Pita Ki sampatti Ka Adhikar पिता की संपत्ति का अधिकार

पिता की संपत्ति का अधिकार



GkExams on 06-12-2018

अगर आपको लगता है कि जो संपत्ति आपके बाप-दादा की है, उस पर हर सूरत में सिर्फ़ और सिर्फ़ आपका ही हक़ है, तो ऐसा नहीं है.


बाप-दादा की संपत्ति के बंटवारे के लिए भी कई तरह के नियम-क़ानून हैं और ये इतना सीधा मामला नहीं है.


हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी प्रापर्टी के एक मामले में फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि पिता की पूरी संपत्ति बेटे को नहीं मिल सकती क्योंकि अभी मां ज़िदा है और पिता की संपत्ति में बहन का भी अधिकार है.

क्या था पूरा मामला?

दरअसल, दिल्ली में रहने वाले एक शख़्स की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति का बंटवारा हुआ.


क़ानूनी तौर पर उनकी संपत्ति का आधा हिस्सा उनकी पत्नी को मिलना था और आधा हिस्सा उनके बच्चों (एक लड़का और एक लड़की) को.


लेकिन जब बेटी ने संपत्ति में अपना हिस्सा मांगा, तो बेटे ने उन्हें देने से मना कर दिया.


इसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया. मां ने भी बेटी का समर्थन किया. इस पर बेटे ने विरोध किया और कहा कि पूरी प्रॉपर्टी उसे ही मिलनी चाहिए.

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Image caption सांकेतिक तस्वीर

इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने Download in pdf हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत फ़ैसला सुनाया.


कोर्ट ने कहा क्योंकि अभी मृतक की पत्नी ज़िंदा हैं तो उनका और मृतक की बेटी का भी संपत्ति में समान रूप से हक़ बनता है.


साथ ही कोर्ट ने बेटे पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया क्योंकि इस केस की वजह से मां को आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव उठाना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि बेटे का दावा ही ग़लत है.


कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि आज के समय में ऐसा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है.

लेकिन क्या पिता की संपत्ति में बेटी का हक़ नहीं...?

आमतौर पर हमारे समाज में बेटे को ही पिता का उत्तराधिकारी माना जाता है लेकिन साल 2005 के संशोधन के बाद क़ानून ये कहता है कि बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबरी का हक़ है.


साल 2005 से पहले की स्थिति अलग थी और हिंदू परिवारों में बेटा ही घर का कर्ता हो सकता था और पैतृक संपत्ति के मामले में बेटी को बेटे जैसा दर्जा हासिल नहीं था.

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दिल्ली में वकील जयति ओझा के मुताबिक़ अगर किसी पैतृक संपत्ति का बंटवारा 20 दिसंबर 2004 से पहले हो गया है तो उसमें लड़की का हक़ नहीं बनेगा. क्योंकि इस मामले में पुराना हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम लागू होगा. इस सूरत में बंटवारे को रद्द भी नहीं किया जाएगा.


यह क़ानून हिंदू धर्म से ताल्लुक़ रखने वालों पर लागू होता है. इसके अलावा बौद्ध, सिख और जैन समुदाय के लोग भी इसके तहत आते हैं.


लेकिन संपत्ति में हक़ किसे होगा और किसे नहीं- ये समझने के लिए ज़रूरी ये जानना है कि पैतृक संपत्ति किसे कहते हैं?

पैतृक संपत्ति का मतलब?

सामान्यत: किसी भी पुरुष को अपने पिता, दादा या परदादा से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति, पैतृक संपत्ति कहलाती है.


बच्चा जन्म के साथ ही पिता की पैतृक संपत्ति का अधिकारी हो जाता है.


संपत्ति दो तरह की होती है. एक वो जो ख़ुद से अर्जित की गई हो और दूसरी जो विरासत में मिली हो.


अपनी कमाई से खड़ी गई संपत्ति स्वर्जित कही जाती है, जबकि विरासत में मिली प्रॉपर्टी पैतृक संपत्ति कहलाती है.

पैतृक संपत्ति में किसका-किसका हिस्सा होता है?

क़ानून की जानकार डॉक्टर सौम्या सक्सेना बताती हैं कि किसी व्यक्ति की पैतृक संपत्ति में उनके सभी बच्चों और पत्नी का बराबर का अधिकार होता है.


मसलन, अगर किसी परिवार में एक शख़्स के तीन बच्चे हैं, तो पैतृक संपत्ति का बंटवारा पहले तीनों बच्चों में होगा. फिर तीसरी पीढ़ी के बच्चे अपने पिता के हिस्से में अपना हक़ ले सकेंगे.

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तीनों बच्चों को पैतृक संपत्ति का एक-एक तिहाई मिलेगा और उनके बच्चों और पत्नी को बराबर-बराबर हिस्सा मिलेगा.


