जन्तु कोशिका

Jantu Koshika



Pradeep Chawla on 12-05-2019

पादप व जंतु कोशिका का वर्गीकरण

कोशिका जीवन की सबसे छोटी कार्यात्मक व संरचनात्मक इकाई है, जिसके अध्ययन को ‘साइटोलॉजी (Cytology)’ कहा जाता है | पादप व जंतुओं की कोशिकाओं की संरचना अलग- अलग होती है, जो पादपों को जंतुओं से भिन्न करती है | इस विभिन्नता को समझने के लिये प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane), कोशिका भित्ति (Cell Wall), गाल्जीकाय (Golgi Bodies), माइटोकोंड्रिया (Mitochondria), लाइसोसोम (Lysosomes) और लवक (Plastids) आदि कोशिका अवयवों (Cell Component) का अध्ययन आवश्यक है |




कोशिका के अवयव :


कोशिका के अवयव निम्नलिखित होते हैं-

1. प्लाज्मा झिल्ली : कोशिका के सभी अवयव एक पतली झिल्ली द्वारा घिरे रहते हैं जिसे कोशिका झिल्ली कहते हैं | यह जंतु, पादप व सूक्ष्म जीवों की कोशिकाओं में पाई जाती है और इसका निर्माण लिपिड्स, प्रोटीन और कुछ मात्रा में कार्बोहाइड्रेट से मिलकर होता है | कोशिका भित्ति पतली और अर्द्धपारगम्य ( Semipermeable) झिल्ली है जिसका कार्य कोशिका के अवयवों को इकट्ठा रखना और कोशिका के अन्दर व बाहर जाने वाले पदार्थों का निर्धारण करना है | 

2. कोशिका भित्ति : यह केवल पादप कोशिका में पाई जाती है और सेलुलोज की बनी होती है | यह कोशिका के की सुरक्षा के साथ-साथ उसके निश्चित आकार व आकृति को बनाये रखने में सहायक है| यह कोशिका झिल्ली के बाहर पायी जाती है|

3. केन्द्रक : यह कोशिका का सबसे प्रमुख अवयव है जो कोशिका के प्रबंधक (Manager) के समान कार्य करता है | केन्द्रक (Nucleus ) में धागे जैसी संरचना वाला पदार्थ भरा होता है, जो प्रोटीन और डीएनए( Deoxy Ribonuclic Acid) से बना होता है और ‘क्रोमैटिन’ कहलाता है| वंशानुगत गुणों को एक पीढ़ी से दुसरी पीढ़ी तक ले जाने वाले गुणसूत्रों (Chromosome) का निर्माण इसी क्रोमैटिन से होता है | क्रोमैटिन के अलावा केन्द्रक में गोल सघन रचनाएँ पाई जाती है जिन्हें ‘केंद्रिका (Nucleolus)’ कहा जाता है |

केन्द्रक (Nucleus)केंद्रिका (Nucleolus)
1. इसमें जीव की आनुवांशिक जानकारी निहित होती है|
1. यह केन्द्रक का घटक है|
2. यह दो झिल्लियों से घिरा होता है|2. यह झिल्ली से घिरा नहीं होता है|
3. यह कोशिका की कार्यप्रणाली और संरचना को नियंत्रित करता है |3. यह राइबोसोम की उप-इकाइयों (Sub-Units) का संश्लेषण करता है|

4. साइटोप्लाज्म (Cytoplasm): यह कोशिका का वह भाग है जो प्लाज्मा झिल्ली और केन्द्रक जाल (Nuclear Envelope) के मध्य पाया जाता है| इसकी आतंरिक परत को एंडोप्लाज्म (endoplasm) और बाहरी परत को एक्टोप्लाज्म (ectoplasm) नाम से जाना जाता है| साइटोप्लाज्म में साइटोसोल (cytosol) से बना होता है जिसमें अनेक कोशिकांग (Organelles) व अन्य उत्पाद (जैसे – स्टार्च व लिपिड्स) पाए जाते है |

