Vaiyaktik Bhinnata Ki Paribhasha वैयक्तिक भिन्नता की परिभाषा

वैयक्तिक भिन्नता की परिभाषा



Pradeep Chawla on 13-10-2018

प्रत्येक प्राणी अपने जन्म से ही विशेष शक्तियों को लेकर जन्म लेता है। ये विशेषताएँ उसको माँ एवं पिता के पूर्वजों से हस्तान्तरित की गयी होती है। इसी के साथ पर्यावरण भी छात्र के विकास पर प्रभाव डालता है। अतः स्पष्ट है कि सभी छात्र एक दूसरे से भिन्न होते है। एक कक्षा या एक समूह के विद्यार्थियों में विभिन्न प्रकार की भिन्नताएँ होना असाधारण बात नहीं है। ये भिन्नताएँ विद्यार्थियों में विभिन्न विशेषताओं के रूप में मिलती हैं।


वैयक्तिक भिन्नता का अर्थ- जब दो बालक विभिन्न समानताएँ रखते हुए भी आपस में भिन्न व्यवहार करते हैं तो इसे ‘‘वैयक्तिक भिन्नता’ कहा जाता है। वैयक्तिक भिन्नता से अभिप्राय है कि प्रत्येक व्यक्ति में जैविक, मानसिक, सांस्कृतिक, संवेगात्मक अन्तर पाया जाना। इसी अन्तर के कारण एक व्यक्ति, दूसरे से भिन्न माना जाता है। अतः कोई भी दो व्यक्ति समान नहीं होते। यहाँ तक कि जुड़वाँ बच्चों में भी असमानता पाई जाती है। इस दृष्टि से वैयक्तिक भिन्नता प्रकृति द्वारा प्रदत्त स्वाभाविक गुण है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने वैयक्तिक भिन्नता को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है-

  1. स्किनर के अनुसार- ‘‘व्यक्तिगत विभिन्नता में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का कोई भी ऐसा पहलू सम्मिलित हो सकता है, जिसका माप किया जा सकता है।’’
  2. टायलर के अनुसार- ‘‘शरीर के आकार और स्वरूप, शारीरिक गति सम्बन्धी क्षमताओं, बुद्धि, उपलब्धि, ज्ञान, रूचियों, अभिवृत्तियों और व्यक्तित्व के लक्षणों में माप की जा सकने वाली विभिन्नताओं की उपस्थिति सिद्ध की जा चुकी है।’’

यदि हम उपर्युक्त कथनों का विश्लेषण करें, तो स्पष्ट होता है कि व्यक्तिगत भिन्नताओं के अन्तर्गत किसी एक विशेषता को आधार मानकर हम अन्तर स्थापित नहीं करते बल्कि सम्पूर्ण व्यक्तित्व के आधार पर अन्तर करते हैं।




वैयक्तिक भिन्नता के प्रभावी कारक


वैयक्तिक भिन्नता का प्रभाव अधिगम प्रक्रिया तथा उसकी उपलब्धि पर पड़ता है। बुद्धि तथा व्यक्तित्व, वैयक्तिक भिन्नता के आधार हैं। इसके कारण सीखने की क्रिया प्रभावित होती है। वैयक्तिक विभिन्नताओं के अनेक कारण हैं, जिनमें से महत्वपूर्ण कारक निम्नांकित हैं-

  1. वंशानुक्रम- वंशानुक्रम में वे सभी जीन्स सम्मिलित हैं, जो एक बालक को उसके माता-पिता से गर्भधारण के समय प्राप्त होते है। वंशानुक्रम एक प्रकार की वंशपरम्परागत शक्ति है जिसके द्वारा माता-पिता और पूर्वजों के गुण नवनिर्मित शिशु में स्थानान्तरित होते है। इसमें शारीरिक और मानसिक, दोनों प्रकार के गुणों का स्थानान्तरण होता है। मन भी वंशानुक्रम को व्यक्तिगत भिन्नताओं का कारण स्वीकार करते हुए लिखते है कि – ‘‘हम सबका जीवन एक ही प्रकार से आरम्भ होता है। फिर भी इसका क्या कारण है कि जैसे-जैसे हम बड़े होते है, हम लोगों में अन्तर होता जाता है। इसका एक यही उत्तर है कि हम सबका वंशानुक्रम भिन्न-भिन्न है।


