भारतातील Nritya Prakar भारतातील नृत्य प्रकार

भारतातील नृत्य प्रकार



Pradeep Chawla on 12-05-2019

नृत्य भी मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम

कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। बालक जन्म लेते ही रोकर अपने

हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा है- इन्हीं आंगिक

-क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह कला देवी-देवताओं- दैत्य

दानवों- मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को अति प्रिय है। भारतीय पुराणों में यह

दुष्ट नाशक एवं ईश्वर प्राप्ति का साधन मानी गई है। अमृत मंथन के पश्चात

जब दुष्ट राक्षसों को अमरत्व प्राप्त होने का संकट उत्पन्न हुआ तब भगवान

विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने लास्य नृत्य के द्वारा ही तीनों

लोकों को राक्षसों से मुक्ति दिलाई थी। इसी प्रकार भगवान शंकर ने जब कुटिल

बुद्धि दैत्य भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि वह

जिसके ऊपर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाए- तब उस दुष्ट राक्षस ने स्वयं भगवान को

ही भस्म करने के लिये कटिबद्ध हो उनका पीछा किया- एक बार फिर तीनों लोक

संकट में पड़ गये थे तब फिर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने

मोहक सौंदर्यपूर्ण नृत्य से उसे अपनी ओर आकृष्ट कर उसका वध किया।



भारतीय संस्कृति एवं धर्म की आरंभ से ही मुख्यत- नृत्यकला से जुड़े रहे

हैं। देवेन्द्र इन्द्र का अच्छा नर्तक होना- तथा स्वर्ग में अप्सराओं के

अनवरत नृत्य की धारणा से हम भारतीयों के प्राचीन काल से नृत्य से जुड़ाव की

ओर ही संकेत करता है। विश्वामित्र-मेनका का भी उदाहरण ऐसा ही है। स्पष्ट

ही है कि हम आरंभ से ही नृत्यकला को धर्म से जोड़ते आए हैं। पत्थर के समान

कठोर व दृढ़ प्रतिज्ञ मानव हृदय को भी मोम सदृश पिघलाने की शक्ति इस कला

में है। यही इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष है। जिसके कारण यह मनोरंजक तो है ही-

धर्म- अर्थ- काम- मोक्ष का साधन भी है। स्व परमानंद प्राप्ति का साधन भी

है। अगर ऐसा नहीं होता तो यह कला-धारा पुराणों- श्रुतियों से होती हुई आज

तक अपने शास्त्रीय स्वरूप में धरोहर के रूप में हम तक प्रवाहित न होती। इस

कला को हिन्दु देवी-देवताओं का प्रिय माना गया है। भगवान शंकर तो नटराज

कहलाए- उनका पंचकृत्य से संबंधित नृत्य सृष्टि की उत्पत्ति- स्थिति एवं

संहार का प्रतीक भी है। भगवान विष्णु के अवतारों में सर्वश्रेष्ठ एवं

परिपूर्ण कृष्ण नृत्यावतार ही हैं। इसी कारण वे नटवर कृष्ण कहलाये।

भारतीय संस्कृति एवं धर्म के इतिहास में कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि जिससे

सफल कलाओं में नृत्यकला की श्रेष्ठता सर्वमान्य प्रतीत होती है।









अनुक्रम



  • 1भारतीय नृत्य के प्रकार
  • 2भारतीय नृत्य का इतिहास
  • 3भारतीय डाकटिकटों में नृत्य
  • 4पश्चिमी नृत्य के प्रकार

    • 4.1बैले नृत्य
    • 4.2जाज
    • 4.3हिप - हॉप
    • 4.4स्विंग
    • 4.5कॉन्ट्रा नृत्य
    • 4.6देश और पश्चिमी
    • 4.7बेली नृत्य
    • 4.8आधुनिक नृत्य
    • 4.9लैटिन नृत्य
    • 4.10सालसा
    • 4.11लाइन नृत्य
    • 4.12बॉलरूम डांस


