Saltnat Kaal Me Videshi Vyapar सल्तनत काल में विदेशी व्यापार

सल्तनत काल में विदेशी व्यापार



GkExams on 22-11-2022


सल्तनत काल के बारें में (About Delhi Sultanate In Hindi) : 1206 ई. से लेकर 1526 ई. तक (delhi sultanate period) के समय को “सल्तनत काल” के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इस काल के शासकों को सुल्तान कहा जाता था। इसके अलावा इस काल को “दिल्ली सल्तनत काल” भी कहा जाता है। दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक कुतबुद्दीन ऐबक था। वह भारत में मामलूक वंश अथवा गुलाम वंश का संस्थापक था।


Delhi Sultanate Map :




Saltnat-Kaal-Me-Videshi-Vyapar


तचइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की पराजय के पश्चात दिल्ली में तुर्क शासकों का राज्य स्थापित हो गया। इन तुर्क शासकों का रहन-सहन, भाषा, धर्म तथा शासन करने का तरीका भारतीय शासकों से अलग था तुर्क शासक सुल्तान की उपाधि धारण करते थे। इन्होंने दिल्ली को शासन (delhi sultanate history) का केन्द्र बनाया और लगभग 200 साल तक शासन किया।


सल्तनत काल में बहुत से शहरों का विकास हुआ तथा प्राचीन शासन व्यवस्था के केंद्र बिंदु भी नगर ही रहे उनकी राजधानियाँ भी नगरों के रूप में स्थापित थे जिन्हें गोलकुंडा, अहमदाबाद आदि शहरों के रूप में देख सकते है। कुछ सुल्तानों ने व्यक्तिगत रूप से भी नगरों को प्रोत्साहन दिया जिसमें फिरोज शाह का नाम लिया जा सकता है जिसने जौनपुर, फिरोजपुर, फतेहाबाद एवं फिरोजाबाद जैसे नगरों की स्थापना की।


सल्तनत काल के वंश :




1. मामलूक वंश -1206 से 1290 ई. तक


2. खिलजी वंश-1290 से 1320 ई. तक


3. तुगलक वंश-1320 से 1414 ई. तक


4. सैय्यद वंश-1414 से 1450 ई. तक


5. लोदी वंश-1450 से 1526 ई. तक


सल्तनत काल में विदेशी व्यापार :




इस काल के दौरान भारत के मध्य एशिया, अफगानिस्तान, फारस की खाड़ी और लाल सागर के साथ व्यापारिक संबंध थे। भारत मुख्य रूप से खाद्यान्न, बुना हुआ कपड़ा, नील, बहुमूल्य रत्न इत्यादि निर्यात करता था और सोना और चांदी जैसी बहुमूल्य धातुए, घोड़े, जरी (ब्रोकेड ) और रेशम का सामान इत्यादि आयात करता था।


दिल्ली सल्तनत के सुल्तान द्वारा पांच श्रेणियों में कर एकत्र किया जाता था जिससे साम्राज्य की आर्थिक प्रणाली में गिरावट आयी थी। ये कर इस प्रकार थे...


1. उशर :


यह मुसलमानों की भूमि पर लगाया जाता था। जिस भूमि पर प्राकृतिक रूप से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होती थी उस पर इसकी दर कुल उत्पादक का 1/10 भाग थी। जहाँ राज्य के द्वारा सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाती थी, वहाँ इसकी दर कुल उत्पादक का ⅕ भाग होती थी। अगर कोई हिन्दू किसी मुसलमान की जमीन खरीद लेता था तो उसे उस भूमि पर उस्र के बदले खराज देना पड़ता था किन्तु अगर कोई मुसलमान किसी हिन्दू की जमीन खरीदता था तो खराज का परिवर्तन उस्र में नहीं होता था।


2. खराज :


खराज भूमि कर था। जो हिन्दुओं की भूमि पर लगाया जाता था। सामान्यतः यह उत्पादन के ⅓ से कम नहीं और ½ से अधिक नहीं होना चाहिए था। किन्तु फिरोज तुगलक ने फतुहाते-फिरोजशाही में इसका भाग ⅕ निर्धारित किया है।


3. खम्स :


यह युद्ध के लूट के माल पर लगता था। इसमें राज्य का हिस्सा ⅕ भाग और सैनिकों का हिस्सा ⅘ भाग होता था किन्तु अलाउद्दीन खिलजी ने उसे उलट दिया। फिरोज तुगलक ने इसे पुन:व्यवस्थित किया।


4. जजिया :


यह सैनिक सेवा के बदले गैर मुसलमानों पर लगाया जाता था। इसकी दर क्रमश: 48 दिरहम, 24 दिरहम और 12 दिरहम थी। यह प्राय: खराज के साथ लिया जाता था। फिरोज तुगलक ने इसे एक पृथक कर बनाया।


5. जकात :


यह धनवान मुसलमानों पर लगाया जाता था इसकी दर उसकी आय का अढ़ाई (2.5) प्रतिशत होती थी। इसका उपयोग धार्मिक कार्यों के लिए होता था...Read More




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Comments Vimal rana on 20-12-2023

Saltnat Kaal Me Videshi Vyapar mei bhutan santulan k sambhand m tippadi

Gita soren on 05-12-2023

सल्तनत कालीन मे अंतरत देसीय और विदेशी व्यापार का विवेचना करे??

Ganeshwari Ganeshwari on 15-02-2023

Saltanatkalin aantrik vyapar ke bare me batye


Kanchan on 23-03-2022

Saltanat kal Mein Videsh sambandhi mamle ka pradan tha

Anju on 20-07-2020

Saltant kal Mai videshi mamlo ka Pradhan kon hota tha





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