Prakaryawaad Ka Arth प्रकार्यवाद का अर्थ

प्रकार्यवाद का अर्थ



GkExams on 02-04-2022


प्रकार्यवाद (Functionalism) का अर्थ : इसका मतलब यह है की सामाजिक प्रणालियां मानव शरीर की जैविक प्रणाली के समान हैं। और इन प्रणालियों में सामाजिक प्रक्रियाएं तथा संस्थाएं वही काम करती हैं एवं सामाजिक प्रणालियों को जीवित रखने के उद्देश्य को लेकर उसी प्रकार चलती हैं, जिस प्रकार मानव, शरीर में प्रकार्यात्मक प्रक्रियाएं काम करती हैं।


बात करें मनोविज्ञान में तो प्रकार्यवाद (functionalism) एक ऐसा स्कूल या सम्प्रदाय है जिसकी उत्पत्ति संरचनावाद के वर्णनात्मक तथा विश्लेषणात्मक उपागम के विरोध में हुआ है।


प्रकार्यवाद में मुख्यतः दो बातों पर प्रकाश डाला जाता है...


1. व्यक्ति क्या करते है?


2. व्यक्ति क्यों कोई व्यवहार करते है?


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Pradeep Chawla on 18-09-2018


मनोविज्ञान में प्रकार्यवाद (functionalism) एक ऐसा स्कूल या सम्प्रदाय है जिसकी उत्पत्ति संरचनावाद के वर्णनात्मक तथा विश्लेषणात्मक उपागम के विरोध में हुआ। विलियम जेम्स (1842-1910) द्वारा प्रकार्यवाद की स्थापना अमरीका के हारवर्ड विश्वविद्यालय में की गयी थी। परन्तु इसका विकास शिकागो विश्वविद्यालय में जान डीवी (1859-1952) जेम्स आर एंजिल (1867-1949) तथा हार्वे ए॰ कार (1873-1954) के द्वारा तथा कोलम्बिया विश्वविद्यालय के ई॰एल॰ थार्नडाइक तथा आर॰एफ॰ बुडवर्थ के योगदानों से हुयी।


प्रकार्यवाद में मुख्यतः दो बातों पर प्रकाश डाला- व्यक्ति क्या करते है? तथा व्यक्ति क्यों कोई व्यवहार करते है? वुडवर्थ (1948) के अनुसार इन दोनों प्रश्नों का उत्तर ढूढ़ने वाले मनोविज्ञान को प्रकार्यवाद कहा जाता है। प्रकार्यवाद में चेतना को उसके विभिन्न तत्वों के रूप में विश्लेषण करने पर बल नहीं डाला जाता बल्कि इसमें मानसिक क्रिया या अनुकूल व्यवहार के अध्ययन को महत्व दिया जाता है। अनुकूल व्यवहार में मूलतः प्रत्यक्षण स्मृति, भाव, निर्णय तथा इच्छा आदि का अध्ययन किया जाता है क्योंकि इन प्रक्रियाओं द्वारा व्यक्ति को वातावरण में समायोजन में मदद मिलती है। प्रकार्यवादियों ने साहचर्य के नियमों जैसे समानता का नियम, समीपता का नियम तथा बारंबारता का नियम प्रतिपादित किया जो सीखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बनाता है।


कोलम्बिया प्रकार्यवादियों में ई॰एल॰ थार्नडाइक व आर॰एस॰ वुडवर्थ का योगदान सर्वाधिक रहा। थार्नडाइक ने एक पुस्तक 'शिक्षा मनोविज्ञान' लिखी जिसमें इन्होने सीखने के नियम लिखे हैं। थार्नडाइक के अनुसार मनोविज्ञान उद्दीपन-अनुक्रिया (एस॰आर॰) सम्बन्धों के अध्ययन का विज्ञान है। थार्नडाइक ने सीखने के लिये सम्बन्धवाद का सिद्धान्त दिया, जिसके अनुसार सीखने में प्रारम्भ में त्रुटियाँ अधिक होती है किन्तु अभ्यास देने से इन त्रुटियों में धीरे-धीरे कमी आ जाती है।


वुडवर्थ ने अन्य प्रकार्यवादियों के समान मनोविज्ञान को चेतन तथा व्यवहार के अध्ययन का विज्ञान माना। इन्होने सीखने की प्रक्रिया को काफी महत्वपूर्ण बताया क्योंकि इससे यह पता चलता है कि सीखने की प्रक्रिया क्यों की गयी। वुडवर्थ ने उद्वीपक-अनुक्रिया के सम्बन्ध में परिवर्तन करते हुये प्राणी की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुये उद्वीपक-प्राणी-अनुक्रिया (S.O.R. ) सम्बन्ध को महत्वपूर्ण बताया।




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Comments ABHITOSH on 25-09-2020

Prakar Vad

per Martin ke vicharon ki Vyakhya kijiye

Kindly on 01-09-2018

Prkvadma pr ka arth Kara ka arth vad ka arth





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