(i) एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic Reticulum -ER): इसका प्रमुख कार्य कोशिका झिल्ली और केन्द्रक झिल्ली आदि का निर्माण करने वाली प्रोटीनों व वसाओं (Fats) का परिवहन (Transport) करना है |इसके कुछ भागों पर किनारे-किनारे राइबोसोम लगे रहते हैं| ये दो प्रकार की होती हैं :

(a) रुक्ष एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Rough Endoplasmic Reticulum -RER): इनमें संश्लेषण के लिए राइबोसोम पाए जाते है |

(b) मृदु एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Smooth Endoplasmic Reticulum -SER): इनमें राइबोसोम नहीं पाए जाते हैं और इनका उद्देश्य लिपिडों का स्रावण (SecretiOn) होता है |

(ii) राइबोसोम्स (Ribosomes) : यह राइबोन्यूक्लिक अम्ल (Ribonucleic Acid) व प्रोटीन की बनी होती है और प्रोटीन संश्लेषण(Synthesis) द्वारा प्रोटीन का निर्माण करती है ,इसीलिए इसे ‘प्रोटीन की फैक्ट्री’ भी कहा जाता है | इसका नामकरण रॉबर्ट ने किया था|

(iii) गॉल्जीकाय (Golgi Body) : इसकी खोज कैमिलो गॉल्जी ने की थी |यह सूक्षम नलिकाओं( Tubules) के समूह और थैलियों का बना होता है | यहाँ कोशिका द्वारा संश्लेषित प्रोटीन व अन्य पदार्थों की थैलियों के रूप में पैकिंग की जाती है और उन्हें गंतव्य स्थान (Destination) तक पहुँचाया जाता है और कुछ पदार्थों को कोशिका से बाहर भी निकाला जाता है | इसे ‘कोशिका का यातायात प्रबंधक’ भी कहा जाता है |ये कोशिका भित्ति और लाइसोसोम का निर्माण भी करती हैं |

(iv) लाइसोसोम (Lysosomes) : इसकी खोज डी डूवे ने की थी, जोकि सूक्ष्म, गोल और इकहरी झिल्ली से घिरी थैलीनुमा रचनाएँ होती हैं | इसका प्रमुख कार्य बाहर से आने वाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विषाणुओं का पाचन करना है अतः यह एक प्रकार से कोशिका की ‘कचरा निपटान प्रणाली (Garbage Disposable System)’ है| इसमें 24 तरह के एंजाइम पाए जाते हैं | इसे ‘कोशिका की आत्मघाती थैली’ भी कहा जाता है क्योंकि कोशिका के क्षतिग्रस्त होने पर यह फट जाती है एंजाइम स्वयं की ही कोशिका को समाप्त कर देते हैं |

(v) माइटोकोंड्रिया (Mitochondria) : इसकी खोज अल्टमैन ने की थी और इसका नामकरण बेंडा ने किया था | ये कोशिका का श्वसन स्थल है और ऊर्जायुक्त कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण यहीं होता है जिससे काफी मात्रा में ऊर्जा (एटीपी) का उत्पादन होता है, इसीलिए इसे ‘कोशिका का शक्ति केंद्र’ (Power House of the Cell) भी कहते हैं |


(vi) लवक (Plastids) : यह केवल पादप कोशिओकाओं में ही पाया जाता है और जंतु कोशिकाओं में अनुपस्थित होता है| इनका अपना स्वयं का जीनोम होता है और विभाजित होने की क्षमता भी रखते हैं | लवक के निम्नलिखित तीन प्रकार होते हैं :


a. वर्णी लवक (Chromoplasts): ये रंगीन लवक होते हैं और प्रायः लाल, पीले और नारंगी रंग के होते हैं |ये पौधों के रंगीन भागों, जैसे- पुष्प, बीज आदि में पाए जाते हैं और परागण (Pollination) के लिए कीटों को आकर्षित करते हैं |


b. हरित लवक (Chloroplasts): इसमें हरे रंग का पदार्थ क्लोरोफिल होता है जो पादपों को प्रकाश-संश्लेषण में सहायता करता है, इसीलिए इसे ‘कोशिका का रसोई घर’ भी कहा जाता है |


c. अवर्णी लवक (Leucoplasts): ये रंगहीन लवक हैं और सूर्य के प्रकाश से वंचित पादप के अंगों , जैसे- जड़, भूमिगत तना आदि में पाए जाते हैं और कार्बोहाइड्रेट (स्टार्च), वसा (Fat) और प्रोटीन के रूप में भोजन का संचय (Store) करते हैं |


