Rashtriya Patrakar Diwas राष्ट्रीय पत्रकार दिवस

राष्ट्रीय पत्रकार दिवस



GkExams on 06-02-2023


सही उत्तर : 16 नवंबर


व्याख्या :


यह दिवस प्रतिवर्ष 16 नवंबर को प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। क्योंकि पत्रकारिता (Journalism In Hindi) को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। ध्यान दे की भारत एक लोकतंत्र देश है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है।

जानकारी रहे की भारत की 4 जुलाई, 1966 को प्रेस परिषद की स्थापना हुई, जिसने 16 नवंबर, 1966 से अपना औपचारिक कामकाज शुरू किया। तब से हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day : 16th November) के रूप में मनाया जाता है।





Rashtriya-Patrakar-Diwas

पत्रकारिता क्या है?




इस शब्द (Journalism Meaning In Hindi) को सरल भाषा में समझे तो यह आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं।


वर्तमान समय में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं जैसे (types of journalism in india) - अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि। वैसे पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है। और वो इसलिए क्योंकि सामाजिक जिम्मेदारियो के प्रति पत्रकारिता के दायित्वो के महत्व को देखते हुए समाज ने ही यह दर्जा दिया है।


इसका मतलब ये हुआ की लोकतंत्र तभी सशक्त होगा जब पत्रकारिता सामाजिक जिम्मदेारियो के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निर्वाह करे। पत्रकारिता का उद्देश्य ही यह होना चाहिए कि वह प्रशासन और समाज के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी की भूमिका निर्वाह करे।


भारत में पत्रकारिता का विकास :




भारत की बात करें तो यहाँ का पहला अखबार (freedom of press in india) 1780 में जेम्स ऑगस्टस हिकी के संपादकीय के तहत प्रसारित किया गया था, जिसका नाम हिकी के बंगाल राजपत्र था। इसके बाद 30 मई, 1826 को उदंत मार्टंड (द राइजिंग सन), भारत में प्रकाशित पहला हिंदी-भाषी समाचार पत्र, कलकत्ता (अब कोलकाता) से शुरू हुआ था।


अपने शुरुआती दौर में प्रेस मुख्य रूप से ब्रिटिश प्रशासन और उसके अधिकारियों के कुकर्मों की आलोचना करने का एक प्रमुख साधन था। यहाँ प्रेस द्वारा लगभग 1870 से 1918 तक के राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रारंभिक चरण में (history of press in india) राजनीतिक प्रचार और शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया, न कि जन आंदोलन या खुली बैठकों के माध्यम से जनता को सक्रिय रूप से संगठित करने में।


इसलिए प्रेस की शक्ति से घबराकर ब्रिटिश सरकार ने अपनी तरफ से कई कड़े कानून बनाए थे, जैसे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए, जिसमें यह प्रावधान था कि भारत में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करने की कोशिश करने वाले को तीन वर्षों तक की या आजीवन या किसी भी अवधि के लिए कैद किया जा सकता है।


इसलिए हम यह समझ सकते है की भारतीय प्रेस का उद्भव विकासात्मक कठिनाइयों,निरक्षरता,औपनिवेशिक प्रतिबंधों और दमन से भरा हुआ था। क्योंकि इसने स्वतंत्रता के विचार को लोगों तक पहुँचाया और स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण उपकरण बन गया। जो ब्रिटिश लोगों को रास नही आया लेकिन उस ज़माने के पत्रकारों (role of press in india) को आज भी सलाम जो निडर होकर केवल सच ही दिखाया करते थे।




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