Bharat Ke Pramukh Laghu Udyog Ke Naam भारत के प्रमुख लघु उद्योग के नाम

भारत के प्रमुख लघु उद्योग के नाम



GkExams on 03-02-2019

लघु उद्योग (छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयाँ/small scale industry) वे होती है जो मध्यम स्तर के विनियोग की सहायता से उत्पादन प्रारम्भ करती हैं। इन इकाइयों मे श्रम शक्ति की मात्रा भी कम होती है और सापेक्षिक रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं का कम मात्रा में उत्पादान किया जाता है। ये बड़े पैमाने के उद्योगो से पूंजी की मात्रा, रोजगार, उत्पादन एवं प्रबन्ध, आगतों एवं निर्गतो के प्रवाह इत्यादि की दृष्टि से भिन्न प्रकार की होती है। ये कुटीर उद्योगों से भी इन आधारों पर भिन्न होती हैं- उत्पादन में यंत्रीकरण की मात्रा, मजदूरी पर लगाये गये श्रमिकों एवं परिवारिक श्रमिकों के अनुपात, बाजार का भौगोलिक आकार, विनियोजित पूंजी इत्यादि।


लघु उद्योगों का वर्गीकरण तीन प्रकार उद्योगों में किया है- 1. सूक्ष्म उद्योग 2. लघु उद्योग 3. मध्यम उद्योग।


मुख्यतया लघु उद्योगों को इन में विनियोजित राशि के मापदण्डो से वर्गीकरण किया जाता है। निर्माण उपाय के अर्न्तगत सूक्ष्म उद्योग वह है जहाँ प्लाण्ट एवं मशीनरी में निवेश 25 लाख रूपये से अधिक नही होता है। लघु उद्योग वह है जहाँ प्लाण्ट एवं मशीनरी में निवेश 25 लाख रूपये से अधिक लेकिन 5 करोड़ रूपये से कम होता है। मध्यम उद्योग वह है जिसमें प्लांट एवं मशीनरी में निवेश पॉच करोड़ रूपये से अधिक लेकिन 10 करोड़ रूपये से कम होता हो।


सेवा उद्योग के स्वरूप में एक सूक्ष्म उद्योग वह है जहाँ उपकरणों में निवेश 10 लाख रूपये से आगे नहीं बढ़ता है और लघु उद्योग, जहाँ उपकरणों में निवेश 10 लाख रूपये से अधिक लेकिन 2 करोड़ रूपये से अधिक नही है एवं मध्यम उद्योग जहाँं उपकरणों में निवेश 2 करोड़ रूपये से अधिक लेकिन 5 करोड़ रूपये से कम न हो।


भारतीय आर्थिक विकास में लघु एवं कुटीर पैमाने के उद्योगों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लघु पैमाने के उद्योग और कुटीर उद्योग भारत के विर्निमाण क्षेत्र की संरचना एवं स्वरूप के महत्वपूर्ण भाग है।


भाषा की दृष्टि से यह एक आम प्रवृति रही है कि कुटीर उद्योग, ग्रामीण उद्योग तथा लघु पैमाने के उद्योगों का आशय एक साथ ही समान रूप से लगाया जाता है जबकि इनमें आधारभूत अन्तर है। कुटीर उद्योग तो किसी एक परिवार के सदस्यों द्वारा पूर्ण या अंशकालिक तौर पर चलाया जाता है। इनमें पूंजी निवेश नाम मात्र का होता है। उत्पादन भी प्रायः हाथ द्वारा किया जाता है। परम्परागत ढंग से चलने वाली उत्पादन प्रक्रिया में वेतन भोगी श्रमिक नही होते हैं। लघु उद्योगों में आघुनिक ढंग से उत्पादन कार्य होता है। सवेतन श्रमिकों की प्रधानता रहती है तथा पूंजी निवेश भी होता है। कतिपय कुटीर उद्योग ऐसे भी है, जो उत्कृष्ट कलात्मकता के कारण निर्यात भी करते है। अतः उन्हे लघु क्षेत्र में रखा गया था, जिससे उन्हें भी सभी सुविधाएं प्राप्त होती रहे।


10 हजार से कम जनसंख्या वाले ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित तथा भूमि, भवन, मशीनरी आदि में प्रति कारीगर या कार्यकर्ता 15 हजार रूपये से कम स्थिर पूंजी निवेश वाले उद्योग ग्रामोद्योग के अन्तर्गत आते है। राज्य ग्रामोद्योग बोर्ड तथा ग्रामोद्योग उद्योग इन इकाइयों की स्थापना संचालन आदि में तकनीकी एवं आर्थिक सहायता प्रदान करते है।


कोई भी उद्योग जिसमे 10 लाख से ज्यादा व एक करोड़ से कम लागत लगी हो वह लघु उद्योग कहलायेगा। ऐसे ही कुछ लघु उद्योगों के उदाहरण निम्न प्रकार से हैं।

  • घर में इस्तेमाल किया जाने वाला कूलर बनाना
  • एल्यूमीनियम से बने हुए सामग्री बनाना
  • हॉस्पिटल में उपयोग किए जाने वाला स्ट्रेचर बनाना
  • करंट मापने वाला मीटर या वोल्ट मीटर बनाना
  • गाड़ी में लगने वाली हेडलाइट बनाना
  • कपड़े या चमडे का बैग बनाना
  • कांटेदार तार बनाना
  • टोकरी बनाना इत्यादि





सम्बन्धित प्रश्न



Comments Jitendar yadav on 25-01-2023

मैं नहाने वाले साबुन का रोजगार चालू करना चाहता हूं

Sangeeta on 21-05-2022

मै कुटीर उद्योग खोलना चाहते हैं पर न पैसे न जगह कैसे करे

Jhakumodjhajee@gmail.com on 14-03-2022

व्यापार के लिए सङक किनारे जमीन नही है क्य करे,पैसा भी नही है,आवादी से हटकर बांध किनारे जमीन है


Vinod singh on 08-01-2022

कम लागत मे कोन सा ब्यापार करे जो की इनकम भी ठीक हो

राम on 12-03-2021

MSME के माध्यम से कौन कौन से उद्योग लगा सकते है

Shyam mangre on 23-09-2020

Ughog lagana hai to kon si banke lon dega sar ji

Name of department on 09-06-2020

Name of department


Mangalchand on 06-06-2020

भारत मे लघु स्तर उद्योग कौनसा h





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