  • 5सन्दर्भ
  • 6बाहरी कड़ियाँ






भारतीय नृत्य के प्रकार

भारतीय नृत्य उतने ही विविध हैं जितनी हमारी संस्कृति, लेकिन इन्हें दो भागों में बाँटा जा सकता है- शास्त्रीय नृत्य तथा लोकनृत्य

हाल ही में बॉलीवुड नृत्य की एक नई शैली लोकप्रिय होती जा रही हैं जो

भारतीय सिनेमा पर आधारित है। इसमें भारतीय शास्त्रीय, भारतीय लोक और

पाश्चात्य शास्त्रीय तथा पाश्चात्य लोक का समन्वय देखने को मिलता है।



जिस तरह भारत में कोस-कोस पर पानी और वाणी बदलती है वैसे ही नृत्य शैलियाँ भी विविध हैं। प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्य हैं:



  • कथक
  • ओडिसी
  • भारतनाट्यम
  • कुचिपुडि
  • मणिपुरी एवं
  • कथकलि


लोक नृत्यों में प्रत्येक प्रांत के अनेक स्थानीय नृत्य हैं। जैसे पंजाब में भांगड़ा, उत्तर-प्रदेश का पखाउज आदि



भारतीय नृत्य का इतिहास

मुख्य लेख : भारतीय नृत्य का इतिहास


नृत्य का प्राचीनतम ग्रंथ भरत मुनि का नाट्यशास्त्र

है। लेकिन इसके उल्लेख वेदों में भी मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि

प्रागैतिहासिक काल में नृत्य की खोज हो चुकी थी। इतिहास की दृष्टि में सबसे

पहले उपलब्ध साक्ष्य गुफाओं में प्राप्त आदिमानव के उकेरे चित्रों तथा

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाईयों में प्राप्त मूर्तियाँ हैं, जिनके संबंध

में पुरातत्वेत्ता नर्तकी होने का दावा करते हैं। ऋगवेद के अनेक श्लोकों

में नृत्या शब्द का प्रयोग हुआ है। इन्द्र यथा हयस्तितेपरीतं नृतोशग्वः । तथा नह्यंगं नृतो त्वदन्यं विन्दामि राधसे।

अर्थात- इन्द्र तुम बहुतों द्वारा आहूत तथा सबको नचाने वाले हो। इससे

स्पष्ट होता है कि तत्कालीन समाज में नृत्यकला का प्रचार-प्रसार सर्वत्र

था। इस युग में नृत्य के साथ निम्नलिखित वाद्यों का प्रयोग होता था। वीणा वादं पाणिघ्नं तूणब्रह्मं तानृत्यान्दाय तलवम्। अर्थात- नृत्य के साथ वीणा वादक और मृदंगवादक और वंशीवादक को संगत करनी चाहिये और ताल बजाने वाले को बैठना चाहिये।



यर्जुवेद

में भी नृत्य संबंधी सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। नृत्य को उस

युग में व्यायाम के रूप में माना गया था। शरीर को अरोग्य रखने के लिये

नृत्यकला का प्रयोग किया जाता था। हरिवंश पुराण में भी नृत्य संबंधी घटनाओं

का उल्लेख है। भगवान नेमिनाथ के जन्म के समय के कलापूर्ण नृत्य व गायन के

समारोहों का वर्णन इसमें मिलता है। श्रीमदभागवत महापुराण, शिव पुराण तथा

कूर्म पुराण में भी नृत्य का उल्लेख कई विवरणों में मिला है। रामायण

और महाभारत में भी समय-समय पर नृत्य पाया गया है। इस युग में आकर नृत्त-

नृत्य- नाट्य तीनों का विकास हो चुका था। भरत के नाट्य शास्त्र के समय तक

भारतीय समाज में कई प्रकार की कलाओं का पूर्णरूपेण विकास हो चुका था। इसके

बाद संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों जैसे कालिदास के शाकुंतलम- मेघदूतम- वात्स्यायन की कामसूत्र- तथा मृच्छकटिकम

आदि ग्रंथों में इन नृत्य का विवरण हमारी भारतीय संस्कृति की कलाप्रियता

को दर्शाता है। आज भी हमारे समाज में नृत्य- संगीत को उतना ही महत्व दिया

जाता है कि हमारे कोई भी समारोह नृत्य के बिना संपूर्ण नहीं होते। भारत के

विविध शास्त्रीय नृत्यों की अनवरत शिष्य परंपराएँ हमारी इस सांस्कृतिक

विरासत की धारा को लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित करती रहेंगी।



भारतीय डाकटिकटों में नृत्य













  • कथक



















  • भरतनाट्यम



















  • ओडिसी



















  • कुचीपुडी



















  • कथकली



















  • मणिपुरी









पश्चिमी नृत्य के प्रकार

बैले नृत्य

कई

अन्य नृत्य शैलियों बैले के आधार पर कर रहे हैं के रूप में बैले, नृत्य के

कई अन्य शैलियों के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है। बैले सदियों से

विकसित किया गया है कि तकनीक पर आधारित है। बैले कहानियां बताने के लिए

संगीत और नृत्य का उपयोग करता है। बैले नर्तकियों एक और दुनिया के लिए एक

दर्शकों को परिवहन करने की क्षमता है।



जाज

जैज

मौलिकता और कामचलाऊ व्यवस्था पर काफी निर्भर करता है कि एक मजेदार नृत्य

शैली है। कई जैज नर्तकियों को अपने स्वयं की अभिव्यक्ति को शामिल, उनके

नृत्य में विभिन्न शैलियों का मिश्रण। जैज नृत्य अक्सर् संकुचन सहित बोल्ड,

नाटकीय शरीर आंदोलनों का उपयोग करता है।



हिप - हॉप

हिप

हॉप संस्कृति से विकसित किया है कि आमतौर पर हिप हॉप संगीत के लिए नृत्य

एक नृत्य शैली देश और पश्चिमी नृत्य आम तौर पर देश के पश्चिमी संगीत पर

नृत्य किया कई नृत्य रूपों, भी शामिल है। यदि आप कभी भी एक देश और पश्चिमी

क्लब या सराय लिए किया गया है, तो आप शायद उनके चेहरे पर बड़ी मुस्कान के

साथ डांस फ्लोर के आसपास ट्वर्लिग्ग् कुछ चरवाहे बूट पहने नर्तकों देखा है।

बेली नृत्यहै। हिप हॉप ऐसे तोड़ने पॉपिंग, लॉकिंग और क्रम्पिंग्ग् और यहां

तक ​​कि घर के नृत्य के रूप में विभिन्न चाल भी शामिल है। कामचलाऊ

व्यवस्था और व्यक्तिगत व्याख्या हिप - हॉप नृत्य करने के लिए आवश्यक हैं।



स्विंग

स्विंग

नृत्य जोड़े, झूले स्पिन और एक साथ कूद जिसमें एक जीवंत नृत्य शैली है।

स्विंग नृत्य एक सामान्य संगीत स्विंग करने के नाच का मतलब है कि अवधि, या

संगीत है "झूलों. कि" एक गीत झूलों यदि आप कैसे बता सकते हैं? स्विंग

नर्तकियों वे इसे सुना है, वे अभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं जब एक गाना

