Kala Aur Sanskriti Ka Sambandh
18 Apr 2011
कला और संस्कृति का रिश्ता कुछ ऐसा है..
कला और संस्कृति का आपसी रिश्ता काफी गहरा है। कला संस्कृति की प्रवक्ता होती है। कला के माध्यम से ही संस्कृति हमारे जीवन में अभिव्यक्ति पाती है। कला अपने सांस्कृतिक सरोकारों के साथ आगे बढ़ती है। इसकी अभिव्यक्ति कला के विविध रूपों (संगीत, नृत्य, नाटक ,चित्रकला ,स्थापत्य कला, सिनेमा ,फोटोग्राफी, साहित्य आदि ) में जीवंत होती है।
रामधारी सिंह दिनकर नें संस्कृति के चार अध्याय के उपसंहार में लिखते हुए कहा है कि प्रत्येक सभ्यता , प्रत्येक संस्कृति अपने आप में पूर्ण होती है। उसके सभी अंश और सभी पहलू एक दूसरे पर अवलम्बित और सबके सब किसी केंद्र से संलज्न होते हैं। संस्कृतियां जब बदलती हैं, तब खान-पान,रहन-सहन और पोशाक भले ही बदल जाएं , किंतु उनका मन नहीं बदलता, सोचने की पद्धति नहीं बदलती और जीवन को देखने का दृष्टिकोण उनका एक ही रहता है। उपरोक्त बातों में हमें संस्कृति की परिभाषा की एक सूक्ष्म झलक मिलती है।
रामधारी सिंह दिनकर के अनुसार, संस्कृति मानव समाज में उसू तरह व्याप्त है, जिस तरह फूलों में सुगंध और दूध में मक्खन। इसका निर्माण एक या दो दिन में नहीं होता। कोई संस्कृति युग-युगान्तर में निर्मित होती है।
नृतित्वशास्त्री टॉयलर के अनुसार ,संस्कृति वह संकुल समग्रता है, जिसमें ज्ञान,विश्वास , कला ,आचार , विधि , प्रथा तथा अन्य क्षमताओं और आदतों के समावेश रहता है, जिन्हें मनुष्य समाज के सदस्य के रूप में उपार्जित करता है।
टीएस इलियट के अनसार शिष्ट व्यवहार , ज्ञानार्जन , कलाओं के आस्पादन आदि के अतिरिक्त किसी जाति अथवा राष्ट्र की वे समस्त क्रियाएं व कार्य जो उसे विशिष्ट बनाते हैं, उसकी संस्कृति के अंग हैं।
अपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि संस्कृति किसी भी समाज की परंपरा से मिली भौतिक व अभौतिक विरासत का नाम है। कला, संस्कृति का हिस्सा होती है और कला के माध्यम से कोई भी संस्कृति अपनी अभिव्यक्ति पाती है। अत: हम कला एवं संस्कृति को इसी रूप में देखते हैं।
आजादी के बाद से कला एवं संस्कृति के लोकप्रियकरण हुआ है। अभिजात्य वर्गों तक सिमटी कला को आम लोगों की स्वीकार्यता मिली। जिसके फलस्वरूप इसका तेजी से विकास संभव हो सका। संस्कृति को साथ लेकर चले बिना किसी देश का वास्तविक विकास संभव नही है।
भारत एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला देश रहा है। जिसकी कीर्ति आज भी सारे विश्व में अपनी संपूर्ण आभा के साथ विद्यमान है। अखबार और पत्रिकाएं किसी देश और समाज की जीवंत धडक़नों स्पंदन का दस्तावेज होते हैं। अखबारों ने भारत की वैभवशाली सांसकृतिक विरासत को सहेजने के साथ-साथ आम जनमानस तक इसे सही स्वरूप में पहुंचाने का भी काम पूरी तत्परता और लगन के साथ किया है।
Bhartiya Kalam aur Bhartiya Sanskriti mein aap kis Tarah ka sambandh rakhte Hain
Bharatiya kalao or bhartiya sanskriti me aap kya sambandh pate h
Bhartiya Kalyan Bhartiya Sanskriti Mein Kis Tarah ka sambandh paate hain
Bhartiya kalao or bhartiya sanskriti me aap kis tarah ka sambandh pate hai
Madar kala aya snaskriti ma antar nai gmail raha ha to kay kara madar
Answer ni mil a raha hay kya kru
kala aur sanskrit kala m smbnd
मस्ट त्रिलोक सिंह के किस कथन को लेकर लेखक ने जवाब के चाबुक कहा और क्यो?
भारतिय कला और भारतिय सनस्कृति मे आप किस तरह का संबंध पाते है
Bhartiye kala aur bhartiye sanskriti me kis tarah samband pate hai ?
Bhartiya kala or Bhartiya sanskriti main Aap kis tarah ka sambandh paty hai
भारतीय कलाएं एवं भारतीय संस्कृति से आप क्या संबंध रखते हैं
जुआ छवि क्या है
भारतीय कला और भारतीय संस्कृति में आप किस तरह का संबंध पाते हैं
Bhartiye kalao our bhartiye sanskrati me aap kis tarah ka sambandha pate he
Kala aur sanskrti kaya he
Kala aur sanskriti me kya sambandh he