Viklang Ke Samajik Punarvas Par Nibandh विकलांग के सामाजिक पुनर्वास पर निबंध

विकलांग के सामाजिक पुनर्वास पर निबंध



Pradeep Chawla on 14-09-2018


1. भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा सुनिश्चित करता है और स्पष्ट रूप से यह विकलांग व्यक्तियों समेत एक संयुक्त समाज बनाने पर जोर डालता है। हाल के वर्षों में विकलांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। यह माना जाता है कि यदि विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं।


2. जनगणना 2001 के मुताबिक, देश में 2.19 करोड़ व्यक्ति विकलांगता के शिकार हैं, जो कुल जनसंख्या का 2.13% हिस्सा है। 75% विकलांग व्यक्ति ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, तथा 49% विकलांग व्यक्ति साक्षर हैं व 34% रोजगार प्राप्त हैं। पूर्व के मेडिकल पुनर्वास पर जोर डालने की बजाए अब सामाजिक पुनर्वास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। विकलांगों की बढ़ती योग्यता की पहचान की जा रही है, और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किए जाने पर बल दिया जा रहा है। भारत सरकार ने विकलांगों के लिए तीन कानूनों को लागू किया है, जो इस प्रकार हैं:


i. विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995, जो ऐसे लोगों को शिक्षा, रोजगार, अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण, सामाजिक सुरक्षा इत्यादि प्रदान करता है।
ii. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि व बहुविकलांगता के लिए राष्ट्रीय कल्याण ट्रस्ट अधिनियम 1999 में चारों वर्गों के कानूनी सुरक्षा तथा उनके स्वतंत्र जीवन हेतु सहसंभव वातावरण के निर्माण का प्रावधान है।
iii. भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992, पुनर्वास सेवाओं के लिए मानव-बल विकास का प्रयास करता है।

    3. कानूनी फ्रेमवर्क के अलावा, गहन संरचना का विकास किया गया है। निम्न सात राष्ट्रीय संस्थान हैं जो मानव बल के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, ये इस प्रकार हैं:

    • शारीरिक विकलांग संस्थान, नई दिल्ली
    • राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान, देहरादून
    • राष्ट्रीय ऑर्थोपेडिक विकलांग संस्थान, कोलकाता।
    • राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान, सिकंदराबाद।
    • राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुम्बई
    • राष्ट्रीय पुनर्वास तथा अनुसंधान संस्थान, कटक।
    • राष्ट्रीय बहु-विकलांग सशक्तीकरण संस्थान, चेन्नई।

    4. पांच संयुक्त पुनर्वास केंद्र, चार पुनर्वास केंद्र तथा 120 विकलांग पुनर्वास केंद्र हैं, जो लोगों को विभिन्न प्रकार की पुनर्वास सेवाएं प्रदान करते हैं।


    पुनर्वास के क्षेत्र में स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कई राष्ट्रीय संस्थान हैं, जैसे मानसिक स्वास्थ्य तथा न्यूरो विज्ञान राष्ट्रीय संस्थान, बंगलुरू; अखिल भारतीय शारीरिक चिकित्सा तथा पुनर्वास, मुम्बई; अखिल भारतीय वाणी तथा श्रवण संस्थान, मैसूर; केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान, रांची इत्यादि। इसके अलावा कुछ राज्य सरकार के संस्थान भी पुनर्वास सेवाएं प्रदान करते हैं। साथ ही, 250 निजी संस्थान भी हैं जो पुनर्वास कर्मचारियों के लिए पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।


    5. विकलांग व्यक्तियों के स्व-रोजगार के लिए राष्ट्रीय अपंग तथा वित्तीय विकास निगम (NHFDC) राज्य की एजेंसियों द्वारा छूट के साथ ऋण मुहैया कराता रहा है।


    6. विकलांगों के कल्याण के लिए ग्रामीण स्तर, अंतर्वर्ती स्तर व जिला स्तर पर पंचायती राज संस्थान प्रयासरत है।


    7. भारत, एशिया प्रशांत क्षेत्र के विकलांग व्यक्तियों की समानता व पूर्ण भागीदारी की घोषणा-पत्र का सदस्य है। भारत एक समावेशिक, अवरोध मुक्त तथा आधिकार अधारित समाज के निर्माण की दिशा में प्रयास करने के लिए बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क का भी सदस्य है। मौजूदा समय में भारत राष्ट्रीय विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों तथा गरिमा की रक्षा व समर्थन घोषणा-पत्र में भाग ले रहा है।




    सम्बन्धित प्रश्न



    Comments Amisha kushwaha on 05-10-2018

    Swastha Samaj ke liye Seva avashyak hai Jhon? Seva ka koi Vikalp kyo nhi hai?

    Anand Gupta on 23-08-2018

    Viklango ke Samajik punarvas nibandh





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