2.वातावरण- वैयक्तिक भिन्नताओं का दूसरा महत्वपूर्ण कारण है- वातावरण मनोवैज्ञानिकों का तर्क है कि व्यक्ति जिस प्रकार के सामाजिक वातावरण में निवास करता है, उसी के अनुरूप उसका व्यवहार, रहन-सहन, आचार-विचार आदि होते हैं। अतः विभिन्न सामाजिक वातावरणों में निवास करने वाले व्यक्तियों में भिन्नताओं का होना स्वाभाविक है। यही बात भौतिक और सांस्कृतिक वातावरणों के विषय में भी कही जा सकती है। वातावरण कारक का शारीरिक और मानसिक विकास, दोनों ही क्षेत्रों में प्रभाव है। उपयुक्त वातावरण के अभाव में शारीरिक व मानसिक योग्यताओं का सामान्य विकास सम्भव नहीं है। अतः कहा जा सकता है कि उपयुक्त वातावरण के अभाव में वंशानुक्रम द्वारा प्रदान की हुई विशेषताओं का सामान्य विकास सम्भव नहीं है।



  1. जाति, प्रजाति व देश

एक देश में रहने वाली विभिन्न जातियों और प्रजातियों में अन्तर होता है। भारत में आर्य और द्रविणों में अन्तर स्पष्ट है। इसी प्रकार से हिन्दुओं के विभिन्न वर्गों में अन्तर स्पष्ट होता है। इन अन्तरों पर वंशानुक्रम एवं पर्यावरण के प्रभाव प्रमुख होते है। इसी प्रकार नीग्रो प्रजाति की अपेक्षा श्वेत प्रजाति अधिक बुद्धिमान और कार्यकुशल होती है। वैयक्तिक भिन्नताओं के कारण ही हमें विभिन्न देशों के व्यक्तियों को पहचानने में किसी प्रकार की कठिनाइयों नहीं होती है।

  1. आयु व बुद्धि

वैयक्तिक भिन्नता का एक कारण आयु और बुद्धि भी है। आयु के साथ-साथ बालक का शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास होता है। इसीलिए विभिन्न आयु के बालकों में अन्तर मिलता है। बुद्धि जन्मजात गुण होने के कारण किसी को प्रतिभाशाली और किसी को मूढ़ बनाकर अन्तर की स्पष्ट रेखा खींच देती है।

  1. शिक्षा और आर्थिक दशा-

शिक्षा व्यक्ति को शिष्ट गम्भीर विचार-शील बनाकर अशिक्षित व्यक्ति से उसे भिन्न कर देती है। निम्न आर्थिक दशा अर्थात् गरीबी को सभी तरह के पापों और दुर्गुणों का कारण माना जाता है। गरीबी के कारण ही लोग चोरी, हत्या जैसे, जघन्य अपराध को भी गलत नहीं मानते। परन्तु ये लोग उन व्यक्तियों से पूर्णतया भिन्न हैं, जो उत्तम आर्थिक दशा के कारण प्रत्येक कुकर्म को अक्षम्य अपराध समझते है।

  1. लिंग भेद वैयक्तिक भिन्नता का एक महत्वपूर्ण कारक लिंगभेद भी है। इस भेद के कारण बालक और बालिकाओं की शारीरिक बनावट, संवेगात्मक विकास की कार्यक्षमता में अन्तर मिलता है। स्किनर का विचार है कि, ‘‘बालिकाओं में स्मृति योग्यता अधिक तथा बालकों में शारीरिक कार्य करने की क्षमता अधिक होती है। बालक गणित और विज्ञान में बालिकाओं से आगे होते है, जबकि बालिकायें भाषा और सुन्दर हस्तलेख में बालकों से आगे होती है। बालकों पर सुझाव का कम प्रभाव पड़ता है, पर बालिकाओं पर अधिक।

इस प्रकार वैयक्तिक भिन्नता के अनेक कारक है। पर जहाँ तक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने वालों छात्रों का प्रश्न है, उसकी भिन्नता के कुछ अन्य कारण प्रमुख है। इनका उल्लेख करते हुए गैरीसन व अन्य ने लिखा है- ‘‘ बालकों की भिन्नता के श्रेष्ठ कारणों में प्रेरणा, बुद्धि परिपक्वता, वातावरण सम्बन्धी उद्दीपन में विचलन है।’’



वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व

  • आधुनिक मनोवैज्ञानिक, बालकों की वैयक्तिक विभिन्नताओं को अत्यधिक महत्व देते है। उनका यह विश्वास है कि इन भिन्नताओं का ज्ञान प्राप्त करके शिक्षक अपने छात्रों का सर्वाधिक हित कर सकता है। साथ ही शिक्षा के परम्परागत स्वरूप में क्रांतिकारी परिवर्तन करके उसे बालकों की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुकूल बना सकता है। औद्योगिक मनोविज्ञान, शिक्षा-मनोविज्ञान और बाल-मनोविज्ञान के क्षेत्रों में वैयक्तिक भिन्नताओं का महत्व सर्वाधिक है। कुछ प्रमुख महत्व इस प्रकार है-
  • व्यक्तियों के वर्गीकरण में वैयक्तिक भिन्नताओं का ज्ञान आवश्यक है। यह वर्गीकरण विद्यालय में विद्यार्थियों का हो सकता है। विद्यार्थियों का मानसिक योग्यताओं के आधार पर वर्गीकरण कर यदि उन्हें शिक्षा दी जाती है तो शिक्षा उनके लिए बहुत उपयोगी हो जाती है।
  • अध्ययनों में देखा गया है कि कक्षा में मानसिक दृष्टि से जितनी अधिक समजातीयता होगी, शिक्षा का प्रभाव उतना ही समान होगा।
  • कक्षा में वैयक्तिक भिन्नताओं के अनुसार शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक है कि कक्षा में बालकों की संख्या अधिक से अधिक 20 होनी चाहिए। कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या कम होने से शिक्षक का विद्यार्थियों से व्यक्तिगत सम्पर्क व सम्बन्ध अच्छा होता है तथा वह विद्यार्थियों से उनके स्वभाव के अनुसार कार्य करवा सकता है।
  • एक ही कक्षा के बालकों की रूचियों, अभिवृत्तियों एवं मानसिक योग्यताओं में अन्तर होने के कारण पाठ्यक्रम का विभिन्नीकरण अत्यन्त आवश्यक है। सबको अपनी रूचियों, योग्यताओं और इच्छाओं के अनुसार विषयों के चयन में छूट होनी चाहिए।
  • व्यक्तिगत भेदों के कारण सब बालकों में समान कार्य की समान मात्रा पूर्ण करने की क्षमता नहीं होती है। अतः गृह-कार्य देते समय बालकों की क्षमताओं और योग्यताओं का पूर्ण ध्यान रखना आवश्यक है।
  • वैयक्तिक भिन्नताएँ लिंग-भेद के कारण भी पाई जाती है जिससे बालक-बालिकाओं के रूचियों, क्षमताओं, योग्यताओं, आवश्यकताओं आदि में अन्तर होता है। जैसे-जैसे वह बड़े होते है, वैसे- वैसे अन्तर अधिक स्पष्ट होता है। अतः प्राथमिक कक्षाओं में उनके लिए समान पाठ्य-विषय हो सकते है परन्तु माध्यमिक कक्षाओं में इन विषयों में अन्तर की स्पष्ट रेखा का खींचा जाना आवश्यक है। शिक्षक और माता-पिता को इन अन्तरों को ध्यान में रखकर बालक-बालिकाओं को सिखाना या प्रशिक्षण देना चाहिए।
  • इसी प्रकार स्किनर महोदय के अनुसार उद्योग के क्षेत्र में भी कर्मचारियों के चयन में वैयक्तिक भिन्नता का अध्ययन आवश्यक है। इसी प्रकार कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं स्थानान्तरण के समय में भी वैयक्तिक भिन्नता का ज्ञान आवश्यक है।


अतः सारांश रूप में बालकों की वैयक्तिक भिन्नताओं का शिक्षा में अति महत्वपूर्ण स्थान है। इन विभिन्नताओं का ज्ञान प्राप्त करके शिक्षक अपने छात्रों को विविध प्रकार से लाभ पहुँचा सकता है। बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी बालकों के व्यवहार को समझने में, उनके विकास के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करने में वैयक्तिक भिन्नताओं का ज्ञान आवश्यक है।






सम्बन्धित प्रश्न



Comments अरुण कुमार on 12-05-2019

वैयक्तिक भिन्नता का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया

Abantika on 12-05-2019

Baiktik bhinnta ka sarvpratham prayog kisne kiya





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment