Rashtriya Shiksha Andolan राष्ट्रीय शिक्षा आन्दोलन

राष्ट्रीय शिक्षा आन्दोलन



GkExams on 22-12-2022


साक्षरता क्या है : इसे सरल भाषा में समझे तो साक्षरता का मतलब होता है शिक्षा की प्राप्ति। बिना शिक्षा के जीवन अन्धकार के समान हो जाता हैं। जबकि एक शिक्षित व्यक्ति का जीवन ज्ञान के उजाले से हमेशा प्रकाशवान रहता हैं। वह न केवल अपने जीवन में तमाम सुख पा सकता हैं बल्कि औरों के जीवन में भी खुशियाँ व आनन्द ला सकता हैं।

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राष्ट्रीय शिक्षा आन्दोलन के बारें में :




1905 ई0 के बंगाल-विभाजन ने राष्ट्रीय आन्दोलन एवं ‘राष्ट्रीय शिक्षा की माँग’ को गति प्रदान की। ज्यों-ज्यों राष्ट्रीय आन्दोलन तेज होता गया त्यों-त्यों शिक्षा के राष्ट्रीयकरण तथा स्वदेशीकरण की माँग बढ़ती गयी और भारत के कोने-कोने में भारतीय शिक्षा के अंग्रेजीकरण का विरोध होने लगा।


इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों द्वारा प्रसारित की गई पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति व ज्ञान-विज्ञान के स्थान पर भारतीय शिक्षा संस्कृति का प्रचार करता था, जो भारतीय संस्कृति व जनता के अनुरूप हो। अतः पाठ्यचर्याओं को भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को समुचित स्थान दिया जाए।


इसके अलावा राष्ट्रीय आंदोलन के अग्रदूत असल में अंग्रेजी भाषा के घोर विरोधी थे, इसलिए वह शिक्षा की अंग्रेजी के स्थान पर राष्ट्रभाषा मातृभाषा तथा प्रांतीय भाषाओं के माध्यम से प्रदान करने के पक्ष धर थे, मुख्यतः शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।


राष्ट्रीय साक्षरता अभियान (National Education Mission) के बारें में :




हमारे देश में सरकारों ने साक्षरता को लेकर हर मुमकिन प्रयास किए है। नित्य स्कूल न जा सकने वालों के लिए अनौपचारिक शिक्षा व ओपन स्कूल खुले हैं जबकि 6 से 14 वर्षों के बालक बालिकाओं को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दी जा रही हैं। 15 से 35 वर्ष की आयु के लोग जो पूर्व में साक्षर नहीं हो पाए तथा शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं वे प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के द्वारा शिक्षा पा सकते हैं।


इसी कड़ी में राष्ट्रीय साक्षरता अभियान (literacy mission in india) की स्थापना 05 मई 1988 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने की थी। इसका उद्देश्य 2007 तक 15 से 35 आयु वर्ग के उत्पादक और पुनरुत्पादक समूह के निरक्षर लोगों को व्यावहारिक साक्षरता प्रदान करते हुए 75 प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य हासिल करना है। पुनर्संरचना के बाद इसके स्थान पर नया साक्ष्रर भारत कार्यक्रम सितम्बर 2009 से लागू किया गया है।


इस प्रकार शिक्षा के अधिकार के लागु होने के बाद से हमारे देश में साक्षरता दर में वृद्धि हुई है और लोगों को शिक्षा की तरफ बढ़ावा दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में साक्षरता (literacy rate in india) की दर 74.04% प्रतिशत है।


साक्षर होने के लाभ :




यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा साक्षर होने के लाभों के बारें में अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • साक्षर बनने से आर्थिक अवसरों में काफी सुधार होता है।
  • आत्म-सम्मान और सशक्तिकरण बढ़ता है।
  • स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए औसत दर्जे का लाभ मिलता है।
  • किसी के संबंधों और नागरिक जुड़ाव को मजबूत करता है।






  • सम्बन्धित प्रश्न



    Comments Akhil kachhwaha on 11-07-2021

    Rashtriya shiksha andolan

    Vandana on 09-05-2020

    National education movement k bare m detail me btaye plz





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