Rajasthan Ka Geogrophical Vibhajan राजस्थान का भौगोलिक विभाजन

राजस्थान का भौगोलिक विभाजन



GkExams on 12-05-2019

राजस्थान का भौगोलिक विभाजन

• राजस्थान को मुख्यतया चार भौगोलिक भागों में विभाजन किया जा सकता है: 1. थार मरुस्थल या पश्चिमी रेगिस्तान, 2. अरावली श्रेणी और पहाड़ प्रदेश, 3. पूर्वी मैदान एवं 4. दक्षिणी-पूर्वी पठार।

• थार मरुस्थल या पश्चिमी रेगिस्तान:

o राज्य का लगभग 61% प्रतिशत हिस्सा बालुका मैदान या मरुस्थल है। इसका विस्तार मुख्यत: श्रीगंगानगर, बीकानेर, चुरु, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, सिरोही, जालौर, सीकर व झुंझुनू जिले में है।

o इसकी धरातलीय सतह रेत युक्त है और कहीं-कहीं चट्टान हैं। इस क्षेत्र में जल का आभाव अधिक है। भूमि रेतीली व बं होने के कारण यह कृषि योग्य नही है साथ ही मिट्टी में सोडियम लवण भी विद्यमान है।

o तापमान की अधिकता के कारण इस प्रदेश में वाष्पीकरण अधिक होता है। रेगिस्तानी भूमि का मुख्य हिस्सा बीकानेर, जैसलमेर तथा बाड़मेर में है।

o इस भाग में वर्षा काफी कम पाई जाती है। वर्षा का औसत 10 से 20 से.मी. रहता है। प्राकृतिक वनस्पति के नाम पर कुछ कटींली झाडियां ही उगती है।

o ऊँट यहां का प्रमुख पशु है जबकि भेड़, बकरियाँ, गाय भी पाली जाती है।

o अर्द्ध मरुस्थलीय भाग में नागौर, सीकर, झूंझुनू जिले तथा पश्चिमी जोधपुर, पाली जिले हैं। यहां वर्षा ॠतु में घासें उगती है। यहां वर्षा का औसत 20 से 40 से.मी. है। इस क्षेत्र में थोड़ी बहुत कृषि होती है।



- • दक्षिणी-पूर्वी पठार

o यह राज्य के दक्षिण-पूर्व भाग में स्थित है जो समुद्र तल से 380 मीटर ऊँचा है।

o इसमें कोटा, बूँदी, झालावाड़, चित्तौड़गढ़ आदि जिले शामिल हैं और राजस्थान के 9.6 प्रतिशत भाग में विस्तृत है।

o इस प्रदेश में ऊपर की भूमि नर्म और नीचे की भूमि चट्टानी है। इसे हड़ौती का पठार भी कहते हैं। इसमें वर्षा उचित मात्रा में होती है।

o यहां छायादार वृक्ष, तालाब, नदियाँ, खेती योग्य मैदान आदि पाए जाते हैं। बनास, बाणगंगा, काली सिंध और पर्वती नदियां इसी भाग में बहती हैं। कहीं-कहीं मैदानी भाग में खेती भी होती है। इस भाग में बड़े-बड़े जंगल भी पाए जाते हैं जिससे यहां की वन अर्थव्यवस्था विकसित हो गयी है।

o इस पठार को दो भागों में बाँटा जा सकता है: 1. विंध्यन कगार भूमि, 2. दक्कन लावा पठार

o विंध्यन कगार भूमि: इसका अधिकांश क्षेत्र बड़े-बड़े बलुआ पत्थरों से निर्मित है जिनके बीच-बीच में स्लेटी पत्थर भी है। इन कगारों का विस्तार बनास और चंबल के मध्य दक्षिण व पूर्व की ओर और बुन्देलखंड़ के पूर्व तक है। मुख्यत: यह धौलपुर और करौली में हैं।

o दक्कन लावा पठार: इसका अधिकांश क्षेत्र बलुका पत्थरों और बीच-बीच में स्लेटी पत्थरों का बना है। यह एक विस्तृत और पथरीला उच्च प्रदेश है। इस भू-भाग में नदी घाटियों में कहीं-कहीं काली मिट्टी के क्षेत्र मिलते हैं। विंध्यन कगारों के आधार तल क्षेत्रों पर दक्कन ट्रेपलावा के जमाव दृष्टिगोचर होते हैं। इसमें कोटा-बूंदी पठार भी सम्मिलित हैं। नदियों द्वारा पठारी भाग को काँट-छाँट कर विच्छेदित कर लिया गया है।

• पूर्वी मैदान

o यह मैदान अरावली श्रृंखला के उत्तर-पूर्व, पूर्व और दक्षिण-पूर्व में विस्तृत है। इसके अंतगर्त अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर जिले और जयपुर भीलवाड़ा, कोटा, बूँदी, डूंगरपूर, बांसबाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपूर और टौंक जिलों के कुछ भाग सम्मिलित हैं।

o इस संपूर्ण प्रदेश को निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा जा सकता है: 1. चम्बल बेसिन, 2. बनास बेसिन और 3. मध्यमाही बेसिन

o चम्बल बेसिन: कोटा, बूँदी, टौंक, धौलपुर, सवाई माधोपुर और धौलपुर जिलों में विस्तृत है। चंबल घाटी की स्थलाकृति पहाड़ियों और पठारों से निर्मित है। संपूर्ण घाटी में नवीन जलोठ जमाव पाये जाते हैं। इस क्षेत्र में बाढ़ के मैदान, नदी कंगार, बीहड़ व अन्त: सरिता आदि स्थलाकृतियाँ पायी जाती है। चंबल बेसिन में बीहड़ों का क्षेत्र 4500 वर्ग किलोमीटर है। चंबल बेसिन प्रदेश में आद्र प्रकार की जलवायु पाई जाती है जहां 60 से.मी. से 100 से.मी. के बीच वर्षा होती है। मिट्टी उपजाऊ एंव कृषि के योग्य है।

o बनास बेसिन: बनास तथा उसकी सहायक नदियों (खारी, सोड़रा, भौसी और मौरल) द्वारा सिंचित यह मैदान दक्षिण में मेवाड़ का मैदान तथा उत्तर में मालपुरा करोली का मैदान कहलाता है। इसका विस्तार उदयपुर के पूर्वी भागों, पश्चिमी चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, टौंक, जयपुर, पश्चिमी सवाई माधोपुर और अलवर के दक्षिणी भागों तक है। वर्षा की मात्रा 60 से.मी. से 90 से.मी. के मध्य होती है लेकिन उपजाऊ मिट्टियाँ एंव सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के कारण राजस्थान का महत्वपूर्ण कृषि प्रदेश है।

o मध्यमाही बेसिन: उदयपुर के दक्षिण-पूर्व, बाँसबाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिलों के दक्षिणी भागों में विस्तृत है। इस क्षेत्र की मुख्य नदी माही है। प्रतापगढ़ और बाँसबाड़ा के मध्य में छप्पन ग्राम स्थित होने के कारण इस मैदान को छप्पन का मैदान भी कहते है। सागवान और बाँस के वृक्ष बहुतायत से मिलते हैं। पश्चिमी भाग पहाड़ी होने के कारण कृषि सुगम्य नही है।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Pravin kumar on 19-08-2021

राजस्थान के राज्यपाल का नाम बताइए।

Agriculture supervisor on 14-07-2021

Agriculture supervisor book

Rinku prajapat on 28-05-2021

Rajasthan Ka bhogolik vibhajan Kiya gya


Raj kumar jat on 05-03-2021

Aravli sreni Or pahad predesh ka bhag samil nhi h





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment