जनसांख्यिकीय Sankraman Ke Sidhhant जनसांख्यिकीय संक्रमण के सिद्धांत

जनसांख्यिकीय संक्रमण के सिद्धांत



Pradeep Chawla on 12-05-2019





जनसांख्यिक संक्रमण किसे कहते हैं?


"जनसांख्यिक संक्रमण एक ऐसा प्रतिमान (मॉडल) है जो अधिक समय के दोरान

जनसंख्या में हुए परिवर्तन को दर्शाता है। यह जनसंख्या वृद्धि के उन चार

स्तरों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है जो राष्ट्रों में उनके

सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ आगे पिछे गुजरते है:













































स्तर-1







यह स्तर विशिष्ट रूप से कम विकसित देशों में देखा जाता है जहां जन्म

दर बहुत अधिक होती है लेकिन बड़ी संख्या में व्यक्तियों की निरोध्य कारणों

से मृत्यु हो जाती है जिससे जनसंख्या स्थिर हो जाती है।







स्तर-2







मृत्यु दर बहुत तेजी से नीचे गिरती है क्योंकि निरोध्य कारणों से होने

वाली मौतें बेहतर आहार आपूर्ति और उन्नत जनस्वास्थ्य की सुविधाओं की वजह

से कम हो जाती है, लेकिन उच्च जनन क्षमता, कम समाजिक विकास और स्वास्थ्य

एवं गर्भ निरोधक सेवाओं तक सीमित पहुंच के कारण जन्मदर अधिक रहती है। इस

वजह से प्रायः जनसंख्या में बहुत वृद्धि हो जाती है।







स्तर-3







जन्म दर कम हो जाती है परन्तु जनसंख्या निरंतर बढ़ती जाती है क्योंकि

पूर्व पीढ़ियों की उच्च जननक्षमता के कारण जनन आयु वर्ग में बहुत अधिक

संख्या में लोग होते हैं।







स्तर-4







निम्न जन्म और निम्न मृत्यु दरों के साथ परन्तु सामाजिक और आर्थिक

विकास के उच्च स्तर पर जनंख्या स्थिर हो जाती है। जनसंख्या स्थिर तो हो

जाती है परन्तु स्तर एक में दर्शाई गी जनसंख्या से अधिक होती है।







उच्च मृत्युदर और उच्च जनन क्षमता के साथ स्थिर जनसंख्या से निम्न

मृत्युदर और निम्न जननक्षमता के साथ स्थिर जनसंख्या तक का यह परिवर्तन

जनसांख्यिक संक्रमण कहलाता है। इस समय भारत तृतीय स्तर से गुजर रहा है।





जनसांख्यिक परिवर्तन प्राप्त करने में विकासशील देश पीछे क्यों हैं?


विकासशील देश ऐतिहासिक सारणों से जनसांख्यिक परिवर्तन प्राप्त करने में

पीछे हैं। विकसित देशों में 1800 वीं सदी के दौरान औद्योगिक क्रान्ति हुई

जिसकी वजह से वहां समग्र विकास हुआ, संपन्नता की लहर दौड़ने लगी, जिसके

परिणामस्वरूप मृत्यु दरों में कमी हो गई। विकासशील देशों ने उपनिवेशवाद और

वृद्धि के अभाव के कारण ये अवसर हाथ से खो दिए। स्थानीय गरीबी, शिक्षा के

निम्न स्तर और परिवार नियोजन के क्षीण कार्यक्रमों के कारण विकासशील विश्व

के अनेक भागों में प्रत्येक महिला ने औसतन छः बच्चों से अधिक बच्चों को

जन्म दिया उच्च जनसंख्या वृद्धि के इस लंबे चरण के परिणामस्वरूप

युवक-युवतियों की जनसंख्या में काफी इजाफा हुआ जिससे जनसंख्या में और अधिक

तेजी से वृद्धि हुई तथा जनसांख्यिक परिवर्तन प्राप्त करने की अवधि और लंबी

होता गई।



Comments Aaksh on 18-01-2024

Jnankiki siddhant kya he

Kartik raj on 29-10-2023

Jansankhya ke jansankhyikiy sankraman ke sidhant bataiye

Anjuman on 14-09-2023

जनांकिकी संक्रमण के सिद्धांत


Anjali rawat on 01-09-2022

Jansankhya Sankraman Siddhant kiss Kahate ha

Shristi Vishwakarma on 24-03-2021

जनसांख्यिकीय संक्रमण के सिद्धांत का वर्णन कीजिए |





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