व्यावसायिक पुनर्वास : इसे संक्षिप्त रूप में VR या वोक पुनर्वसन भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जो कार्यात्मक, मनोवैज्ञानिक, विकासात्मक, संज्ञानात्मक और भावनात्मक अक्षमताओं, दुर्बलताओं या स्वास्थ्य अक्षमताओं वाले व्यक्तियों को रोजगार या अन्य उपयोगी व्यवसाय तक पहुंचने, बनाए रखने या लौटने में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सक्षम बनाती है।
व्यावसायिक पुनर्वास काउंसलर से जो काम करने की उम्मीद की जाती है उनमें शामिल हैं...
अपंग व्यक्तियों को व्यवसायिक पुनरुद्धार सेवा प्रदान करने के लिए परामर्श देना। अपंग आवेदकों का इंटरव्यू लेना और उसका आंकलन करना। मेडिकल और व्यावसायिक कर्मचारियों से बात कर के विकलांगता का प्रकार और डिग्री, सेवा के लिए योग्यता और व्यवसायिक पुनरुद्धार के लिए सम्भाव्यता ज्ञात करना। उपयुक्त प्रत्याशियों को स्वीकार करना या उसके लिए संस्तुति करना। आवेदक की इच्छाओं, कौशल और शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सीमाओं से मेल खाते हुए उसके लिए उपयुक्त नौकरी या व्यवसाय ज्ञात करना। आवेदक को नौकरी के लिए पढाई या प्रशिक्षण के लिए नियोजन और प्रबंध करना। आवेदक को व्यक्तिगत समायोजन में व्यवसायिक पुनरुद्धार के द्वारा मदद करना। आवेदक को प्रशिक्षण के दौरान मेडिकल और सामाजिक सेवा प्राप्त करने में मदद करना। रोज़गार को बढ़ावा देना और विकास करना और योग्य शिक्षित आवेदकों को रोज़गार में फिट करना। दिमागी, सुनने संबंधी और आंखों की रौशनी संबंधी जैसी विकलांगताओं में विशेषज्ञता।आपको बता दे की भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा सुनिश्चित करता है और स्पष्ट रूप से यह विकलांग व्यक्तियों समेत एक संयुक्त समाज बनाने पर जोर डालता है। हाल के वर्षों में विकलांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। यह माना जाता है कि यदि विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
विकलांगता क्या है (What Is Physical Disability In Hindi)?
इसे सरल शब्दों में समझें तो विकलांगता ऐसी शारीरिक एवं मानसिक अक्षमता है जिसके चलते कोई व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों की तरह किसी कार्य को करने में अक्षम होता है। विकलांगता का उपयोग शारीरिक या मानसिक मतभेदों को संदर्भित करने के लिए किया जा सकता है या किसी व्यक्ति की भावनात्मक या व्यवहारिक वृद्धि के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है।
विकलांगता के प्रकार :
यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको विकलांगता के प्रकारों
(Types of Physical Disability in Hindi) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
अंधापन अल्पदृष्टि श्रवण-बाधित गामक-बाधा निवारण योग कुस्ट रोग मानसिक मंदता मानसिक बीमारी ऑटिज्म बहु निशक्तता मस्तिष्क पक्षाघात मूक विकलांगता बौनापन तेजाब हमला पीड़ित मासपेशी दुर्विकाश बौद्धिक निःशक्त अधिरक्त स्रावविकलांग व्यक्तियों के अधिकार :
हमारे देश में जनगणना 2011 के मुताबिक लगभग 2.68 करोड़ लोग (2.21%) दिव्यांग है जिसमें 1.5 करोड़ पुरूष और 1.18 करोड महिलाएं शामिल है, दिव्यांग आबादी का 69% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में आता है। इनमे 49% विकलांग व्यक्ति साक्षर हैं व 34% रोजगार प्राप्त हैं। पूर्व के मेडिकल पुनर्वास पर जोर डालने की बजाए अब सामाजिक पुनर्वास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
विकलांगों
(disability rights in india) की बढ़ती योग्यता की पहचान की जा रही है, और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किए जाने पर बल दिया जा रहा है। भारत सरकार ने विकलांगों के लिए तीन कानूनों
(disability rights act) को लागू किया है, जो इस प्रकार हैं...
i. विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995, जो ऐसे लोगों को शिक्षा, रोजगार, अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण, सामाजिक सुरक्षा इत्यादि प्रदान करता है।
ii. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि व बहुविकलांगता के लिए राष्ट्रीय कल्याण ट्रस्ट अधिनियम 1999 में चारों वर्गों के कानूनी सुरक्षा तथा उनके स्वतंत्र जीवन हेतु सहसंभव वातावरण के निर्माण का प्रावधान है।
iii. भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992, पुनर्वास सेवाओं के लिए मानव-बल विकास का प्रयास करता है।
दिव्यांग अधिकार कानून, 2016 में विकलांग व्यक्तियों
(disability rights articles) के लिए नौकरियों में आरक्षण को 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया है। और दिव्यांग अधिकार कानून,2016 में 6 से 18 वर्ष के विकलांग बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है।
इसके अलावा विकलांग व्यक्तियों के स्व-रोजगार के लिए राष्ट्रीय अपंग तथा वित्तीय विकास निगम (NHFDC) राज्य की एजेंसियों द्वारा छूट के साथ ऋण मुहैया कराता रहा है। विकलांगों के कल्याण के लिए ग्रामीण स्तर, अंतर्वर्ती स्तर व जिला स्तर पर पंचायती राज संस्थान प्रयासरत है।
World Disability Day : 03rd December
पूरी दुनिया में यह दिवस
(World Disability Day : 03rd December) प्रतिवर्ष 03 दिसम्बर को विकलांग व्यक्तियों के प्रति करुणा, आत्म-सम्मान और उनके जीवन को बेहतर बनाने के समर्थन के उद्देश्य से मनाया जाता है। ध्यान दे की इस दिवस के लिए वार्षिक ऑब्जरवेशन की घोषणा यूनाइटेड नेशंस ने जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन में वर्ष 1992 में की थी।
आज के समय की बात करें तो दिव्यांगता को समाज में एक कलंक के तौर पर देखा जाता है। यह दिवस ऐसे में लोगों में दिव्यांगता मामले की समझ बढ़ाने, दिव्यांगजनों के सामाजिक सम्मान की स्थापना, उनके अधिकारों एवं कल्याण पर ध्यान केंद्रित कराने के उद्देश्यों हेतु बहुत ही अहम है।
Vocational Rehabelitaoin hota kya hai