Narayanni Mata History In Hindi नारायणी माता हिस्ट्री इन हिंदी

नारायणी माता हिस्ट्री इन हिंदी



Pradeep Chawla on 20-10-2018

नारायणी धाम ( : Narayani Dham) में प्राकृतिक सौन्दर्य से पूर्ण सुसज्जित अलवर ज़िले में स्थित है। यह धाम चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरा जंगलों में है, जहां सेन समाज की कुलदेवी माता नारायणी विराजमान हैं। यहां पर प्राकृतिक की धारा फूट रही है, जो लगभग दो कि.मी. की दूरी पर जाकर खत्म हो जाती है। फर्श की दरारों से पानी स्वतः ही भूमि से निकल रहा है, जो कुण्ड में मात्र एक फीट के लगभग भरा रहता है। कुण्ड में एक चमत्कार नजर आता है। इसके अन्दर सिक्कों के होने का आभास होता है, परन्तु उनको पानी से बाहर निकालते ही वे पत्थर में परिवर्तित हो जाते हैं। गर्मियों में ठंडा व सर्दियों में गर्म जल आता है। यहां प्रत्येक वर्ष सुदी 14 को रात्रि जागरण एवं को मेला लगता है एवं भण्डारा होता है। साथ ही लोक कलाकारों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें लाखों की संख्या में यात्री पद यात्राओं के माध्यम से एवं वाहनों से आते हैं।

कथा

मान्यता है कि सेन समाज की कुलदेवी माता नारायणी का हुआ व प्रथम बार उनके पति के साथ वे अपने ससुराल जा रही थीं। चूंकि उस समय आवागमन के साधन नहीं थे, इसलिए दोनों पैदल ही जा रहे थे। गर्मियों के दिन थे, इसीलिए उन्होंने जंगल में एक वट वृक्ष के नीचे विश्राम करने का विचार किया। जब वे विश्राम कर रहे थे, तभी अचानक एक सांप ने आकर उनके पति को ढंस लिया और वे वहीं मर गये। कहा जाता है कि जंगल सूना था और दोपहर का समय था। नारायणी माता बिलख-बिलख कर रोने लगीं। शाम के समय कुछ ग्वाल अपनी गायों को लेकर वहां से गुजरे तो नारायणी माता ने उनसे उनके पति के के लिए चिता बनाने को कहा। ग्वालों ने आसपास से लकड़ियाँ लाकर चिता तैयार की। मान्यता है कि उस समय थी। इसीलिए अपने पति को साथ लेकर नारायणी माता भी उनके साथ चिता पर बैठ गईं।



अचानक चिता में आग प्रज्वलित हो गई, जिसे ग्वालों ने चमत्कार मान नारायणी माता से प्रार्थना की कि- "हे माता! हम आपको देवी रूप मानकर आपसे कुछ मांगना चाहते हैं।" चिता से आवाज़ आई कि- "जो मांगना है मांग लो।" उस समय पड़ा हुआ था। ग्वालों ने कहा कि- "हे माता! हमारे इस स्थान पर पानी की कमी है, जिससे हमारे जानवर मर रहे हैं। कृपा कर हम पर दया करें।" चिता से आवाज आई कि- "तुम में से एक व्यक्ति इस चिता से लकड़ी उठा कर भागो और पीछे मुड़कर मत देखना। जहां भी तुम पीछे मुड़कर देखोगे, पानी की धारा वहीं रुक जायेगी।" एक ग्वाला लकड़ी उठाकर भागा और भागते-भागते वह दो कोस के करीब पहुंच गया। उसके मन में शंका हुई कि कहीं देखूँ पानी आ रहा है या नहीं और जैसे ही उसने पीछे मुढ़कर देखा पानी वहीं रुक गया। आज उसी चिता वाले स्थान पर कुण्ड बना दिया गया है और उस कुण्ड से धारा के रूप में पानी दो कोस दूर जाकर समाप्त हो जाता है, जो एक चमत्कार है।






सम्बन्धित प्रश्न



Comments Vikash on 07-12-2021

Naryani mata k pati ka nam

Manish on 05-09-2019

Narayani mata ke pati ka kya nam h





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