Ibn बतूता Pustakein इब्न बतूता पुस्तकें

इब्न बतूता पुस्तकें



GkExams on 21-11-2022


इब्न बत्तूता के बारें में (Ibn Battuta In Hindi) : यह एक अरब यात्री, विद्धान् तथा लेखक था। इनका जन्म उत्तर अफ्रीका के मोरक्को प्रदेश के प्रसिद्ध नगर तांजियर में 14 रजब, 703 हि. (24 फ़रवरी 1304 ई.) को हुआ था। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की इब्न बत्तूता का पूरा नाम (ibn battuta full name) "मुहम्मद बिन अब्दुल्ला इब्न बत्तूता" था।

Ibn-बतूता-Pustakein


बचपन से ही अपने धर्म से उसका अत्यधिक लगाव था। जिसकी वजह से उसके मन में अपने धर्म और धर्म से जुड़े देशों के बारे में जानने की तीव्र इच्छा हुई। शायद इसलिए इन्होने आधी दुनिया को नाप लिया था। इब्न बतूता मुसलमान यात्रियों में सबसे महान था। अनुमानत: इन्होंने लगभग 75,000 मील की यात्रा की थी। इतना लंबा भ्रमण उस युग के शायद ही किसी अन्य यात्री ने किया हो। अपनी यात्रा के दौरान भारत भी आया था।


इब्नबतूता की भारत यात्रा (Ibn battuta in india) :




वह क्रीमिया, खीवा, बुखारा होता हुआ अफगानिस्तान के मार्ग से भारत आया। भारत पहुँचने पर इब्न बत्तूता बड़ा वैभवशाली एवं संपन्न हो गया था। ध्यान रहे की भारत के उत्तर पश्चिम द्वार से प्रवेश करके वह सीधा दिल्ली पहुँचा, जहाँ तुगलक सुल्तान मुहम्मद ने उसका बड़ा आदर सत्कार किया और उसे राजधानी का काजी नियुक्त किया।


इस पद पर पूरे सात बरस रहकर, जिसमें उसे सुल्तान को अत्यंत निकट से देखने का अवसर मिला, इब्न बत्तूता ने हर घटना को बड़े ध्यान से देखा सुना। 1342 में मुहम्मद तुगलक ने उसे चीन के बादशाह के पास अपना राजदूत बनाकर भेजा, परंतु दिल्ली से प्रस्थान करने के थोड़े दिन बाद ही वह बड़ी विपत्ति में पड़ गया और बड़ी कठिनाई से अपनी जान बचाकर अनेक आपत्तियाँ सहता वह कालीकट पहुँचा।


ऐसी परिस्थिति में सागर की राह चीन जाना व्यर्थ समझकर वह भूभार्ग से यात्रा करने निकल पड़ा और लंका, बंगाल आदि प्रदेशों में घूमता चीन जा पहुँचा। किंतु शायद वह मंगोल खान के दरबार तक नहीं गया। इसके बाद उसने पश्चिम एशिया, उत्तर अफ्रीका तथा स्पेन के मुस्लिम स्थानों का भ्रमण किया और अंत में टिंबकट् आदि होता वह 1354 के आरंभ में मोरक्को की राजधानी "फेज" लौट गया।


इब्नबतूता की पुस्तकें (Ibn Battuta Book) :




  • अजाइबुल असफ़ार
  • ईब्न-ए-बतूता का सफ़र नामा
  • सफ़र नामा इब्न-ए-बतूता उर्दू



  • इब्नबतूता की मृत्यु (ibn battuta death) :




    अपने जीवन में करीब एक लाख 20 हजार किलोमीटर की यात्रा के बाद इन्होने अपने घर जाने का फैसला किया था। इब्नबतूता ने अपना अंतिम समय अपनी मातृभूमि तंजियार में ही बिताया। बाद में वहीं 1368 ई के आसपास उनका देहांत हो गया।




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    Comments Nidhi on 22-02-2021

    Ibnbatota ki pustaken





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