झूलों क्योंकि जानते हैं।



कॉन्ट्रा नृत्य

कॉन्ट्रा

नृत्य नर्तकियों दो समानांतर लाइनों फार्म और रेखा की लंबाई नीचे विभिन्न

भागीदारों के साथ नृत्य आंदोलनों का एक दृश्य जो प्रदर्शन में अमेरिकी लोक

नृत्य का एक रूप है। कॉन्ट्रा नृत्य परिवार की तरह वायुमंडल के साथ आराम कर

रहे हैं। नृत्य बहुत अच्छा व्यायाम है और नर्तकियों को अपनी गति निर्धारित

कर सकते हैं। कॉन्ट्रा नर्तकियों आमतौर पर नृत्य का एक प्यार के साथ

दोस्ताना, सक्रिय लोग हैं।



देश और पश्चिमी

देश

और पश्चिमी नृत्य आम तौर पर देश के पश्चिमी संगीत पर नृत्य किया कई नृत्य

रूपों, भी शामिल है। यदि आप कभी भी एक देश और पश्चिमी क्लब या सराय लिए

किया गया है, तो आप शायद उनके चेहरे पर बड़ी मुस्कान के साथ डांस फ्लोर के

आसपास ट्वर्लिग्ग् कुछ चरवाहे बूट पहने नर्तकों देखा है।



बेली नृत्य

बेली

नृत्य कूल्हों और पेट की तेज, रोलिंग आंदोलनों द्वारा विशेषता नृत्य का एक

अनोखा रूप है। बेली डांसिंग का असली मूल उत्साही लोगों के बीच बहस कर रहे

हैं।



आधुनिक नृत्य

आधुनिक

नृत्य भीतर की भावनाओं की अभिव्यक्ति पर बजाय ध्यान केंद्रित, शास्त्रीय

बैले के कड़े नियमों से कई को खारिज कर दिया कि एक नृत्य शैली है। आधुनिक

नृत्य नृत्यकला और प्रदर्शन में रचनात्मकता पर बल, शास्त्रीय बैले के खिलाफ

एक विद्रोह के रूप में बनाया गया था।



लैटिन नृत्य

लैटिन

नृत्य हिप आंदोलनों द्वारा विशेषता एक तेजी से पुस्तक, अक्सर

कामुक, साथी नृत्य है। हालांकि, हिप आंदोलनों लैटिन नृत्य में से किसी में

जानबूझकर नहीं कर रहे हैं। हिप गति से एक दूसरे पैर से वजन बदलने का एक

स्वाभाविक परिणाम है



सालसा

साल्सा

क्यूबा से एक समधर्मी नृत्य शैली है। एकल रूपों में पहचाने जाते हैं,

हालांकि साल्सा, सामान्य रूप से एक साथी नृत्य है। साल्सा आमतौर पर साल्सा

संगीत पर नृत्य किया जाता है। आप एक साथी आवश्यक नहीं हो सकता है, जिसमें

रेखा नृत्य का एक फार्म के रूप में यह नृत्य निर्देशन कर सकते हैं, हालांकि

साल्सा, एक जोड़ी की आवश्यकता है। इस नृत्य शैली लैटिन अमेरिका भर में

बहुत लोकप्रिय है और समय के साथ यह उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया,

एशिया और मध्य पूर्व के माध्यम से फैल गया।



लाइन नृत्य

एक

लाइन नृत्य लोगों के एक समूह के व्यक्तियों के लिंग के संबंध के बिना एक

या एक से अधिक लाइनों या पंक्तियों में नृत्य जिसमें कदम की एक दोहराया

अनुक्रम के साथ एक नृत्य नृत्य है, सभी एक ही दिशा का सामना करना पड़ और एक

ही समय में कदम क्रियान्वित करने। उनके पास नर्तकियों का हाथ पकड़े हुए

हैं जबकि, पुराने नर्तकियों एक दूसरे का सामना जिसमें लाइनें है "रेखा

नृत्य", या "रेखा" "लाइन" डांस फ्लोर के चारों ओर एक नेता का पालन में एक

चक्र, या सभी नर्तकियों है।



बॉलरूम डांस

बॉलरूम

डांस अपने साथी के साथ किया जाने वाला नृत्य है, जिसे दुनियाभर में बेहद

पसंद किया जाता है। हल्‍की लाइट म्‍यूजिक में यह डांस बेहद आकर्षक दिखता

है। इसमें साल्सा, रूंबा, सांबा, कैसीनो और बक आदि को मिक्‍स भ्‍ीा किया जा

सकता है। आमतौर पर बॉरूम डांस अपने साथी के साथ एक दूसरे की बाहों में

किया जाता है। बॉलरूम नृत्य के दो मुख्य शैलियों हैं - अमेरिकी शैली और

अंतर्राष्ट्रीय शैली।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments



नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment