Tissue Culture In प्लांट्स टिश्यू कल्चर इन प्लांट्स

टिश्यू कल्चर इन प्लांट्स



GkExams on 27-06-2022


Plant Tissue Culture In Hindi : इसे अगर सरल भाषा में समझे तो यह ‘उपयुक्त विकास माध्यम’ में पौधे के ऊतक के एक छोटे से टुकड़े से या पौधे की बढ़ती युक्तियों से कोशिकाओं को हटाकर नए पौधों के उत्पादन की एक प्रक्रिया है।


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इस प्रकार की तकनीक (plant tissue culture slideshare) में किसी भी पादप ऊतक जैसे जड़, तना, पुष्प आदि को निर्जर्मित परिस्तिथियों में पोषक माध्यम पर उगाया जाता है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दें की यह पूर्ण शक्तता के सिद्धांत पर आधारित हैं। इस सिद्धांत के अनुसार पौधे की प्रत्येक कोशिका एक पूर्ण पौधे का निर्माण करने में सक्षम हैं।


इसमें विशेष रूप से अच्छे फूल, फल उत्पादन, या अन्य वांछनीय लक्षण के पौधों के क्लोन का उत्पादन किया जाता है। बीज रहित फल, बिना बीज के उत्तम गुणवत्ता वाले फल, बीज के उत्पादन के लिए आवश्यक परागण के अभाव मं् पौधों के गुणकों का उत्पादन किया जाता है। और इस तकनीक (plant tissue culture types) द्वारा पादपों में आनुवंशिक रूप से संशोधन किया जा सकता है।


प्लांट टिशू कल्चर के पिता :




अगर हम बात प्लांट टिशू कल्चर के पिता (Father of plant tissue culture) की करें तो वर्ष 1902 के बाद जर्मन वैज्ञानिक गॉटलिब हेंबरलेंट को टिशू कल्चर का सिद्धान्त प्रतिपादित करने में सफलता मिली। इसीलिए बायो-टेक्नोलॉज़ी की दुनिया में इन्हें ही टिशू कल्चर का जनक माना गया।


वैसे हमारे देश की बात करें तो यहाँ टिशू कल्चर का प्रवर्तक डॉ पंचानन माहेश्वरी को माना गया। क्योंकि इन्होने गर्भाशय, भ्रूण और अंडाणु के अध्ययन के लिए टिशू कल्चर की अलग-अलग विधियाँ विकसित कीं।


टिशू कल्चर तकनीक फ़ायदे :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको टिशू कल्चर तकनीक के फ़ायदों (Benefits of plant tissue culture) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • इससे पौधों में किसानों को एक के बाद एक, दो अंकुरण मिल सकते हैं।
  • इससे खेती की लागत में भी कमी आती है।
  • सभी पौधों में एक ही तरह का विकास होता है।
  • किसान कम समय में ही इस तकनीक से मिलने वाली नई किस्मों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • टिश्यू कल्चर के माध्यम से पूरे वर्ष पौधों को विकसित किया जा सकता है, इस पर किसी भी मौसम का कोई असर नहीं होता है।
  • टिश्यू कल्चर द्वारा नए पौधों के विकास के लिए बहुत कम स्थान की आवश्यकता होती है।



  • इन सभी उपरोक्त बिन्दुओं को देखते हुए टिशू कल्चर तकनीक काफी मुनाफे का सौदा है। और इसे अब आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि भविष्य में इसके द्वारा अच्छी-अच्छी पौध तैयार की जा सके।


    अगर आप भी इसका फायदा उठाना चाहते है तो टिशू कल्टर वाली खेती का लाभ उठाने के इच्छुक किसानों को भी अपने ज़िला उद्यान कार्यालय या कृषि विकास केन्द्र या नज़दीकी प्रयोगशाला से सम्पर्क करना चाहिए और वहाँ से इसके बारे में हरेक बारीक़ से बारीक़ नुस्ख़े सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।




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    Comments Ajay on 13-09-2020

    Padap utak samvardhan se aap kya samajhte hain Uttar culture sapne ka varnan kijiye





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