देश में जातिवार जनसंख्या का अनुमान लगाने और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों का पता लगाने के संबंध में जनता की बहुत अधिक रुचि रही है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों का पता लगाने के लिए पिछली कार्रवाई वर्ष 2002 में की गई, लेकिन उसकी कई सीमाएं थीं। गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की पहचान करने तथा सरकारी योजनाओं का सभी सुपात्र लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाने तथा अपात्र लाभार्थी को इसके लाभ से वंचित करने हेतु ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में परिवारों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए भारत सरकार द्वारा सामाजिक, आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना-2011 कराई गई। सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना-(SECC : Socio Economic and Caste Census) 2011 के ग्रामीण भारत हेतु अनंतिम आंकड़े 3 जुलाई, 2015 को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली तथा केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह द्वारा संयुक्त रूप से जारी किए गए। ज्ञात हो कि सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना-2011 ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 29 जून, 2011 को पश्चिम त्रिपुरा के होजेमोरा ब्लाक से प्रारंभ की गई थी तथा देश के सभी 640 जिलों में घर-घर जाकर यह जनगणना पूरी की गई। इस जनगणना से संबंधित विस्तृत जानकारी अग्रलिखित है-
- सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना- (एसईसीसी) 2011 के निम्नलिखित तीन उद्देश्य थे-
1. घर-घर जाकर सामाजिक-आर्थिक गणना करना जिससे परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर उनके स्तर का पता लगाया जा सके ताकि राज्य सरकारें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की सूची तैयार कर सकें।
2. प्रामाणिक सूचना उपलब्ध कराना, जिससे देश की जातिवार जनसंख्या की गणना हो सके।
3. विभिन्न जातियों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति और विभिन्न जातियों और जनसंख्या के विभिन्न वर्गों की शैक्षणिक स्थिति के संबंध में प्रामाणिक सूचना उपलब्ध कराना। - सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना- 2011 के तहत तीन जनगणना घटक हैं, जिनकी गणना भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के संपूर्ण सहयोग से तीन विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा कराई गई, जो कि इस प्रकार हैं-
i. ग्रामीण क्षेत्र की जनगणना-इस क्षेत्र की जनगणना ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कराई गई।
ii. शहरी क्षेत्र की जनगणना-आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार के तहत कराई गई।
iii. जाति जनगणना-गृह मंत्रालय के तहत भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण मं कराई गई। - ग्रामीण भारत हेतु सामाजिक, आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना-2011 के तहत प्राप्त आंकड़े देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों के सामाजिक-आर्थिक स्तर यथा-आवास, भूमि/भूमिहीनता, शैक्षिक स्तर, महिलाओं की स्थिति, विभिन्न रूप में सक्षम व्यक्तियों की स्थिति, रोजगार, संपत्ति, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवारों तथा आय आदि के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
- एसईसीसी-2011 के तहत निम्न 14 मापदंडों में से किसी एक को भी पूरा करने वाले परिवारों को वंचन श्रेणी हेतु विचार से स्वतः बाहर (Automatic Exclusion) करने के प्रावधान किए गए थे। ये 14 मापदंड इस प्रकार हैं-
1. मोटर चालित दोपहिया/तिपहिया/चार पहियों वाले वाहन /मछली पकड़ने की नाव।
2. मशीन चालित तीन/चार पहियों वाले कृषि उपकरण।
3. 50 हजार और इससे अधिक की मानक सीमा के किसान क्रेडिट कार्ड।
4. सरकारी सेवा करने वाले किसी सदस्य के परिवार।
5. सरकार के पास पंजीकृत गैर-कृषि उद्योग वाले परिवार।
6. परिवार का कोई सदस्य 10,000 रुपये प्रतिमास से अधिक कमाता है।
7. आयकर दाता।
8. व्यावसायिक कर दाता।
9. सभी कमरों में पक्की दीवारें और छत के साथ तीन अथवा अधिक कमरे।
10. रेफ्रिजरेटर वाले परिवार।
11. लैंडलाइन फोन वाले परिवार।
12. वे परिवार जिनके पास कम से कम 1 सिंचाई उपकरण के साथ 2.5 एकड़ अथवा इससे अधिक सिंचित भूमि है।
13. दो अथवा उससे अधिक फसल के मौसम के लिए 5 एकड़ अथवा इससे अधिक सिंचित भूमि है।
14. कम से कम एक सिंचाई उपकरण के साथ कम से कम 7.5 एकड़ अथवा इससे अधिक भूमि है। - एसईसीसी-2011 के तहत निम्न 5 मापदंडों में से किसी एक को भी पूरा करने वाले परिवारों को वंचन की श्रेणी में स्वतः शामिल (Automatic Inclusion) करने संबंधी प्रावधान भी थे जो इस प्रकार हैं-
1. बेघर परिवार।
2. निराश्रित/भिक्षुक।
3. हाथ से मैला ढोने वाले परिवार।
4. आदिम जनजातीय समूह।
5. कानूनी रूप से मुक्त किए गए बंधुवा मजदूर। - एसईसीसी-2011 के तहत वंचन को सात आधारों पर लिया गया है जो कि इस प्रकार हैं-
1. कच्ची दीवारों और कच्ची छत के साथ केवल एक कमरे में रहने वाले परिवार।
2. परिवार में 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क सदस्य न होना।
3. महिला मुखिया वाले परिवार जिसमें 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क पुरुष सदस्य नहीं है।
4. निःशक्त सदस्य वाले और किसी सक्षम शरीर वाले वयस्क सदस्य से रहित परिवार।
5. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवार।
6. ऐसे परिवार जहां 25 वर्ष से अधिक आयु का कोई वयस्क साक्षर नहीं है।
7. भूमिहीन परिवार जो अपनी ज्यादातर कमाई दिहाड़ी मजदूरी से प्राप्त करते हैं। - परिवार की स्थिति
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल परिवारों (ग्रामीण एवं शहरी) की संख्या 24.39 करोड़ है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में कुल परिवारों की संख्या 17.91 करोड़ तथा शहरी क्षेत्रों में कुल परिवारों की संख्या 6.47 करोड़ है।
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल 73.44 प्रतिशत परिवार ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं, जबकि 26.56 प्रतिशत परिवार शहरी क्षेत्र में।
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल ग्रामीण परिवारों में से 7.05 करोड़ (39.39 प्रतिशत) परिवार ऐसे हैं जो कि निर्धारित 14 मापदंडों में से किसी एक को पूरा करने के कारण वंचन श्रेणी हेतु विचार से स्वतः बाहर हैं।
- कुल ग्रामीण परिवारों में से 16.50 लाख (0.92 प्रतिशत) परिवार ऐसे हैं जो कि निर्धारित 5 मापदंडों में से किसी एक को पूरा करने के कारण स्वतः ही वंचन श्रेणी में शामिल माने गए हैं।
- ग्रामीण भारत के शेष 10.69 करोड़ परिवारों पर वंचनों के संदर्भ में विचार किया गया जिसमें से 2.00 करोड़ परिवारों ने वंचन की स्थिति रिपोर्ट नहीं दी जबकि शेष 8.69 करोड़ परिवार वंचन के 7 आधारों में से किसी एक या अधिक आधार पर वंचित पाए गए।
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश के 94.97 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों (17.01 करोड़) के पास अपना घर है।
- कुल ग्रामीण परिवारों में 2.29 करोड़ परिवारों अर्थात 12.83 प्रतिशत परिवारों की मुखिया महिलाएं हैं।
- महिला मुखिया वाले 2.16 करोड़ (12.09 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास अपना घर है।
- कुल ग्रामीण परिवारों में से 1.09 करोड़ (6.09 प्रतिशत) परिवार निःशक्त सदस्य वाले हैं।
- कुल ग्रामीण परिवारों में 15.61 करोड़ परिवारों (87.15 प्रतिशत) के मुखिया पुरुष हैं।
1. देश में ग्रामीण परिवारों का औसत आकार 4.93 है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक औसत आकार वाले ग्रामीण परिवार हैं। उत्तर प्रदेश में ग्रामीण परिवारों का औसत आकार 6.26 है। इसके पश्चात लक्षद्वीप (5.86) तथा बिहार (5.54) का स्थान है। इस सूची में सबसे अंतिम स्थान पर आंध्र प्रदेश है जिसका ग्रामीण परिवारों का औसत आकार 3.86 है।
