मध्याह्न भोजन योजना के बारें में : इस योजना को वर्ष 1995 में भारत सरकार द्वारा सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए शुरू किया गया था। इस योजना के अन्तर्गत पुरे भारत के प्राथमिक और लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है।
ध्यान रहे की इसका उद्देश्य छात्रों के पोषण-स्तर को उन्नत करना है। जैसा की हमने पिछले कई वर्ष से चली आ रही मिड डे मील योजना (mid day meal menu) में देखा है की इससे स्कूलों में बच्चों की भागीदारी बढ़ी है। स्कूलों में सिर्फ नामांकन की संख्या ही नहीं बढ़ी बल्कि बच्चों की उपस्थिति में भी सकारात्मक बदलाव आया है।
इसी प्रकार राज्य की सरकारें आये दिन स्कूलों में बच्चों के लिए कुछ न कुछ नया करती रहती इसी प्रकार हाल ही में तमिलनाडु राज्य सरकार ने अपने सरकारी स्कूल के बच्चों को मिड डे मील (mid day meal objectives) के साथ नाश्ता भी देने का ऐलान किया है। और इस प्रकार तमिलनाडु ऐसा भारत का पहला राज्य बना है।
बता दे की यह विशेष पोषण योजना राज्य में कुपोषित बच्चों की खतरनाक प्रवृत्तियों पर सरकार द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य अध्ययन पर आधारित है। इस योजना का उद्देश्य - छह साल से कम उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए और कुपोषण को दूर करना है।
मध्याह्न भोजन योजना से मिले ये लाभ....
MDM kab aata he
सर हमारा गेहूँ चाबल आबंटन लिस्ट देखना है कयोकि हमारा गेहूँ चाबल आबंटन लिस्ट मेआसैलसमैन द्बारा नहीं दिया गया है
Gram nimon tah,Banda jila Sagar
Shaskiye H S Nimon me bachcho ko sahi rashan nhi mil rha he na hi menu kard h
Mdm ka dal or soya tail mil nahi raha students ko kab milaga 9893551076
Mdm ka rashoya ki rashi kab tak
Madiyhan bhojan yojna intrviw ke saval
Gram Nandiyasi tesil khachrod dist Ujjain school ki jankari
सवाल मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश में मात्र 65% राशि प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में मध्यान भोजन की राशि पहुंचाई जाती है जबकि जहां पर स्कूलों में85 से 90% उपस्थित है वहां पर इस योजना का पूर्ण लाभ बच्चों को नहीं मिल पाता और इसके अंतर्गत स्वयं सहायता समूह इसके अंतर्गत दोषी पाया जाता है कि वह बच्चों को पूर्ण रूप से भोजन उपलब्ध नहीं करा पाता इस महंगाई के युग में मध्यप्रदेश शासन द्वाराप्राथमिक स्कूलों में से ₹4. 13 पैसे से माध्यमिक स्कूलों में ₹6.18 पैसे मान से राशि जारी की जाती है वह भी सिर्फ 65% के मान से जिससे योजना को संचालित करने में स्वयं सहायता समूह को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वही मध्यान भोजन में कार्यरत रसोइयों को मात्र ₹1000 मासिक वेतन दिया जा रहा है और मात्र ₹1000 में शासन द्वारा रसोइयों से झूठे बर्तन भी साफ करवाए जाते हैं जिसमें राज्य शासन द्वारा आज तक किसी भी प्रकार का विचार विमर्श नहीं किया गया है क्या यह न्यायोचित है इस विषय पर कभी शासन गंभीरता से ध्यान देगा एक आम नागरिक मध्य प्रदेश
Mid day meal ka suruathe kab hua that mp me
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सोमवार से शनिवार तक क्यों खाना बनना चाहिए वह नहीं बन पाता है शहडोल जिला हर स्कूल में रोना है क्योंकि समूह द्वारा इसका उपयोग कर रहे हैं शासन द्वारा जो कार्य दिया गया है वह उसका पालन नहीं कर रहे हैं उल्लंघन कर रहे हैं बच्चे लोग बोल रहे हैं कि हम आलू का रस खाते हैं और छाच दाल खाते हैं जोकि अधिकारी द्वारा समूह को प्रमाणित किया जाता है की हमारी जो लागत लगाते हैं तो हमारी बिल पास नहीं होता है जोकि इस महंगाई में हम कैसे मेंटेनेंस करें