Rajasthan Jansankhya Neeti राजस्थान जनसंख्या नीति

राजस्थान जनसंख्या नीति



Pradeep Chawla on 20-10-2018

जनसंख्या वद्वि का कारण राज्य की विशेष भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्क़तिक पष्ठभूमि हैा यहां का दो तिहाई भाग मरू प्रदेश है और एक बडद्या भाग पर्वतीय एवं जनजाति क्षेत्र् हैा महिला साक्षरता 43.9 प्रतशित ही है तथा सामाजिक चेतना सोचनीय स्तर पर हैा महिलायें आज भी संस्थागत प्रसव की अपेक्षा दाई द्वारा प्रसव कराने पर ही अधिक महत्व देती हैा बच्चों के स्वस्थ एवं जीवित रहने की कम सम्भावना से अधिक बच्चों का जन्म, कम आयु में विवाह तथा लडका पैदा करने की चाह के कारण प्रदेश की जन्म दर तथा शशिु म़त्यु दर अधिक रही हैा राज्य की जनसंख्या के इतिहास पर यदि द़ष्टि डाली जाये तो देखेंगे कि वर्ष 1901 में राज्य की जनसंख्या 1 करोड थी जो अगले 50 वर्षो अर्थात 1951 में बढकर 1 करोड 60 लाख हो गयी। इस अवधि में औसतन प्रति वर्ष एक लाख से भी अधिक व्यक्तियों की व़द्वि हुईा 1951-61 के दशक में प्रति वर्ष 4 लाखकी बढोतरी हुई तथा 1961-71 में प्रति वर्ष 5.6 लाख की, 1971-81 में प्रति वर्ष 8.6 लाख तथा 1981-91 में प्रति वर्ष 10 लाख व्यक्ति राज्य की जनसंख्या में जुडे हैा इस प्रकार तेजी से बढती हुई राज्य की जनसंख्या वर्ष 1991 में 440.06 लाख हो गई है व 2001 में 565.07 हो गई हैा इस जनसंख्या व़द्वि दर के अनुसार 1 मार्च 2007 तक प्रदेश की जनसंख्या 6.47 करोड हो जाएगी। बढती हुई जनसंख्या के कारण राज्य का जनसंख्या घनत्व जो वर्ष 1981 में 100 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था 1991 में बढकर 129 हो गया तथा वर्ष 2001 में यह 165 हो गया हैा

जनसंख्या व़द्वि की चुनौती का सामना करने के लिए विभाग सचेत है तथा विभिन्न गतिविधियों एवं योजनाओं के माध्यम से जनसंख्या स्थायित्व के प्रयास किये जा रहे हैा योग्य दम्पत्तियों को उनकी इच्छानुसार परिवार कल्याण की आवश्यक सेवायें उपलब्ध करवाकर परिवार सीमित करने हेतु संरक्षित किया जा रहा हैा नियमिति टीकाकरण एवं विशेष टीकाकरण अभियान (मात़ शिशु स्वास्थ्य पोषण दिवस व मुख्यमंत्री पंचाम़त अभियान) चलाकर गर्भवती महिलाओं की टिटनेस से तथा शिशुओं की टीके के अभाव में होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाव किया जा रहा है एवं महिला बाल विकास विभाग के साथ सम्मिलित सहयोग से गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को पोषण सेवाएं सुलभ करवाई जा रही है, ताकि शिशु एवं मात़ मृत्यु दर को कम किया जा सकेा


जनमंगल योजना के माध्यम से गांव-गांव में जनमंगल जोडे परिवार कल्याण के अन्तराल साधन उपलब्ध करवा रहे हैा परिवार कल्याण कार्यक्रम में महिलाओं की अहम भूमिका है, अतः महिला स्वास्थ्य संघों को सुद़ढ करने के प्रावधान किये गये हैं, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी हो सके तथा वे इससे लाभान्वित हो सकें।


विभाग में विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत दूर दराज के क्षेत्रों में चिकित्सा एवं परिवार कल्याण की सेवाओं को सुलभ करवाया जा रहा हैा






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