Nagarikarann Ka Paryavaran Par Prabhav नगरीकरण का पर्यावरण पर प्रभाव

नगरीकरण का पर्यावरण पर प्रभाव



GkExams on 04-01-2023


नगरीकरण के बारें में (What is urbanization in hindi) : इसे सरल शब्दों में समझे तो नगर क्षेत्रों का भौतिक विस्तार या उसके क्षेत्रफल, जनसंख्या आदि में बेतहाशा वृद्धि 'नगरीकरण' कहलाता है। इस प्रकार हम समझ सकते है की यह एक वैश्विक परिवर्तन है।


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जैसा की भारत में (urbanization in india) पिछले कुछ दशकों से जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की जनसंख्या का पलायन भी शहरों एवं बड़े-बड़े महानगरों की ओर हो रहा है। परिणामस्वरूप शहरों में बढती आबादी अनेक समस्याओं को जन्म दे रही है, जिनका समाधान किया जाना अति आवश्यक है।


इस तरह नगरीय जनसंख्या में वृद्धि के कारण कई तरह की समस्याएँ जन्म ले चुकी हैं जो धीरे-धीरे वीभत्स रूप धारण करती जा रही हैं। नगरों में उत्पन्न समस्याओं को प्रमुख तीन भागों (urbanization essay) में बाँटा जा सकता है...


1. पर्यावरणीय समस्या :




नगरीय केन्द्रों में जनसंख्या के लगातार बढ़ते रहने एवं औद्योगीकरण (Urbanization Causes and Impacts) के फलस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण तथा अवनयन की कई समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषण वायु तथा जल में देखने को मिलता है। महानगरों में प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों एवं औद्योगिक संस्थानों द्वारा निस्सृत विषैले रसायन हैं।


जिनमें मुख्य है: सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सीसा एवं नाइट्रस ऑक्साइड। एक सर्वेक्षण (नेशनल इन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट, नागपुर) के अनुसार 1990 में उद्योगों से निकलने वाले सल्फर डाईऑक्साइड की मात्रा 45,000 टन प्रति वर्ष थी, जो बढ़कर सन 2000 से 48,000 टन प्रतिवर्ष हो जाने की आशा है।


इसी तरह कार्बन मोनोऑक्साइड (urbanization definition geography) की मात्रा 1980 में 1,40,000 टन प्रतिवर्ष से बढ़कर 1990 में 2,65,000 प्रतिवर्ष हो गई थी तथा आशंका है कि सन 2000 तक यह मात्रा 4,00,000 टन प्रतिवर्ष हो जाएगी। इसी तरह औद्योगिक नगरों में जाड़े के मौसम में तापीय प्रतिलोमन के समय कारखानों की चिमनियों से निस्सृत धूम्र एवं सल्फर के स्थिर वायु के साथ मिश्रण के कारण जानलेवा नगरीय धूम्र कोहरे की उत्पत्ति होती है।


वाहनों से निकलने वाले धूम्र के साथ सीसा नामक तत्व भी निकलता है जिसका बुरा प्रभाव हमारे श्वसन-तंत्र पर पड़ता है। सल्फर डाईऑक्साइड गैस वर्षा के जल के साथ संयोग करके सल्फ्यूरिक अम्ल में परिणत हो जाती है। यह अम्ल वर्षा के रूप में पृथ्वी पर पहुँचता है जिसके फलस्वरूप त्वचा कर्कटाबुर्द (कैंसर) की आवृत्ति में वृद्धि होती है।


2. आवास की समस्या :




यह समस्या (problems of urbanization in india) आवास की गुणवत्ता एंव मात्रा दोनों में देखने को मिलती है। वर्तमान समय में भारत में 3 करोड़ 10 लाख आवासीय इकाइयों की कमी है जिसमें 206 लाख आवास की कमी ग्रामीण क्षेत्र में तथा 104 लाख शहरी क्षेत्र में है। इसके अतिरिक्त सम्पूर्ण सुविधायुक्त मकानों की मात्रा भी काफी कम है तथा सन 2000 तक लगभग 7 मिलियन आवासों की कमी की सम्भावना है।


नवीनतम अनुमानों के अनुसार कुल नगरीय आबादी का 14.68 प्रतिशत झुग्गी-झोपड़ियों (negative effects of urbanization) में निवास करता है। भारत के विभिन्न महानगरों की कुल नगरीय आबादी का एक बड़ा भाग झुग्गी-झोपड़ियों में निवास करता है।


3. रोजगार की समस्या :




जिस अनुपात में नगरों में जनसंख्या की वृद्धि हो रही है, उसी अनुपात में रोजगार में वृद्धि नहीं हो रही है। गाँवों से शहरों में आने वाले लोगों की अधिक संख्या के कारण उन्हें शहरों में कम मजदूरी पर कार्य करना पड़ता है जिससे सामाजिक अव्यवस्था बढ़ती चली जाती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ग्रामीण-शहरी स्थानांतरण में कमी आई है। इसका कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों (urbanization problems and solutions) की सफलता मानी जाती है।




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Comments Jai Prakash on 03-09-2022

नगरियाकरण ke परियावरणीय परभाओ kya hai

suman on 10-09-2020

nagrikaran ka paryavaran pe prabh





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