(vii) रसधानी/रिक्तिका (Vacuoles): यह कोशिका की निर्जीव रचना है जो पादप कोशिकाओं में प्रायः बड़ी और केंद्र में स्थित होती हैं और जंतु कोशिकाओं में छोटी और अस्थायी होती हैं | इसमें तरल पदार्थ भरा रहता है| यह पादप कोशिकाओं को दृढ़ता (Rigidity) प्रदान करता है और चयापचय (Metabolic) से उत्पन्न विषैले उप-उत्पादों (By-Products) का संचय (Store) करता है |


(viii) पेरौक्सीसोम्स (Peroxisomes): यह छोटा और गोल जैसा कोशिकांग है जिसमें शक्तिशाली ऑक्सीडेटिव एंजाइम पाए जाते हैं| ये कोशिका के विषैले पदार्थों को कोशिका से बाहर करते है |


(ix) तारककाय (Centrosome) : यह केवल जंतु कोशिकाओं में पाया जाता है और कोशिका विभाजन में सहायता करता है | इसकी खोज बोबेरी ने की थी | इसके अन्दर एक या दो कण जैसी संरचनाएं पाई जाती हैं जिन्हें ‘सेंट्रियोल्स’ कहते हैं |

जन्तु कोशिका

Image Courtesy: www.media.showmeapp.com


जंतु व पादप कोशिका की तुलना:


जंतु कोशिकापादप कोशिका
1. प्रायः आकार में छोटी होती हैं1. आकार में जंतु कोशिका से बड़ी होती हैं
2. कोशिका भित्ति (Cell wall) अनुपस्थित रहती है
2. सेलुलोज ( जैसे-प्लाज्मा झिल्ली) से बनी कोशिका भित्ति उपस्थित रहती है
3. लवक (Plastids) युग्लीना के छोड़कर अन्य जंतुओं में अनुपस्थित रहते हैं3. लवक (Plastids) उपस्थित होते हैं
4. रसधानी/रिक्तिका (Vacuoles) बहुत छोटी और अस्थायी होती हैं
4. विकसित पादप में रसधानी/रिक्तिका (Vacuoles) बड़ी होती हैं
5. इसका आकार लगभग वृत्ताकार होता है5. इसका आकार लगभग आयताकार होता है
6. तारककाय (Centrosome) और सेंट्रियोल्स (Centrioles) उपस्थित रहते है6. तारककाय (Centrosome) और सेंट्रियोल्स (Centrioles) अनुपस्थित रहते हैं




सम्बन्धित प्रश्न



Comments सर्वजीत on 28-08-2018

जंतु कोशिका का वर्गीकरण

Tab on 12-05-2019

Jantu kosika ke liye mitrikandriya ke karya

Suman on 12-05-2019

Jantu koshika me protoplajama koshika k bah vatavsran se kis rachana dvara alag rahta hai


Surbhi on 12-05-2019

Ek koshikiye jantu

अक्षित गोयल on 12-05-2019

जंतु कोशिका किसे कहते हैं

Kali Singh on 03-12-2020

Padap kosika

Isita goswami on 01-09-2021

Animal cells and plants cell different




Mohit sardar on 03-02-2023

Padap kosika kiya hai

Annpurna Gupta on 26-10-2022

Jantu kosika k varnan

Ghanshyam on 04-09-2022

Jantu kosika full details

Shani Maurya on 01-09-2022

Jantu koshika

Shiva raikwar on 31-07-2022

Pankha occejan kiyu deta hai



J


Koshikang kya hai on 07-05-2022

Koshikang kya hai

Shreya Singh on 31-10-2021

Jantu koshika ka varnan

Rahis ali on 10-10-2021

जन्तु कोशिका क्या है?

Isita goswami on 01-09-2021

Animal cells and plants cell different



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