Aary Samaj MaRaathi माहिती आर्य समाज मराठी माहिती

आर्य समाज मराठी माहिती



GkExams on 09-05-2022


आर्य कौन है : महर्षि दयानन्द सरस्वती के अनुसार – जो श्रेष्ठ स्वभाव, धर्मात्मा, परोपकारी, सत्य-विद्या आदि गुणयुक्त और आर्यावर्त (aryavart) देश में सब दिन से रहने वाले हैं उनको आर्य कहते है।

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यहाँ इसमें मनुष्य, पशु, पक्षी, वृक्ष आदि भिन्न-भिन्न जातियाँ है। लेकिन जिन जीवों की उत्पत्ति एक समान होती है वे एक ही जाति के होते है। अत: मनुष्य एक जाति है। जाति रूप से तो मनुष्यों में कोई भेद नहीं होता है। परंतु गुण, कर्म, स्वभाव व व्यवहार आदि में भिन्नता होती है।


आर्य समाज का इतिहास (arya samaj history) :


आर्यसमाज की स्थापना 10 अप्रैल सन 1875 को बम्बई में दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। उन्नीसवीं शताब्दी के तीसरे चरण में भारत में जागृति के जो चतुर्दिक आंदोलन आरंभ हुए, उनमें आर्य समाज का बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है।


आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की बाल्मीकी रामायण में समदृष्टि रखने वाले और सज्जनता से पूर्ण श्री रामचन्द्र जी को व महाभारत श्रीकृष्ण जी को स्थान-स्थान पर आर्य कहा गया है। विदुरनीति में धार्मिक को, चाणक्यनीति में गुणीजन को, महाभारत में श्रेष्ठबुद्धि वाले को तथा गीता में वीर को ‘आर्य’ कहा गया है।


चूँकि ये श्रेष्ठ व्यक्ति किसी एक स्थान अथवा समाज में नहीं होते, अपितु वे सर्वत्र पाये जाते है। सच्चा आर्य वह है जिसके व्यवहार से प्राणिमात्र को सुख मिलता है। जो इस पृथ्वी पर सत्य, अहिंसा, परोपकार, पवित्रता आदि व्रतों का विशेष रूप से धारण करता है।


आर्य समाज और हिन्दू समाज में अंतर :


स्वामी दयानंद सरस्वती ब्राह्मण परिवार से थे लेकिन हिंदू धर्म की कई चीज़ों को उन्होंने सिरे से नकार दिया था। उदाहरण के तौर पर उन्होंने हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा का विरोध किया व ईश्वर के अवतारों को मानने से मना कर दिया। ये ही एक बड़ा अंतर इसमें देखने को पाया गया है।


आर्य समाज के कार्य :


यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको आर्य समाज के कार्यों के बारें में बता रहे है, जो इस प्रकार है…


  • वैदिक विद्यालयों या गुरुकुलों की स्थापना
  • हिंदू धर्म की कुप्रथाओं के विरुद्ध
  • हिंदू धर्म का सही ज्ञान
  • हिंदुओं का धर्मांतरण रोकना
  • घर वापसी/ शुद्धिकरण
  • शाकाहार अपनाना
  • हिंदी भाषा राष्ट्रीय भाषा



  • स्वामी दयानंद सरस्वती (dayanand saraswati in hindi) के बारें में :


    स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 ईस्वी के मूल नक्षत्र में गुजरात के टंकारा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। और उनके माता-पिता का नाम "करशनजी लालजी तिवारी" व "यशोदाबाई" था। ध्यान रहे की स्वामी जी के बचपन का नाम "मूलशंकर" था।




    Comments Akshay on 14-03-2021

    Aarya samaj





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