2. देश में 13.25 प्रतिशत (2.37 करोड़) ग्रामीण परिवार कच्ची दीवारों एवं कच्ची छत के साथ केवल एक कमरे में रहने वाले हैं।
3. देश में 3.64 प्रतिशत (65.15 लाख) ग्रामीण परिवार ऐसे हैं जिसमें 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क सदस्य नहीं है।
4. देश में 3.85 प्रतिशत (68.96 लाख) महिला मुखिया वाले ग्रामीण परिवार ऐसे हैं जिसमें 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क पुरुष सदस्य नहीं है।
5. देश में 0.40 प्रतिशत (7.16 लाख) ग्रामीण परिवार निःशक्त सदस्य वाले और किसी सक्षम शरीर वाले वयस्क सदस्य से रहित हैं।
6. देश के 23.52 प्रतिशत (4.21 करोड़) ग्रामीण परिवारों में 25 वर्ष से अधिक आयु का कोई वयस्क साक्षर नहीं है।
7. देश में 29.97 प्रतिशत (5.37 करोड़) भूमिहीन ग्रामीण परिवार अपनी ज्यादातर कमाई दिहाड़ी मजदूरी से करते हैं। - अनुसूचित जाति/जनजाति परिवारों की स्थिति
- पूरे ग्रामीण भारत में 29.43 प्रतिशत परिवार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हैं। इनमें से 18.46 प्रतिशत परिवार अनुसूचित जाति के तथा 10.97 प्रतिशत परिवार अनुसूचित जनजाति के हैं।
- देश में सर्वाधिक अनुसूचित जाति के परिवार (36.74 प्रतिशत) पंजाब में रहते हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल (28.45 प्रतिशत), तमिलनाडु (25.55 प्रतिशत) का स्थान है। उत्तर प्रदेश के 23.88 प्रतिशत ग्रामीण परिवार अनुसूचित जाति के हैं।
- देश में सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति के ग्रामीण परिवार मिजोरम (98.79 प्रतिशत) में रहते हैं। इसके बाद लक्षद्वीप (96.59 प्रतिशत), नगालैंड (93.91 प्रतिशत) तथा मेघालय (90.36 प्रतिशत) का स्थान है। उत्तर प्रदेश के 0.68 प्रतिशत ग्रामीण परिवार अनुसूचित जनजाति के हैं।
- शिक्षा की स्थिति
- सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश की 35.73 प्रतिशत ग्रामीण आबादी (31.57 करोड़) अशिक्षित है।
- राजस्थान के गांवों में सबसे ज्यादा 47.58 प्रतिशत अशिक्षित आबादी है। इसके बाद मध्य प्रदेश (44.19 प्रतिशत), बिहार (43.85 प्रतिशत) का स्थान है, जबकि लक्षद्वीप में सबसे कम 9.30 प्रतिशत अशिक्षित ग्रामीण आबादी है। राज्य की दृष्टि से केरल में सबसे कम 11.38 प्रतिशत अशिक्षित ग्रामीण आबादी है। इस दृष्टि से उत्तर प्रदेश में 38.18 प्रतिशत ग्रामीण आबादी अशिक्षित है।
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश की मात्र 3.45 प्रतिशत ग्रामीण आबादी ही स्नातक या उससे ज्यादा शिक्षित है।
- ऐसी आबादी का प्रतिशत दिल्ली के एनसीटी में सर्वाधिक (9.62 प्रतिशत) है। इसके बाद गोवा (9.48 प्रतिशत), पुडुचेरी (9.38 प्रतिशत) तथा केरल (7.75 प्रतिशत) का स्थान है। ऐसी आबादी का प्रतिशत सबसे कम मिजोरम में 1.81 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में केवल 3.57 प्रतिशत ग्रामीण आबादी ही स्नातक या उससे अधिक शिक्षित है।
- भूमि स्वामित्व
- देश में 56 प्रतिशत ग्रामीण परिवार भूमिहीन हैं, जबकि 44 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास किसी न किसी प्रकार की भूमि है।
- देश में 5.32 करोड़ (29.70 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास असिंचित भूमि है तथा 4.59 करोड़ (25.63 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास सिंचित भूमि है।
- देश के 1.76 करोड़ (9.87 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास सिंचाई के उपकरण हैं, जबकि 15.92 लाख (0.89 प्रतिशत) भूमिहीन परिवारों के पास सिंचाई के उपकरण हैं।
- देश के 73.73 लाख (4.12 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास मशीन चालित तीन/चार पहियों वाले कृषि उपकरण हैं।
- देश के 64.88 लाख (3.62 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास 50 हजार और इससे अधिक की मानक सीमा के किसान क्रेडिट कार्ड हैं। देश के 6.99 लाख (0.39 प्रतिशत) भूमिहीन परिवारों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हैं।
- 50 हजार और इससे अधिक की मानक सीमा के किसान क्रेडिट कार्ड धारक की दृष्टि से सर्वाधिक 9.63 प्रतिशत किसान क्रेडिट कार्ड धारक ग्रामीण परिवार हरियाणा में हैं। इसके बाद राजस्थान (8.42 प्रतिशत) तथा पंजाब (8.20 प्रतिशत) का स्थान है। उ.प्र. में 7.48 प्रतिशत ग्रामीण परिवार किसान क्रेडिट कार्ड धारक हैं और क्रम की दृष्टि से इसका चौथा स्थान है।
- सबसे कम किसान क्रेडिट कार्ड धारक ग्रामीण परिवार 0.24 प्रतिशत लक्षद्वीप में हैं।
- हरियाणा में सर्वाधिक 23.54 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास सिंचाई के उपकरण हैं। इसके बाद क्रमशः पंजाब (22.85 प्रतिशत), राजस्थान (16.99 प्रतिशत) तथा उत्तर प्रदेश (16.60 प्रतिशत) का स्थान है। इस दृष्टि से अरुणाचल प्रदेश (0.72 प्रतिशत) सबसे अंतिम पायदान पर है।
- आय के स्रोत
- देश के 5.39 करोड़ (30.10 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों की आय का मुख्य स्रोत खेती है।
- मिजोरम में खेती पर निर्भर रहने वाले सर्वाधिक ग्रामीण परिवार 73.68 प्रतिशत हैं। खेती पर निर्भर सबसे कम ग्रामीण परिवार (1.35 प्रतिशत) चंडीगढ़ में हैं। उत्तर प्रदेश में 40.04 फीसदी ग्रामीण परिवारों की आय का मुख्य स्रोत खेती है।
- देश के 9.16 करोड़ (51.14 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के आय का स्रोत दिहाड़ी मजदूरी है। सर्वाधिक (70.59 प्रतिशत) दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ग्रामीण परिवार बिहार में हैं। नगालैंड में सबसे कम (8.43 प्रतिशत) दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर ग्रामीण परिवार हैं।
- उत्तर प्रदेश में दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर 45.79 प्रतिशत ग्रामीण परिवार हैं।
- देश में अंशकालिक या पूर्णकालिक घरेलू सेवा पर निर्भर ग्रामीण परिवारों की संख्या 44.84 लाख (2.5 प्रतिशत) है।
- देश में कूड़ा बिन कर जीवन-यापन करने वाले 408475 (0.23 प्रतिशत) परिवार हैं।
- देश में 2887853 (1.61 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार गैर-कृषि स्वयं के उद्योग पर जीवन -यापन के लिए निर्भर हैं।
668569 (0.37 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के आय का मुख्य स्रोत भीख, दान आदि हैं। - 2.50 करोड़ (14.01 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार जीवन-यापन के लिए अन्य स्रोतों पर निर्भर हैं।
- रोजगार एवं आय की विशेषता
- वैतनिक नौकरी
- देश के 1.73 करोड़ (9.68 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार वैतनिक नौकरी में कार्यरत हैं।
- देश के केवल 5.02 प्रतिशत (89.89 लाख) ग्रामीण परिवारों के पास ही सरकारी नौकरी है।
- देश में सरकारी नौकरी वाले सर्वाधिक ग्रामीण परिवार 41.13 प्रतिशत लक्षद्वीप में हैं। इसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (28.31 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (23.8 प्रतिशत) तथा सिक्किम (20.58 प्रतिशत) का स्थान है। इस दृष्टि से सबसे अंतिम स्थान पर आंध्र प्रदेश (1.93 प्रतिशत) है। उ.प्र. में सरकारी नौकरी वाले ग्रामीण परिवारों का प्रतिशत 4.03 है।
- सार्वजनिक क्षेत्र में संलग्न ग्रामीण परिवार 20.11 लाख (1.12 प्रतिशत) हैं जबकि निजी क्षेत्र में नियोजित ग्रामीण परिवार 64.07 लाख (3.58 प्रतिशत) हैं।
- आयकर
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, केवल 82.12 लाख अर्थात 4.58 प्रतिशत ग्रामीण परिवार ही आयकर या व्यावसायिक कर अदा करते हैं।
- पंजीकृत उद्यम परिवार
- एसईसीसी- 2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश में सरकार के पास पंजीकृत उद्योग को चलाने वाले 48.95 लाख (2.73 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार हैं।
- आय के आधार पर वर्गीकृत परिवार
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, 13.34 करोड़ अर्थात 74.49 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सदस्य की मासिक आय 5000 रुपये से कम है।
- इस दृष्टि से सर्वाधिक 90.79 प्रतिशत ग्रामीण परिवार लक्षद्वीप में हैं। इसके बाद अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (87.88 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (83.52 प्रतिशत) का स्थान है। उत्तर प्रदेश में 57.56 प्रतिशत ग्रामीण परिवार ऐसे हैं, जिनमें सबसे अधिक कमाई करने वाले सदस्य की मासिक आय 5000 रुपये से कम है।
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, 3.07 करोड़ (17.18 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सदस्य की मासिक आय 5000 रुपये से 10000 रुपये के बीच है।
- देश के 1.48 करोड़ (8.29 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सदस्य की मासिक आय 10000 रुपये या इससे अधिक है।
- इस दृष्टिकोण से सर्वाधिक 43.19 प्रतिशत ग्रामीण परिवार लक्षद्वीप में हैं। इसके बाद अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (28.62 प्रतिशत) तथा हिमाचल प्रदेश (28.50 प्रतिशत) का स्थान है। उत्तर प्रदेश में 6.87 प्रतिशत ग्रामीण परिवार ऐसे हैं जिनमें सबसे अधिक कमाई करने वाले सदस्य की मासिक आय 10000 रुपये या उससे अधिक है।
- वाहन
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश के 3.70 करोड़ अर्थात 20.69 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मोटर चालित दोपहिया/तिपहिया/चार पहिया वाले वाहन या मछली पकड़ने वाली नाव है।
- ऐसे सर्वाधिक 65.85 प्रतिशत ग्रामीण परिवार गोवा में हैं जिनके पास मोटर चालित दोपहिया/तिपहिया/चार पहिया वाले वाहन या मछली पकड़ने वाली नाव है। इसके पश्चात पंजाब (51.16 प्रतिशत) तथा दिल्ली (50.54 प्रतिशत) का स्थान है।
- उत्तर प्रदेश में इस प्रकार के 25.70 प्रतिशत ग्रामीण परिवार हैं, जिनके पास मोटर चालित दोपहिया/तिपहिया/चार पहिया वाले वाहन या मछली पकड़ने वाली नाव है।
- आंकड़ों के अनुसार, देश के 17.43 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास दोपहिया वाहन, 0.56 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास तिपहिया वाहन, 2.46 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास चार पहिया वाहन तथा 0.24 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मोटर चालित मछली पकड़ने वाली नाव है।
- दूरसंचार साधन
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश की 27.93 प्रतिशत (5.004 करोड़) ग्रामीण परिवारों के पास किसी भी प्रकार का फोन नहीं है।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 70.88 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास कोई फोन नहीं है। इसके बाद ओडिशा (65.36 प्रतिशत) तथा मध्य प्रदेश (51.92 प्रतिशत) का स्थान है। उत्तर प्रदेश के 11.51 प्रतिशत ग्रामीण परिवार के पास कोई फोन नहीं है।
- देश के करीब 1.00 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास कम से कम एक लैंडलाइन फोन है।
- देश के 68.35 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मोबाइल फोन है।
- चंडीगढ़ में सर्वाधिक 91.61 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मोबाइल फोन है। इसके बाद दमन एवं दीव (88.72 प्रतिशत) तथा दिल्ली (87.98 प्रतिशत) का स्थान है। राज्य की दृष्टि से देखें तो उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 86.63 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मोबाइल फोन है। छत्तीसगढ़ में सबसे कम 28.47 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मोबाइल फोन हैं।
- देश के 2.72 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास लैंडलाइन फोन और मोबाइल फोन दोनों हैं।
- रेफ्रिज़रेटर
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के मुताबिक 1.97 करोड़ या 11.04 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास रेफ्रिज़रेटर है।
- गोवा में सर्वाधिक 69.37 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास रेफ्रिज़रेटर है। बिहार में सबसे कम 2.61 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास रेफ्रिज़रेटर है। उत्तर प्रदेश में 8.58 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास रेफ्रिजरेटर है।
- अन्य संबंधित तथ्य
- एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के अनुसार, देश में 134125 (0.07 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार बेघर हैं।
- देश के 549009 (0.31 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार निराश्रित/भिक्षा पर आश्रित हैं।
- देश में 180657 ग्रामीण आबादी (0.10 प्रतिशत) हाथ से मैला ढोने के पेशे में संलग्न हैं, जबकि 90321 (0.05 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार इस कार्य में संलग्न हैं।
- हाथ द्वारा मैला ढोने वालों की सर्वाधिक आबादी दमन और दीव में है। जहां 19.74 प्रतिशत आबादी इस पेशे में संलग्न हैं जबकि राज्य की दृष्टि से त्रिपुरा का प्रथम स्थान है, जहां 2.50 प्रतिशत आबादी इस पेशे में संलग्न है।
- उल्लेखनीय है कि ग्रामीण भारत हेतु एसईसीसी-2011 के तहत देश के कुल 640 जिलों में से 277 जिलों के संदर्भ में अभी अंतिम सूचना प्रकाशित हुई है, अब तक 13 राज्यों/संघीय क्षेत्रों द्वारा ही अंतिम सूची प्रकाशित की गई है, जबकि 21 राज्य/संघीय क्षेत्र अंतिम सूची प्रकाशित करने वाले हैं।
ग्रामीण भारत से संबंधित प्रमुख बिंदु |
1. | देश में कुल परिवारों की संख्या (ग्रामीण+शहरी) | 24.39 करोड़ |
2. | कुल ग्रामीण परिवार | 17.91 करोड़ |
3. | वंचन श्रेणी हेतु विचार से स्वतः बाहर(Automatically Excluded) कुल परिवार (14 मापदंडों के आधार पर) | 7.05 करोड़(39.39 प्रतिशत) |
4. | वंचन श्रेणी में स्वतः शामिल कुल परिवार(5 मापदंडों के आधार पर) | 16.50 लाख(0.92 प्रतिशत) |
5. | वंचन के संदर्भ में विचारित परिवार | 10.69 करोड़ |
6. | परिवार जिन्होंने वंचन की स्थिति रिपोर्ट नहीं की | 2.00 करोड़ |
7. | वंचन के 7 आधारों में से किसी एक आधार पर वंचित पाए गए परिवार | 8.69 करोड़ |
वचन आंकड़े |
D1 | कच्ची दीवारों एवं कच्ची छत के साथ केवल एक कमरे वाले परिवार | 2.37 करोड़(13.25 प्रतिशत) |
D2 | परिवार में 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क सदस्य न होना | 65.15 लाख(3.64 प्रतिशत) |
D3 | महिला मुखिया वाले परिवार जिनमें 16 से 59 वर्ष के बीच की आयु का कोई वयस्क पुरुष नहीं है | 68.96 लाख(3.85 प्रतिशत) |
D4 | निःशक्त सदस्य वाले और किसी सक्षम शरीर वाले वयस्क सदस्य से रहित परिवार | 7.16 लाख(0.40 प्रतिशत) |
D5 | अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवार | 3.85 करोड़(21.53 प्रतिशत) |
D6 | ऐसे परिवार जहां 25 वर्ष से अधिक आयु का कोई वयस्क साक्षर नहीं है | 4.21 करोड़(23.52 प्रतिशत) |
D7 | भूमिहीन परिवार जो अपनी ज्यादातर कमाई दिहाड़ी मजदूरी से 5.37 करोड़प्राप्त करते हैं | (29.97 प्रतिशत) |
| आय के स्रोत | |
1. | कुल ग्रामीण परिवार | 17.19 करोड़ |
2. | खेती | 5.39 करोड़ (30.10 प्रतिशत) |
3. | दिहाड़ी मजदूरी | 9.16 करोड़ (51.14 प्रतिशत) |
4. | अंशकालिक या पूर्णकालिक घरेलू सेवा | 44.84 लाख (2.50 प्रतिशत) |
5. | कूड़ा बिनना | 4.08 लाख (0.23 प्रतिशत) |
6. | गैर-कृषि स्वयं का उपक्रम | 28.87 लाख (1.61 प्रतिशत) |
7. | भीख, दान आदि | 6.68 लाख (0.37 प्रतिशत) |
8. | अन्य (सरकारी सेवा, निजी सेवा व सार्वजनिक उपक्रम रोजगार आदि सहित) | 2.50 करोड़ (14.01 प्रतिशत) |
8A. | सरकारी सेवा | 89.89 लाख (5.02 प्रतिशत) |
8B. | सार्वजनिक उपक्रम रोजगार | 20.11 लाख (1.12 प्रतिशत) |
8C. | निजी सेवा | 64.07 लाख (3.58 प्रतिशत) |
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