हालांकि मुस्लिम समुदाय में ऐसा नहीं है. इस समुदाय में पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकार तब तक दूसरे को नहीं मिलता जब तक अंतिम पीढ़ी का शख़्स जीवित हो.

पैतृक संपत्ति को बेचने के क्या नियम हैं?

पैतृक संपत्ति को बेचने को लेकर नियम काफ़ी कठोर हैं. क्योंकि पैतृक संपत्ति में बहुत से लोगों की हिस्सेदारी होती है इसलिए अगर बंटवारा न हुआ हो तो कोई भी शख़्स इसे अपनी मर्ज़ी से नहीं बेच सकता.


सौम्या बताती हैं कि पैतृक संपत्ति बेचने के लिए सभी हिस्सेदारों की सहमति लेना ज़रूरी हो जाता है. किसी एक की भी सहमति के बिना पैतृक संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता है. लेकिन अगर सभी हिस्सेदार संपत्ति बेचने के लिए राज़ी हैं तो पैतृक संपत्ति बेची जा सकती है.

तो क्या दूसरी पत्नी के बच्चों को भी समान हक़ मिलेगा?

सबसे पहले तो ये समझना ज़रूरी है कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरे विवाह को वैध नहीं माना जाता लेकिन अगर पहली पत्नी की मौत के बाद कोई शख़्स दूसरी शादी करता है तो उसे वैध माना जाएगा.


ऐसी स्थिति में दूसरी पत्नी के बच्चों को भी संपत्ति में हक़ मिलेगा. दूसरी पत्नी के बच्चों को संपत्ति में तो हक़ मिलेगा लेकिन पैतृक संपत्ति में उनका हिस्सा नहीं होगा.

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जो संपत्ति पैतृक नहीं है, उस पर किसका हक़?

ऐसी प्रॉपर्टी स्वर्जित होती है और संपत्ति का मालिक चाहे तो अपने जीवनकाल में या फिर वसीयत के ज़रिए मरने के बाद किसी को भी अपनी प्रॉपर्टी दे सकता है.


लेकिन अगर वसीयत न हो तो?


डॉक्टर सौम्या बताती हैं, "पैतृक संपत्ति के अलावा जो कमाई गई संपत्ति होती है उसमें व्यक्ति की पत्नी, उसके बच्चों का हक़ तो होता है ही साथ ही अगर व्यक्ति के माता-पिता भी जीविका के लिए अपने बेटे पर निर्भर थे तो उन्हें भी इसमें हिस्सा मिलेगा."


"अगर माता-पिता को हिस्सा नहीं चाहिए तो कोई भी उत्तराधिकारी उनका हिस्सा लेकर उनकी ज़िम्मेदारी उठा सकता है."


हालांकि सीआरपीसी (सिविल प्रक्रिया संहिता) के सेक्शन 125 में मेंटेनेन्स का जिक्र है. जिसके तहत किसी व्यक्ति पर निर्भर उसकी पत्नी, माता-पिता और बच्चे उससे अपने गुज़ारे का दावा क़ानूनन कर सकते हैं.






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Comments Raman on 16-06-2022

Mere pitaji ne apni Jamin hum dono bhaion ko 2015 mein baant di thi use batware mein kewal hum dono bhaion ke sath hamare patniya aur pitaji aur maa thi use samay jamin ka aur ghar ka batwara ho gya Lekin koi likhit karwai nhi hue uske baad mein bahar service karta hoon aur apne pariwar ke sath rahata hu aur pitaji aur maa aur bhai aur uska parivaar ghar mein hi rahate hain uske bad covid ke samay mere patni ghar rahane ke liye aa gyi ab uske baad ghar mein jaghada hone lage aur woh mujhe apne purane Patrik ghar ka koi hissa nhi dena chate hai aur kahate hain ki ghar khali kar do aur kahate hain ki mein yeh ghar aur jamin apne bade bhai ke bete ke naam karunga aur mere kewal ek ladki hai aur kahate hain ki court case kar denge aur police mein bhi report kar denge


Urmila sanodiya on 21-01-2021

मेरे पापा ने जीते जी अपनी भूमि हम 5 भाई 2 बहन को दे दी अपनी मर्जी से।
किंतु हमारा 1 सौतेलभाई है जो पहली ममी का बेटा थ ।
तो क्या उससे हमे कोई दिक्कत तो नई


Deepak Vaishnav on 12-05-2019

मेरे पूर्व पिता कि जमी लेना चाहिए


pawan kumar yadav on 12-05-2019

pita kee sampati par beta ka adhikar hai ki nahi hai - kya iska koi shasnadesh ya nyayalaya ka aadesh hai yadi haito uplabdh karaye

Naresh on 05-09-2018

Dada ji ki.agricutr land.father ne sale krky mery.brother.ko.propty purchase krky de di...hum leagly.kya.kr.skty





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