Madhumakkhi Ke Prakar मधुमक्खी के प्रकार

मधुमक्खी के प्रकार



GkExams on 12-05-2019

मधुमक्खी के प्रकार


आवास के अनुसार मधुमक्खी के प्रकार कुछ इस तरह है। विभिन्न निवास स्थान पर छते बनाने का यह तरीका उन्हें आक्रामक या शांतिपूर्ण बना है। हम भारत में पाए जाने वाले मधुमक्खियों के प्रकार पर चर्चा करते हैं।
१.एपीस डोरसाटा लाइबोरियोसा (हिमालयन मधुमक्खी):यह मधुमक्खी दुनिया की सबसे बड़ी मधुमक्खी है। कामदार मधुमक्खी की लंबाई ३.० सेमी से ३.५ सेमी (१से १.५ इंच) है। सामान्य रूप से एक मधुमक्खी के छते ६० किग्रा या उससे अधिक शहद होता है। वे ज्यादातर हिमालय में २५०० मीटर से ३००० मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं।वे विशेष रूप से लाल शहद के लिए जाने जाते हैं जिनमें मादक प्रभाव होता है। हिमालय के पर्वत श्रृंखला में यह मधुमक्खी कुदरती रूप से परागण के लिए काम करती है। अधिकतर यह शहद जापान, कोरिया और हांगकांग में निर्यात किया जाता है।
मधुमक्खी के प्रकार
हिमालयन मधुमक्खी

यह मधुमक्खी स्वभावमें अति आक्रमक है। इसलिए उनका मधुमक्खी पालन करना संभव नहीं है।
२.एपीस डोरसाटा (जंगली मधुमक्खी): इस मधु को स्थानीय रूप से "भ्रामर" मधुमक्खी या जंगली मधुमक्खी कहा जाता है। यह मधु एक एपिस डोरसाटा लाबीरियोसा (हिमालयी मधुमक्खी) की एक उपप्रजाति है। जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह मधुमक्खी अपने आक्रामक स्वाभाव के लिए जानी जाती है। वे आमतौर पर पेड़ की शाखा में छते साथ जंगल में पाए जाते हैं। वे जंगल के प्राकृतिक परागणक का काम करती हैं। मधु को इकट्ठा करने की उनकी क्षमता इटालियन मधु की तुलना में अधिक है।
मधुमक्खी के प्रकार
जंगली मधुमक्खी
डंकने की उनकी जंगली प्रकृति के कारण, हम उन्हें पालतू बनाने में असमर्थ हैं। फिर भी,कुछ लोग शहदकी लालसामें इन के छते बर्बाद कर देते है।
3. एपिस मेलिफेरा (इटालियन मधुमक्खी):यह मधुमक्खी को यूरोपियन मधुमक्खी नाम से भी जाना जाता है। वयस्क कार्यकर्ता मधुमक्खी की लंबाई १०मिमी से १५मिमी है। वे प्रत्येक कॉलोनी में १० से १२ छते बनाती हैं।
इन मधुमक्खियों के प्राकृतिक आवास के खेतों की सीमाओं और वृक्षों के तने में पाया जाता है। वे आम तौर पर अपने छते को एक अंधेरी जगह में बनाते हैं जो उन्हें भारी धूप, वर्षा से बचाते हैं और उन्हें अन्य शिकारियों से बचाते हैं।
इस प्रकार की प्रकृति या व्यवहार के कारण, हम उन्हें पालतू कीट बनाने में सक्षम हैं।व्यवहारमें यह मधुमक्खी के अन्य मधुमक्खी से कम हिंसक है, इसलिए वे मधुमक्खी के लकड़ी के बक्से या पेटी में आसानी से प्रबंधित कर सकते हैं।
एपिस मेलिफेरा मधुमक्खी को दुनिया में मधुमक्खी पालन उद्देश्य के लिए सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
मधुमक्खी के प्रकार
एपीस मेलिफेरा - इटालियन मधुमक्खी
इस मधु की एक औसत कॉलोनी हर साल ४०किलोग्राम से ६०किलो शहद पैदा करता है। परागण करने की क्षमता कोलोनी से लगभग २.५ किमी से ३ किमी तक की है।


४. एपिस सेराना इंडिका (भारतीय मधुमक्खी): यह मधु को स्थानीय रूप से "सात-पुड़ी मधुमक्खी " कहा जाता है। भारतीय मधुमक्खी की एक कॉलोनी में सात छते होते हैं। वह इटालियन मधुमक्खी से थोड़ी ज्यादा आक्रामक है, लेकिन अगर आप इसे शांतिपूर्वक उन्हें संभालते हैं तो वे शांत रहती हैं। इन मधुमक्खियों का प्राकृतिक आवास इटालियन मधुमक्खी के समान है। इन मधुमक्खियों द्वारा उत्पादित शहद आयुर्वेद के अनुसार पोषण से भरा होता है।

मधुमक्खी के प्रकार
एपीस सेरना इंडिका- भारतीय मधुमक्खी

इस मधु की एक औसत कॉलोनी प्रति वर्ष ८ किलोग्राम १० किलोग्राम शहद पैदा करती है। परागण करने की क्षमता कोलोनिसे से लगभग १ किमी से १.५ किमी तक है।
५. एपीस फ्लोरिया (छोटी मधुमक्खी): इस मधु को स्थानीय रूप से "पॉतिक मधुमखी" कहा जाता है। वे छोटे पौधे या एक पेड़ पर छोटेसा एक छता बनाती हैं। वे अन्य मधुमक्खी से कम आक्रामक होते हैंचूंकि ये मधुमक्खियों द्वारा इकट्ठा हुआ शहद बहुत कम मात्र में होता हैं, प्रति वर्ष ५ किग्रा सेभी कम है।

मधुमक्खी के प्रकार
पौतिक मधुमक्खी
निम्न उत्पादकता के कारण, वे मधुमक्खी पालन उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया जाता है।

६. ट्रायगोना एपी (सबसे छोटा मधुमक्खी): यह शहद दुनिया की सबसे छोटी मधुमक्खी है। ट्रायगोना एपी को एक डंख रहित मधुमक्खी के रूप में भी जानी जाती है। यद्यपि उनके पास डंख नहीं है लेकिन वे अपने रक्षन के लिए मुख से कटती हैं। उनके छोटे आकार के कारण वे अन्य मधुमक्खी की तुलना में कम परिचित हैं। इन मधुमक्खियों को संभालने के लिए कुछ विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। मैंने कहीं पढ़ा है कि उनका उपयोग ग्रीनहाउस परागण के लिए किया जाता है।

मधुमक्खी के प्रकार
शुद्र मधुमक्खी


GkExams on 12-05-2019

मधुमक्खी ‘आर्थोपोडा’ संघ का कीट है। विश्व में मधुमक्खी की मुख्य पांच प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमें चार प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। मधुमक्खी की इन प्रजातियों से हमारे यहां के लोग प्राचीन काल से परिचित रहे हैं। इसकी प्रमुख पांच प्रजातियां हैं :भुनगा या डम्भर (Apis melipona)भंवर या सारंग (Apis dorsata)पोतिंगा या छोटी मधुमक्खी (Apis florea)खैरा या भारतीय मौन (Apis cerana indica)यूरोपियन मधुमक्खी (Apis mellifera)




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Deepak Gupta on 13-05-2020

Piliwale madhumakkhi ka Dil kitne bade hota hai

Rrria on 23-12-2019

Sabse Purana Mandir Kitna Purana hai

SANJAY kumar on 12-05-2019

विश्व में कितनी प्रकार की मधुमक्खी पाई जाती है


Puran Singh on 12-05-2019

भारत मे कितने प्रकर की मधुमक्खी हैं व कोन सी मधुमक्खी अधिक शहद देती है व उनकी फोटो सहित बताऐं.

Geetanjali tiwari on 14-12-2018

Honey bee ka most important role kya Hai sir

Sandeep singh on 04-11-2018

Sir kya lemongrass oil se honey Bess attractive hoti hea ager box mea lemongrass oil dall de tho. Plz reply menu use kiaa 5,box me aur 4 mea lag gayi



Krishan on 12-09-2018

Madhumakhi shad kase banati h




नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment