जा सकता है। संयंत्र को अपतटीय क्षेत्रों तथा छिछले पानी में भी लगाया जा सकता है। यदि पवन संयंत्रों को कृषि भूमि में भी लगाया जाता है तो मीनार के आधार स्थान तक खेती की जा सकती है।



इनका शीघ्र निर्माण किया जा सकता हैः-



पवन चक्की श्रृंखलाओं में अनेक अपेक्षाकृत छोटी-छोटी इकाइयां होती हैं। इन्हें सरलता व शीघ्रता से समूहों में बनाया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप इनकी योजना बनाने में लचीलापन आ जाता है। किसी भी पवन चक्की फ़ार्म के पूरा होने के पहले ही निवेशित पूंजी शीघ्रता से वापस मिलने लगती है। मांग के बढ़ने के साथ-साथ, जब भी आवश्यकता अनुभव हो, नयी इकाइयां जोड़ी जा सकती है। इन्हें एक ही स्थान पर, समूह के रूप में या सम्पूर्ण देश के क्षेत्रों में बिखरा कर लगाया जा सकता है।



इनमें रखरखाव की कम आवश्यकता होती हैः-



चूँकि यह पवन चालित संयंत्र सरल व परिचालन में आसान होते हैं, अतः अन्य विकल्पों की तुलना में इनके रखरखाव की आवश्यकता कम होती है।



पवन ऊर्जा कम खर्चीली हैः-



चूँकि वायु बिना मूल्य उपलब्ध है, इसलिए इसमें ईंधन के मूल्यों में वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति का भी कोई जोखम नहीं है। इस प्रकार पवन ऊर्जा धन तथा ईंधन दोनों ही रूपों में बचत करती है। अतः पवन ऊर्जा मूल्यप्रभावी है। आज विश्व के कई क्षेत्रों में, जहां वायु के स्रोत केन्द्रित है, वहां पवन ऊर्जा तेल चालित तथा नाभकीय-शक्ति से उत्पादित विद्युत को कड़ी चुनौती दे रही है, क्योंकि परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विकास की लागत जहां दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, वहीँ पवन ऊर्जा की लागत तीव्रता से गिर रही है। वायु चालित टरबाइनों की दिनों-दिन बढ़ती हुई विश्वसनीयता से यह सिद्ध हो रहा है कि निकट भविष्य में अधिक से अधिक क्षेत्र ऊर्जा के अन्य रूपों की अपेक्षा पवन ऊर्जा को सबसे कम व्यय वाले आकर्षक विकल्प के रूप में अपनाएंगे।

पवन ऊर्जा के उपयोग की सीमाएं



पवन चालित संयंत्र महंगे है और केवल वहीं लगाए जा सकते है जहां आवश्यकतानुरूप वायु उपलब्ध हो। उच्च पवन गति वाले क्षेत्र पहुँच से बाहर हो सकते हैं अथवा उच्च वोल्ट क्षमता वाली पारेषण लाइनों से दूर स्थित हो सकते हैं, जिससे पवन ऊर्जा के संचार में समस्या हो सकती है। साथ ही विद्युत् की आवश्यकता समय के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है तथा विद्युत उत्पादन को मांग चक्र के अनुसार समायोजित करना होता हैपवन-शक्ति की मात्रा या गति में अचानक परिवर्तन हो सकते हैं, अतः यह भी संभव है कि मांग या आवश्यकता के समय यह उपलब्ध ही न हो। अतः सतत रूप से एक ही मात्रा में उपलब्ध न होने तथा अविश्वसनीय आपूर्ति के कारण पवन ऊर्जा की व्यवहारिक असुविधा ने इसके उपयोग को, उन्हीं क्षेत्रों तक सीमित कर दिया है जहाँ या तो विद्युत की सतत आपूर्ति की आवश्यकता नहीं है, या आवश्यकतानुरूप आपूर्ति हेतु एक अन्य स्थायी ऊर्जा विकल्प उपलब्ध है। विद्युत ऊर्जा का भंडारण कठिन एवं महँगा भी है, इसलिए पवन ऊर्जा का उपयोग किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा के साथ साथ अथवा गैर-वैद्युत भंडारण के साथ किया जा सकता है। पवन ऊर्जा का उपयोग जलविद्युत ऊर्जा जनित्रों के साथ करना अधिक लाभप्रद है, क्योंकि जल का उपयोग ऊर्जा भंडारण के स्रोत के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है और भूमिगत संपीड़ित वायु के भंडारण का उपयोग एक अन्य विकल्प है।

पर्यावरणीय समस्याएँ



विद्युत चुम्बकीय व्यवधान --



पवन उत्पादक संयंत्र विद्युत चुंबकीय संकेत वातावरण में प्रसारित करेंगे। क्षैतिज अक्ष वाले पवन चालित टर्बाइनों के घूमते हुए फलक (ब्लेड) दूरदर्शन संकेतों के दृश्य अंश विरूपित करके निकटवर्तीय क्षेत्रों में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं। संयंत्रों से दूरी बढ़ने के साथ साथ यह व्यतिकरण कम हो सकता है, फिर भी यह परा-उच्च आवृत्ति (यू एच एफ) चैनलों को कई किलोमीटर की दूरी पर भी प्रभावित कर सकता है। अगर ब्लेड स्थिर भी हो तो भी वायु में प्रसारित संकेत छद्म बिम्ब (घोस्ट इमेज) उत्पन्न कर सकते है। इस समस्या को समुचित स्थल-चयन तथा सूक्ष्म तरंग (माइक्रोवेव) संपर्क के बीच दृष्टि रेखा को बदल कर तथा संयंत्रों को प्रसारण केन्द्रों से दूर लगा कर किया जा सकता है।



शोर --



अनेक विकसित देशों में शोर की समस्या को पवन ऊर्जा विकास के विरुद्ध हथियार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। पवन चालित संयंत्र से शोर उत्पन्न होने के दो प्रमुख स्रोत हैः यांत्रिकी शोर जो कि घूमते हुए यांत्रिक एवं वैद्युतिक घटकों से उत्पन्न होता है और जिसे उचित गियर-प्रणाली या ध्वनिरोधक आच्छादन लगाकर कम किया जा सकता है। दूसरा कारण है सीटी जैसी वह आवाज जो फलकों के ऊपर वायु के प्रवाहित होने से उत्पन्न वायुगतिकीय शोर है, जिसकी अलग -अलग आवृत्तियां होती हैं।



वन्य जीव --



अनेक प्रकृतिप्रेमीयों या क्लबों की यह आशंका है कि पवनचालित संयंत्रों की उपस्थिति प्रवासी पक्षियों तथा सामान्य पक्षियों को भयभीत करती है। परन्तु आंकड़ों से यह अब सिद्ध हो चुका है कि पक्षी टकराने की घटनाएं निचली उड़ान के स्तर पर ही होती है और ऐसे पक्षियों की संख्या बहुत ही कम होती है।



सौंदर्य बोध --



निस्संदेह वायु चालित टर्बाइनों का प्राकृतिक दृश्यावली पर निश्चित रूप से कुछ दुष्प्रभाव पड़ता है और यह दृश्य-प्रदूषण को जन्म देता है। जब बड़ी-बड़ी ऊँची मीनारें खड़ी की जाती है तो वे निश्चित रूप से प्राकृतिक दृश्यावली की सुरम्यता को प्रभावित करती हैं (विकसित देश इस दिशा में अधिक जागरुक हैं, जबकि विकासशील देशों में अधिकतर इसे प्रगति का चिन्ह माना जा रहा है)। इन सबके अतिरिक्त, कम उंचाई पर वायुयान संचालन, रडार-प्रसारणों तथा संचार के अन्य माध्यमों पर भी इसके दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Divyesh on 02-01-2024

Meri jagah PE pavn chaki lagvani hai

Antika on 06-12-2022

Pawan chakki project

Balbhim kajgunde on 14-10-2022

Pawan cahhki project la dogari bahg dyaych aahe contact 8999589084


Ethtyhjj on 02-10-2022

My name

Pawan chakki on 29-09-2022

Pawan chakki

Ram ahir on 12-08-2022

Muje apne khetme lagavani he
Contac 9712866727

Dashrath patidar on 07-02-2022

Pavan chakki lagwani hai pahadi per 25 biga jamai hai


Payal on 29-01-2022

Pavan cakki per project



RP SINGH Rathore on 12-05-2019

Pavan chaki

Pankaj soni on 30-12-2019

Mujhe apne khet m pawan chakky lagana h plz iski prosses bataye

SAPTAL MAGARDE on 10-07-2020

MUZE APNE KETH ME PAWAN CHHAKI LAGANA HAI

Ak on 01-10-2020

Pawan chakki best Hindi topic




नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment