Satna Jile Ka Itihas सतना जिले का इतिहास

सतना जिले का इतिहास



GkExams on 04-01-2019

सतना का इतिहास पुराना नहीं है। सन् 1846 की महान क्रांति की प्रतिक्रिया में जब अंग्रेजों ने इस विषाल देश में तेजी से अपनी सामरिक शक्ति को आसानी से संचाालित करने के लिये रेल लाइन बिछाने की योजना को शुरू किया तो सतना का स्टेशन भी बना। जिस जगह सतना का रेल स्टेशन बना वहां लगभग दस-पन्द्रह किलोमीटर तक आबादी नहीं थी। इस लिहाज से ऐसा नहीं लगता कि सतना में स्टेशन का निर्माण आबादी के लिये हुआ था। यहां पर रीवा की बडी़ रियासत के अलावा सोहवल, कोठी, नागौद, पन्ना, मैहर, जसो, बरौंधा, अजयगढ़, पालदेव, चैबेपुर, जैसे छोटे राज्य थे। इन पर नजर रखने की जरूरत होने पर ब्रिटिश सेना लाने के लिये सतना का रेलवे स्टेशन बना और फिर सन् 1863 के बाद जब स्टेशन बन गया तो सतना की बस्ती आकार लेने लगी।


सतना की बस्ती को बसाने का श्रेय अंग्रेजी पोलिटिकल एजेंसी के अफसरों को तथा आबाद करने का श्रेय बुंदेलखंड, बघेलखंड, गुजरात के मजदूरों-दुकानदारों को है। सतना के पश्चिम की ओर सिविल लाइन का नाम पहले एजेन्सी दफ्तर था। यहाँ पोलिटिकल एजेन्ट का निवास और कार्यालय था। आज कल जो पुलिस कप्तान का निवास है वह ही पोलिटिकल एजेन्ट का निवास था। सन् 1901 की जनगणना में एजेन्सी की आबादी 280 थी। इसमे 142 पुरूष और 138 औरतें थी। सन् 1911 की जनगणना में एजेन्सी आहाते के भीतर 392 लोग गिने गये। इसमें 231 पुरूष और 161 औरतें थी। सन् 1887 में रीवा राज्य की ओर से बाजार अस्पताल अस्सी हजार रूपये लगाकर बना। इस अस्पताल के लिये 40 विस्तरों के लिये 4 वार्ड, एक आउटडोर की इमारत , एक ऑपरेशन थियेटर और डाक्टरों के लिये दो क्वार्टर बने। अब नई इमारत बन जाने के बाद इन भवनों को आवासीय बना दिया गया है। सन् 1927 के अक्टूबर महीने में व्यंकट हाई स्कूल की इमारत रेल्वे लाइन के पश्चिम की ओर बन कर तैयार हुई। शुरू में इमारत अंग्रेजी के ई अक्षर की तरह थी। सतना के इतिहास में हलाकि कई इमारतों का स्थान है लेकिन चांदनी टाकीज परिसर में देषी सीमेन्ट से बनी दो मंजिला भव्य इमारत कई इतिहास पुरखों की साक्षी है। सन् 1938 में इस इमारत का निर्माण शुरू हुआ। इसे सेठ मौलाबक्स ने मैदा और आटा मिल के लिये बनवाना शुरू किया था। उस समय दूसरा महायुद्ध चल रहा था। फौज को आटा सप्लाई करने में अच्छा मुनाफा था और इसी लक्ष्य के लिये बघेलखण्ड रोलर फ्लोर एण्ड इण्डस्ट्रियल मिल की स्थापना की गई। बिहारी चैक के पास सन् 1950 तक एक भव्य विषाल इमारत थी । इस दो मंजली इमारत को खजाना बिल्डिंग के नाम से पुकारा जाता था। इसके बगल से गली अभी भी है जो शास्त्री चैक और गांधी चैक के बीच सड़क से मिलती है, इसे अब न्यू क्लाथ मार्केट कहा जाता है। इसी गली से लगी खजाना की इमारत थी। इसका निर्माण पौन एकड़ जमीन पर सन् 1902 में इन्दौर के सेठ गणेश दास कृष्णा जी ने करवाया था। सेठ गणेश दास कृष्णा जी फर्म रीवा राज्य के खजांची थे, और पूरा खजाना उनके जिम्मे था, रीवा राज्य की ओर से जमीन दे दी गई थी। सतना के दक्षिण गौषाला की स्थापना 1914 में हुई। इसके पहले यहां धर्मशाला थी। जिसका निमार्ण सन् 1896 में बाबा बालकदास ने कराया था। गौशाला में रामगोपाल बानी ने सन् 1936 में एक वावली बनवाई थी। अग्रवाल समाज ने कुछ वर्ष यहाँ इन्टर कालेज चलाया। जहां आज जयस्तम्भ चैक में कम्युनिटी हाल है वहीं पर बघेलखण्ड बैंक की इमारत थी। इसका निर्माण सन् 1933 में शुरू हुआ और सन् 1934 में महाराजा गुलाब सिंह ने इसका उद्घाटन किया। जयस्तंभ चैक के पास सिटी कोतवाली जाने वाली सड़क पर एक एकड़ के भूखण्ड पर सन् 1913 में पोष्ट आफिस की इमारत बनी।


सतना बस्ती की बसावट के पूर्व बरदाडीह की गढ़ी बनी थी। कृपालपुर के इलाकेदारों की कोठी भी ऐतिहासिक है। इस कोठी में महाराजा व्यंकट रमण सिंह का जन्म हुआ। इसी कोठी में अमर शहीद लाल पद्मधर सिंह का जन्म और बाल काल बीता। सन् 1865 में सतना में रेल पटरी बिछाने का काम पूरा हुआ और इसी साल से माल गाड़ी का चलना भी शुरू हुआ। फिर सन् 1868 के प्रारंभ में पहली सवारी गाड़ी चली। इसके दो साल बाद सन् 1880 में भुसावल से इलाहाबाद के लिये पैसेंजर गाड़ी और कुछ महिनों बाद कलकत्ता के बम्बई के लिये मेल ट्रेन चली। सतना में नगर पालिका की विधिवत स्थापना सन् 1921 में 31 मई को की गई। नगर पालिका की स्थापना रीवा स्टेट म्युनिस्पल एण्ड सेनेटरी एक्ट 1921 के अन्तर्गत की गई थी। फरवरी 1964 के पूर्व सतना नगर पालिका के अन्तर्गत कुल 6 वार्ड थे। 12 फरवरी 1964 को धवारी ,कोलगंवा, खूंथी, डिलौरा, बगहा, बठिया, बम्हनगंवा, मुख्यत्यारगंज, बिरला कालोनी के भू- भाग शामिल कर लिये गये। इस तरह 29 वार्ड सन् 1941 तक सतना के बस्ती की आबादी सन् 1901 में सतना बस्ती की आबादी जनगणना के अनुसार 7027 थी, किन्तु सन् 1911 की जनगणना में आबादी 6800 दर्ज हुई। आबादी में यह गिरावट महामारी से मौत और पलायन के कारण हुई थी। सन् 1947 में सतना नगर पालिका के लिये पहला चुनाव हुआ। पहले चेयरमैन देवी शंकर खण्डेलवाल सन् 1948 से 1952 थे, श्री खण्डेलवाल बाद में विन्ध्य चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज, सतना के (1967-1970) अध्यक्ष भी बने। नगर पालिक निगम की सतना मे 26 जनवरी 1981 से स्थापना हो गई थी। सतना का पुराना और प्रथम शिवमंदिर जगतदेव तालाब में सन् 1870 में जगतदेव पाण्डेय ने बनवाया। हनुमान चैक का हनुमान मंदिर सन् 1878 में लल्ला बहादुर कायस्थ ने निर्माण कराया। पहली बार लल्ला बिल्डिंग के पीछे, महिला समिति के सामने गल्ला मंडी शुरू हुई। सन् 1927 में गल्ला मंडी यहां से लालता चैक के पास सेठ मौलाबक्ष के मकान के पीछे लगने लगी। सन् 1940 से यहां से गल्ला मंडी सुभाष पार्क के पास चली गयी। सन् 1935 में सतना में बिजी आ गयी और आयल मिल, फ्लोर मिल खुले। कई आटा चक्की लगी। सन् 1950 के बाद दुकानदारों ने संगठित होना शुरू किया। सन् 1957 में क्लाथ मर्चेन्ट एसोसियेषन बनी। सन् 1962 में विन्ध्य चेम्बर आॅफ कामर्स का गठन हुआ। इन सब का उदेश्य संगठित होकर राजनैतिक और प्रशासनिक क्षेत्रोें में अधिक से अधिक दबाव बनाना है। चेम्बर का विधिवत् पंजीयन सन् 1964 में हुआ और तब से अब तक निरंतर यह संस्था अपनी 29 सहयोगी संस्थाओं के साथ कार्य कर रही है।






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Comments Aishveryalaxmi on 26-06-2022

Sstna ka ithas ke baare me pure jankari de

Aishveryalaxmi on 26-06-2022

Satna me kitni nadiya hai..

सोनिया on 10-06-2021

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Mohmmad aslam on 02-01-2019

सतना जिला कब बना और क्यो बनाया गया





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