Rashtriya Ekta Me Sardar Patel Ka Yogdan राष्ट्रीय एकता में सरदार पटेल का योगदान

राष्ट्रीय एकता में सरदार पटेल का योगदान



GkExams on 28-10-2022


सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारें में (Sardar vallabhbhai patel essay) : लोह्पुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को हुआ था। पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। जानकारी रहे की यह भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने थे।


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और बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल (sardar vallabhbhai patel in hindi) को सत्याग्रह की सफलता पर वहाँ की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की थी। सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को हुआ था।


सम्मान :




इनके सम्मान में अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र रखा गया है। और सन 1991 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।


इन सबके अलावा गुजरात में दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी" नामक (sardar vallabhbhai patel statue) स्थापित की गयी। जिसकी ऊँचाई 240 मीटर है।


राष्ट्रीय एकता में सरदार पटेल का योगदान :




जैसा की हम सबको पता है 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आजादी प्राप्त हुई थी। लेकिन इस दिन की सुबह का भारत और 15 अगस्त 2022 की सुबह के भारत का भौतिक स्वरूप अलग है। तब हमें आजादी मिली थी, लेकिन देश के कई ऐसे क्षेत्र थे जो 15 अगस्त 1947 को भारत का हिस्सा नहीं थे।


सरदार पटेल दो समुदायों के बीच आंतरिक मतभेद उत्पन्न करके 'बाँटो और राज करो' की ब्रिटिश नीति के कट्टर आलोचक थे। भारत की एकता को बनाए रखना उनकी सबसे बड़ी चिंता थी। लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून, 1947 को अपनी योजना (akhand bharat countries) घोषित की। इसमें बंटवारे के सिद्धांत को स्वीकृति दी गई।


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एकीकरण की प्रक्रिया कैसे हुई?




कई क्षेत्र अब भारतीय संघ का अटूट हिस्सा हैं। भारत के इस एकीकरण (akhand bharat mission) के पीछे लौह पुरुष सरदार पटेल की कूटनीति और पंडित नेहरू का विजन है। आजादी प्राप्ति के दौरान भारत में करीब 562 देशी रियासतें थीं। सरदार पटेल तब अंतरिम सरकार में उपप्रधानमंत्री के साथ देश के गृहमंत्री थे। जूनागढ, हैदराबाद और कश्मीर को छोडक़र 562 रियासतों ने स्वेच्छा से भारतीय परिसंघ में शामिल होने की स्वीकृति दी थी।


आजादी के बाद भारत का एकीकरण :




इससे पहले जूनागढ़ पाकिस्तान में मिलने की घोषणा कर चुका था तो कश्मीर स्वतंत्र बने रहने की। जूनागढ़, कश्मीर तथा हैदराबाद तीनों राज्यों को सेना की मदद से विलय करवाया गया लेकिन भोपाल में इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी।


हैदराबाद :


18 सितंबर 1948 को मेजर जनरल चौधरी की अगुवाई में भारतीय सेना इस शहर में दाखिल हुई। और कुल मिलाकर ये ऑपरेशन 108 घंटे चला और हैदराबाद भारत का अभिन्न अंग बन गया।


कश्मीर :


24 अक्टूबर 1947 को हुए पाकिस्तानी हमले से यहाँ के महाराजा हरि सिंह परेशान हुए, और उनकी सेना कबायलियों का सामना करने में सक्षम नहीं थी। महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से सैन्य मदद मांगी।


भारत सरकार सैन्य मदद को तैयार थी लेकिन भारत ने कहा कि हरि सिंह को जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करना होगा। महाराजा हरि सिंह ने विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया। जो आज भी है।


जूनागढ़ :


इससे पहले हमारे देश की सेनाओं ने मंगरोल और बाबरियावाड पर से नवाब का कब्जा छीन लिया। और भारत की सख्ती और जनता का मिजाज देखते हुए यहां का नवाब कराची भाग गया। 20 फरवरी, 1948 में जूनागढ़ में जनमत संग्रह कराया गया, इसमें 91 फीसदी लोगों ने भारत के पक्ष में विलय का मत दिया।


Rashtriya Ekta Diwas : 31st October




प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल (Rashtriya Ekta Diwas 2022) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ध्यान दे की वर्ष 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को नेशनल यूनिटी दिवस या राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष स्वतंत्रता सेनानी वल्लभभाई पटेल की 146वीं जयंती है।


सरदार वल्लभ भाई पटेल के नारे :


यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रसिद्द नारो व अनमोल विचारों (sardar vallabhbhai patel slogan) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


# जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती..!


# जिसका कोई भी मित्र न हो उसका भी मुझे मित्र् बन जाना मेरे स्वाभाव में है..!


# गरीबो की सेवा करना ईश्वर की सेवा है..!


# मुश्किल समय में कायर बहाना ढूंढते हैं तो वहीं, बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते है।


# प्रजा का विश्वास, राज्य की निर्भयता की निशानी है..!


# मान सम्मान किसी के देने से नही बल्कि अपनी योग्यता के अनुसार ही मिलता है..!


# सेवा धर्म बहुत ही कठिन है यह तो कठिन काँटों के सेज पर सोने जैसा है..!


# आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए..!


# अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है..!




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Comments Prashik on 12-10-2022

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